पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना की तैयारी देख चौंक जायेगा चीन, अमेरिकी हथियारों ने भी बढ़ाई हमारी ताकत

Indian Army Ladakh

इस समय भारतीय सेना के जवानों को वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास लद्दाख के न्योमा में आधुनिक हथियारों के साथ अग्रिम ठिकानों पर तैनात किया गया है। दुश्मन के बुरे इरादों को भाँपते ही हमारे जवान अपने आधुनिक हथियारों से उसे पल भर में ढेर कर सकते हैं।

भारत की तीनों सेनाओं के स्वदेशी आधुनिकीकरण की प्रक्रिया तो तेजी से जारी ही है साथ ही विदेशी हथियारों से भी सुरक्षा बलों को मजबूती प्रदान की जा रही है। इस समय भारतीय सुरक्षा बलों के समक्ष सर्वाधिक चुनौती पूर्वी लद्दाख से सटी चीन सीमा पर ही है इसलिए भारतीय सेना यहाँ अपना आधार तेजी से मजबूत कर रही है। भले पूर्वी लद्दाख के गोगरा में करीब 15 महीनों तक आमने-सामने रहने के बाद भारत और चीन की सेनाओं ने अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है लेकिन भारत की निगाहें सतर्क हैं क्योंकि चीन धोखा देने में जरा भी देरी नहीं लगाता।

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पूर्वी लद्दाख में इस समय सेना की कैसी है तैयारी ?

इस समय भारतीय सेना के जवानों को वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास लद्दाख के न्योमा में आधुनिक हथियारों के साथ अग्रिम ठिकानों पर तैनात किया गया है। दुश्मन के बुरे इरादों को भाँपते ही हमारे जवान अपने आधुनिक हथियारों से उसे पल भर में ढेर कर सकते हैं। यहाँ सीमा की रक्षा के लिए भारतीय सैनिकों को अमेरिकी सिग सॉयर 716 असॉल्ट राइफल्स और स्विस एमपी-9 पिस्टल गन दी गयी हैं। इसके अलावा भारतीय सेना ने सर्दियों के लिए भी तैयारी शुरू कर दी है और एलएसी के पास अग्रिम स्थानों पर ठंड को मात देने के लिए फास्ट इरेक्टेबल मॉड्यूलर शेल्टर बनाये जा रहे हैं। सर्दियों के दौरान जब तापमान शून्य से 35-40 डिग्री नीचे चला जाता है तब इन फास्ट इरेक्टेबल मॉड्यूलर शेल्टरों में प्रत्येक में 40 सैनिकों को समायोजित किया जा सकता है।

न्योमा क्यों है महत्वपूर्ण ? भारतीय वायुसेना की क्या तैयारी है ?

जहाँ तक इस इलाके न्योमा की बात है तो भारत के लिए सामरिक लिहाज से यह क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है। न्योमा चीन सीमा के करीब भारतीय सशस्त्र बलों के लिए केंद्रबिंदु के समान है। इस समय भारतीय वायुसेना की ओर से यहाँ बड़े विमानों और लड़ाकू विमान के लिए एडवांस लैंडिंग ग्राउंड तैयार किए जा रहे हैं। भारत ने यह तैयारी एलएसी के पार चीन द्वारा अपना बुनियादी ढांचा बढ़ाने की कोशिशों के बीच जवाबी कार्रवाई के तौर पर की है। इस समय भारतीय वायुसेना पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी, फुक्चे व न्योमा में एडवांस लैंडिंग ग्राउंड को बेहतर बनाने में जुटी है ताकि भावी चुनौतियों का सामना करने में आसानी हो। देखा जाये तो न्योमा इलाके में भारतीय वायुसेना के लिए एडवांस लैंडिंग ग्राउंड बहुत महत्व रखते हैं। नियंत्रण रेखा के पास होने के कारण यह रणनीतिक रूप से अहम हैं। इससे लेह से वास्तविक नियंत्रण रेखा तक पहुंचने की दूरी कम हो जाती है। इस समय पूर्वी लद्दाख में अपाचे, चिनूक हेलीकाप्टर, सी-130जे सुपर हरक्यूलिस ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, गरुड़ व एमआई-17 एस हेलीकाप्टर दुश्मन पर कहर बरपाने को तैयार हैं। खास बात यह है कि अपाचे हेलीकॉप्टर काफी नीचे उड़ान भरने में भी सक्षम है। चीन सीमा के नजदीक अपाचे की यह खूबी भारतीय सुरक्षा बलों के लिए काफी काम आ सकती है।

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वीर महिलाएं कर रही हैं कमाल

आइये अब आपको एक और गौरवपूर्ण खबर से रूबरू कराते हैं। भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सुरक्षा के लिए तैनात इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) बल ने रविवार को मसूरी में प्रशिक्षण पूरा करने के बाद अपनी पहली दो महिला अधिकारियों को युद्धक भूमिकाओं में शामिल किया। पासिंग आउट परेड के बाद मसूरी स्थित आईटीबीपी अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी से कुल 53 अधिकारी उत्तीर्ण हुए। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शामिल हुए थे। इस दौरान आईटीबीपी के महानिदेशक एसएस देसवाल भी उपस्थित रहे। धामी और देसवाल ने पासिंग आउट परेड और सत्यापन समारोह के बाद दोनों महिला अधिकारियों प्रकृति और दीक्षा को अर्धसैनिक बल में शुरुआती स्तर के अधिकारी रैंक सहायक कमांडेंट के पद से नवाजा। कार्यक्रम में दोनों महिला अधिकारियों ने देश सेवा की शपथ ली। हम आपको बता दें कि आईटीबीपी ने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित अखिल भारतीय परीक्षा के माध्यम से 2016 से अपने काडर में महिला लड़ाकू अधिकारियों की भर्ती शुरू की। इससे पहले यह केवल कांस्टेबल रैंकों में महिलाओं की भर्ती करता था।

भारतीय नौसेना के बल में होगी भारी वृद्धि

इस बीच, भारत के पहले स्वदेशी विमान वाहक (आईएसी) विक्रांत ने पांच दिवसीय अपनी पहली समुद्री यात्रा रविवार को सफलतापूर्वक पूरी कर ली और इस 40,000 टन वजनी युद्धपोत की प्रमुख प्रणालियों का प्रदर्शन संतोषजनक पाया गया। अधिकारियों ने बताया कि इस विमानवाहक पोत ने समुद्र में अहम परीक्षण के लिए बुधवार को यात्रा शुरू की थी। 23,000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुए ‘विक्रांत’ को अगले साल अगस्त तक नौसेना में शामिल करने की योजना है। समुद्री परीक्षण के दौरान इस पोत के ढांचे, मुख्य प्रणोदन, ऊर्जा निर्माण एवं वितरण (पीजीडी) तथा सहायक उपकरणों सहित इसके प्रदर्शन का परीक्षण किया गया। ‘विक्रांत’ को भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ 'आजादी का अमृत महोत्सव' के उपलक्ष्य में होने वाले समारोहों के साथ नौसेना में शामिल करने का लक्ष्य रखा जा रहा है।

आईएसी विक्रांत की खासियतें

इस युद्धपोत से मिग-29 के लड़ाकू विमान, कामोव-31 हेलीकॉप्टर, एमएच-60आर बहु-भूमिका हेलीकॉप्टर उड़ान भर सकेंगे। इसमें 2,300 से अधिक डिब्बे हैं, जिन्हें चालक दल के लगभग 1,700 लोगों के लिए डिजाइन किया गया है। इनमें महिला अधिकारियों के लिए विशेष कैबिन भी शामिल हैं। गौरतलब है कि इसी नाम के एक जहाज ने 50 साल पहले 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। जहां तक इस विमानवाहक जहाज की बात है तो यह करीब 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। इसकी ऊंचाई 59 मीटर है। इसका निर्माण 2009 में शुरू हुआ था। इसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने निर्मित किया है। इसे 2022 में नौसेना में शामिल किए जाने से पहले समुद्र में कई परीक्षण किए जाएंगे। देखा जाये तो भारत के पास अभी सिर्फ एक विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विक्रमादित्य’ है। उल्लेखनीय है कि भारतीय नौसेना, हिंद महासागर क्षेत्र में सैन्य मौजूदगी बढ़ाने की चीन की बढ़ती कोशिशों के मद्देनजर अपनी संपूर्ण क्षमता महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने पर जोर दे रही है। हिंद महासागर, देश के रणनीतिक हितों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

-नीरज कुमार दुबे

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