मलेरिया परजीवी पर अध्ययन के लिए सीडीआरआई की वैज्ञानिक को प्रतिष्ठित फेलोशिप

Dr Saman Habib

डॉ समन हबीब सीडीआरआई के आणविक जीवविज्ञान विभाग की मुख्य वैज्ञानिक एवं सीएसआईआर से संबद्ध एकेडेमी ऑफ साइंटिफिक ऐंड इनोवेटिव रिसर्च (AcSIR) में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की लखनऊ स्थित प्रयोगशाला केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) की वैज्ञानिक डॉ समन हबीब को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के फेलो के रूप में चयनित किया गया है। मलेरिया परजीवी की कार्यप्रणाली समझने के लिए किए गए डॉ हबीब के उत्कृष्ट अनुसंधान कार्य के फलस्वरूप उन्हें भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, नई दिल्ली के फेलो के रूप में चयनित किया गया है।

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डॉ समन हबीब सीडीआरआई के आणविक जीवविज्ञान विभाग की मुख्य वैज्ञानिक एवं सीएसआईआर से संबद्ध एकेडेमी ऑफ साइंटिफिक ऐंड इनोवेटिव रिसर्च (AcSIR) में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। उनका अध्ययन मुख्य रूप से प्लाज्मोडियम के अवशेष प्लास्टिड (एपिकोप्लास्ट) के आणविक कामकाज को समझने पर केंद्रित है। उनकी शोध टीम प्लाज्मोडियम ऑर्गनेल्स द्वारा नियोजित प्रोटीन ट्रांसलेशन की क्रियाविधि का अध्ययन कर रही है। उनके शोध क्षेत्र में मानव आनुवंशिक कारक तथा भारत के स्थानिक और गैर-स्थानिक क्षेत्रों में प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम मलेरिया के प्रति गंभीर संवेदनशीलता का अध्ययन शामिल है।

डॉ हबीब वर्ष 2016 में भारतीय विज्ञान अकादमी, बंगलुरु की फेलो रह चुकी हैं। वर्ष 2015 में वह नेशनल एकेडेमी ऑफ साइंसेज इंडिया, इलाहाबाद की फेलो रह चुकी हैं। इसके पहले डॉ समन हबीब को वर्ष 2012 में राष्ट्रीय महिला जैव-वैज्ञानिक पुरस्कार (जैव प्रौद्योगिकी विभाग), वर्ष 2008 में प्रोफेसर बी.के. बछावत मेमोरियल लेक्चर अवॉर्ड (राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी) और वर्ष 2001 में सीएसआईआर-यंग साइंटिस्ट अवार्ड मिल चुका है।

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वर्ष 1935 में स्थापित भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी द्वारा दी जाने वाली यह फेलोशिप बेहद प्रतिष्ठित मानी जाती है। स्थापित भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की स्थापना भारत में विज्ञान को बढ़ावा देने और मानवता एवं राष्ट्रीय कल्याण के लिए वैज्ञानिक ज्ञान के दोहन के उद्देश्य से की गई थी।

इंडिया साइंस वायर

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