दिल्ली में भाजपा हर्षवर्धन या मनोज तिवारी में से ही किसी को बनायेगी CM उम्मीदवार

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संतोष पाठक । Jan 4 2020 3:59PM

दिल्ली में मुख्य मुकाबला दो ही पार्टी के बीच माना जा रहा है। आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी। यह तय है कि दिल्ली में कांग्रेस तीसरे नंबर पर ही रहने जा रही है और मुख्यमंत्री किसका होगा, इसकी मुख्य लड़ाई आप और भाजपा के बीच ही होनी है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारी जोर-शोर से की जा रही है। एक तरफ अरविंद केजरीवाल हैं जो 'अच्छे बीते 5 साल– लगे रहो केजरीवाल' के नारे के सहारे एक बार फिर से दिल्ली की जनता को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं तो दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी है जो दिल्ली में 21 वर्ष के वनवास को हर हाल में खत्म करना चाहती है। तीसरी तरफ कांग्रेस है जो दिल्ली में फिर से स्वर्गीय शीला दीक्षित के गौरव वाले दिनों को वापस पाना चाहती है। तीनों ही दल जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं लेकिन दिल्ली में मुख्य मुकाबला दो ही पार्टी के बीच माना जा रहा है। आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी। यह तय है कि दिल्ली में कांग्रेस तीसरे नंबर पर ही रहने जा रही है और मुख्यमंत्री किसका होगा, इसकी मुख्य लड़ाई आप और भाजपा के बीच ही होनी है।

अरविंद केजरीवाल भी इस बात को बखूबी समझते हैं। इसलिए वो बीजेपी पर वही दांव अपना रहे हैं जो बीजेपी लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पर आजमाती रही है। केजरीवाल बार-बार बीजेपी आलाकमान को चुनौती दे रहे हैं कि उनकी तरफ से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा ? दिल्ली की जनता के सामने वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं तो उनके विकल्प के रूप में बीजेपी किसको पेश कर रही है ?

इसी सवाल को लेकर केजरीवाल और उनकी पार्टी का हर छोटा-बड़ा नेता बीजेपी को घेरने की कोशिश करता है। कई बार तो आम आदमी पार्टी खुद से ही बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम भी तय कर लेती है और फिर उसे सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर केजरीवाल को बड़ा साबित करने की कोशिश में जुट जाती है।

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दूसरी तरफ बीजेपी की बात करें तो उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली में 21 वर्षों के वनवास को खत्म करना है। इसलिए इस बार दिल्ली में बीजेपी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। हालांकि, दिल्ली में बीजेपी आलाकमान को अभी यह तय करना है कि वो हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड, गुजरात जैसे राज्यों की तर्ज पर सीएम का चेहरा सामने रख कर चुनाव लड़े या फिर 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तर्ज पर सामूहिक यानि कई चेहरों को सामने रखकर चुनावी मैदान में उतरे। बताया जा रहा है कि बीजेपी आलाकमान दिल्ली में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम का ऐलान करने पर गंभीरता से विचार कर रही है।

ऐसे में अब सवाल यही उठ रहा है कि डॉ. हर्षवर्धन, मनोज तिवारी, मीनाक्षी लेखी, प्रवेश वर्मा या फिर कोई और... आखिर कौन होगा दिल्ली में बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार ? क्योंकि यही वो सवाल है जो लगातार आम आदमी पार्टी भाजपा से पूछ रही है लेकिन भाजपा खेमे से इसका जवाब अब तक नहीं आया है। कहने को तो दिल्ली में भाजपा के पास कई चेहरे हैं लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि हर चेहरे की अपनी खासियत और कमियां भी हैं। सबसे पहले बात उस चेहरे की कर लेते हैं जिससे बहस करने की चुनौती हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दी थी, यह चेहरा हैं प्रवेश वर्मा।

प्रवेश वर्मा दिल्ली से बीजेपी सांसद हैं, पूर्व मुख्यंमत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं। प्रवेश वर्मा दिल्ली में बीजेपी के जाट चेहरे के बड़े नेता के तौर पर स्थापित होते जा रहे हैं लेकिन इनकी दावेदारी के सामने सबसे बड़ा संकट है दिल्ली की जनसंख्या का समीकरण। हरियाणा में गैर जाट मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र में गैर-मराठी सीएम और झारखंड में गैर आदिवासी नेता को मुख्यमंत्री बनाने का नुकसान बीजेपी उठा चुकी है। इन तीनों राज्यों के नतीजों ने बीजेपी आलाकमान को यह समझा दिया है कि राज्य की जनसंख्या के समीकरण को नजरअंदाज करना ठीक नहीं है और यही सच प्रवेश वर्मा की दावेदारी के लिए सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है। 

अब बात करते हैं मीनाक्षी लेखी की...दिल्ली से लोकसभा सांसद हैं। वकील हैं, संभ्रांत पढ़ी लिखी महिला की छवि है। दिल्ली में लगातार सक्रिय भी नजर आती हैं। कई बार दिल्ली सरकार और अरविंद केजरीवाल से सीधी टक्कर लेती भी दिखाई देती हैं लेकिन इनकी दावेदारी के लिए भी सबसे बड़ी समस्या है- दिल्ली का पूर्वांचल बहुल होना। पंजाबी वोट बैंक के साथ जब तक पूर्वांचली वोटरों का समूह नहीं जुड़ेगा तब तक दिल्ली में चुनाव जीतना मुश्किल है।

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इसलिए दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और लोकसभा सांसद मनोज तिवारी इस रेस में सबसे आगे चल रहे हैं। उन्हें पूर्वांचल वोट बैंक को साधने के लिए ही दिल्ली की राजनीति में लाया गया था और उन्होंने अपनी लोकप्रियता साबित भी की है। लेकिन मनोज तिवारी की दावेदारी के सामने सबसे बड़ा संकट है कि उनका संघ का बैकग्राउंड नहीं है। दिल्ली में हमेशा से वही नेता बीजेपी का नेतृत्व करता रहा है जो संघ के काफी नजदीक रहा है और इसी का खामियाजा मनोज तिवारी को उठाना पड़ सकता है।

अब बात करते हैं दिल्ली में बीजेपी के पुराने चेहरे...डॉ. हर्षवर्धन की। ये दिल्ली की राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं। 1993 में दिल्ली की भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वर्तमान में दिल्ली से लोकसभा सांसद हैं और मोदी सरकार में केन्द्रीय मंत्री के तौर पर काम कर रहे हैं। डॉ. हर्षवर्धन, दिल्ली के मिडिल क्लास वर्ग के चहेते भी हैं। एक बार बीजेपी ने इन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा भी बनाया था। साफ-सुथरी छवि के कारण ये भी मुख्यमंत्री पद की रेस में आगे चल रहे हैं।

बताया जा रहा है कि 14 जनवरी के बाद बीजेपी इसे लेकर अंतिम फैसला कर सकती है कि वह सामूहिक नेतृत्व को लेकर विधानसभा चुनाव लड़े या फिर एक चेहरे को आगे रखकर। अगर पार्टी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम का ऐलान करने का फैसला करती है तो इस रेस में मनोज तिवारी और डॉ. हर्षवर्धन ही सबसे आगे बताए जा रहे हैं। लेकिन इनकी घोषणा से पहले बीजेपी को तय करना है कि वो एक चेहरे के साथ चुनाव में उतरे या फिर कई चेहरे के साथ।

-संतोष पाठक

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