भारत विरोध की भड़ास हिंदुओं पर अत्याचार करके निकाल रहा है पाकिस्तान

hindu temples in Pakistan

हमले के बाद जब पाकिस्तान को लगा कि दुनिया भर में इस घटना की निंदा होगी तो उसने आनन-फानन में पाकिस्तानी रेंजर्स को हिंदू मंदिर के इर्द-गिर्द तैनात कर दिया। अदालत ने इस मामले का स्वतः संज्ञान ले लिया और सरकार ने मंदिर को ठीक कराने का आश्वासन दिया।

पाकिस्तान में ना तो हिंदू सुरक्षित हैं और ना ही अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोग। कभी हिंदू लड़कियों का जबरन धर्मांतरण करवा कर उनका अधेड़ के साथ निकाह करवा दिया जाता है तो कभी हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुँचाया जाता है। पाकिस्तान जोकि अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते आतंकवाद पर 'दिखावे की कार्रवाई' आजकल करने को मजबूर हुआ है अब वह अपने भारत विरोध की भड़ास हिंदुओं पर अत्याचार करके निकाल रहा है। पाकिस्तान की सरकार अब गणेश मंदिर पर हमले की निंदा कर रही है, वहां की अदालत मंदिर पर हमले के मामले का स्वतः संज्ञान ले रही है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पहले भी हिंदू मंदिरों पर हमले की सिर्फ निंदा ही की गयी जब हमलावरों को दंड देने की बात आती है तो पाकिस्तान की सरकार और अदालतें बगले झांकने लगते हैं।

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हमला कैसे और क्यों हुआ?

जहाँ तक इस हालिया हमले की बात है तो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भीड़ ने गणेश मंदिर पर हमला कर दिया, मूर्तियों को खंडित कर दिया और मंदिर के कुछ हिस्से को जला दिया। पुलिस ने बताया कि रहीम यार खान जिले के भोंग शहर में भीड़ ने इस सप्ताह बुधवार को हिंदू मंदिर पर हमला किया। यह स्थान लाहौर से करीब 590 किलोमीटर दूर है। पुलिस ने बताया कि कुछ लोगों के उकसाने पर भीड़ ने इस घटना को अंजाम दिया। इस इलाके में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग दशकों से शांतिपूर्ण तरीके से रहते आए हैं। लेकिन अब हिंदुओं के खिलाफ स्थानीय लोगों को भड़काया जा रहा है। मंदिर पर हमले के दौरान हमलावरों ने डंडे, पत्थर और ईंटें उठा रखी थीं। उन्होंने धार्मिक नारे लगाते हुए देवी-देवताओं की मूर्तियां खंडित कर दीं और मंदिर के एक हिस्से को आग लगा दी।

मुँह छिपाने में लग गया पाकिस्तान

इस हमले के बाद जब पाकिस्तान को लगा कि दुनिया भर में इस घटना की निंदा होगी तो उसने आनन-फानन में पाकिस्तानी रेंजर्स को हिंदू मंदिर के इर्द-गिर्द तैनात कर दिया। अदालत ने इस मामले का स्वतः संज्ञान ले लिया और सरकार ने मंदिर को ठीक कराने का आश्वासन दिया। लेकिन कोई इस आश्वासन पर कैसे भरोसा करेगा क्योंकि पाकिस्तान में जो मंदिर तोड़े गये हैं वह वापस नहीं बनाये गये। पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश ने न्यायालय के समक्ष इस विषय को सूचीबद्ध करते हुए पंजाब के मुख्य सचिव और राज्य के पुलिस महानिरीक्षक को एक रिपोर्ट के साथ हाजिर होने को कहा है। लेकिन यह सब कुछ सिर्फ दिखावा ही है क्योंकि दिसंबर 2020 में खैबर पख्तूनख्वा के कारक जिले में टेरी गांव में भीड़ ने करीब एक सदी पुराने हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की थी। पाकिस्तान के शीर्ष न्यायालय ने उस घटना पर भी संज्ञान लिया था लेकिन आज तक उस मामले में किसी को सजा नहीं हुई और सजा भी तो तब होती जब किसी की गिरफ्तारी हुई होती।

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भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराया

पाकिस्तान में हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ किये जाने पर भारत ने पाकिस्तानी उच्चायोग के प्रभारी को तलब किया और इस ‘‘निंदनीय घटना’’ को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया। साथ ही भारत ने कहा कि पाकिस्तान में बगैर उकसावे के लगातार हिंसा की घटनाएं और अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न हो रहा है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता और उनके धार्मिक स्थलों पर हमले चौंकाने वाली दर से बढ़ने तथा वहां की सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने का जिक्र करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि इस्लामाबाद से उसके अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि भीड़ ने इलाके में आसपास मौजूद हिंदू समुदाय के लोगों के घरों पर भी हमला किया। बागची ने कहा कि पाकिस्तान में हुई इस निंदनीय घटना को लेकर तथा अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक स्वतंत्रता एवं उनके धार्मिक स्थलों पर लगातार हो रहे हमलों पर अपनी गंभीर चिंता प्रकट करते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया गया है। बागची ने उपासना स्थलों पर हमलों सहित अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा, भेदभाव और उत्पीड़न का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले साल ही, जनवरी 2020 में सिंध में माता रानी भटियानी मंदिर पर, जनवरी 2020 में गुरुद्वारा श्री जन्म स्थान पर, दिसंबर 2020 में खैबर पख्तूनख्वा के कारक में एक हिंदू मंदिर सहित कई मंदिरों और गुरुद्वारों पर हमला किया गया था।

इमरान खान की झूठी दिलासा

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्वीट किया, ‘‘गणेश मंदिर पर हुए हमले की सख्त निंदा करता हूं। मैंने पंजाब के आईजी (पुलिस महानिरीक्षक) से बात की है और सभी दोषियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने तथा किसी पुलिस लापरवाही के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। सरकार मंदिर का जीर्णोद्धार भी कराएगी।’’ अब इमरान खान जीर्णोद्धार की बात करके भले अल्पसंख्यकों के मन में झूठी दिलासा देने का प्रयास करें लेकिन हकीकत यही है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार तेजी से बढ़े हैं साथ ही मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई लड़कियों का जमकर धर्मांतरण कराया गया है। इस वजह से अल्पसंख्यकों के मन में असुरक्षा की भावना भी तेजी से बढ़ी है। पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार के कार्यकाल में कट्टरपंथियों के हौसले तेजी से बुलंद हुए हैं। वहां ना तो अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कोई कानून है ना ही अल्पसंख्यकों की शिकायतों पर पुलिस कोई ध्यान देती है इसलिए चाहे इमरान की सरकार दिलासा दे दे या फिर वहां की अदालतें भरोसा दिला दें लेकिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के हित कतई सुरक्षित नहीं हैं।

बहरहाल, हाल ही में मानवाधिकार संस्था मूवमेंट फॉर सॉलिडैरिटी एंड पीस ने अपने एक अध्ययन में बताया था कि पाकिस्तान में हर साल 1000 से ज्यादा ईसाई और हिंदू महिलाओं या लड़कियों का अपहरण किया जाता है। हालांकि यह वह आंकड़े थे जिनका पुलिस के पास रिकॉर्ड है, ऐसे असंख्य मामले हैं जिनको पुलिस दर्ज ही नहीं करती है। संस्था ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवा कर निकाह करवा दिया जाता है। संस्था ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा था कि ज्यादातर पीड़िताओं की उम्र 12 साल से 25 साल के बीच में होती है। कहा जा सकता है कि समय की जरूरत है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इस मामले पर तत्काल ध्यान दे और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और उनके धर्मस्थलों पर हमले बंद करवाने के लिए इस्लामाबाद पर दबाव डाले।

-नीरज कुमार दुबे

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