धातु पाउडर बनाने की वैकल्पिक तकनीक विकसित

metal powder
LAMFiP, IISc

मेटल 3डी प्रिंटिंग में आमतौर पर उपयोग होने वाली परमाणुकरण तकनीक की एक सीमा यह है कि इससे बेहतर परिणाम नहीं मिलते, यह महंगी पड़ती है, और विभिन्न सामग्री प्रकारों के उपयोग में इसमें लचीलापन भी नहीं है।

त्रिविमीय (Three Dimensional) वस्तुओं के निर्माण के लिए 3डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग बढ़ रहा है। एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसे मेटल 3डी प्रिंटिंग के रूप में जाना जाता है। 3डी प्रिंटिंग की इस तकनीक में मेटल प्रिंटिंग सामग्री की परत बनाकार वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग की एक प्रमुख स्रोत सामग्री धातु पाउडर है, जिसे मुख्य रूप से परमाणुकरण (Atomization) तकनीक द्वारा उत्पादित किया जाता है। इस प्रविधि में पिघली धातु हवा या पानी के द्रुत प्रवाह में टूटकर पहले तरल सूक्ष्म बूंदों में रूपांतरित होती है, जो अंत में ठोस होकर पाउडर बन जाती है।

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मेटल 3डी प्रिंटिंग में आमतौर पर उपयोग होने वाली परमाणुकरण तकनीक की एक सीमा यह है कि इससे बेहतर परिणाम नहीं मिलते, यह महंगी पड़ती है, और विभिन्न सामग्री प्रकारों के उपयोग में इसमें लचीलापन भी नहीं है। भारतीय शोधकर्ताओं ने 3डी प्रिंटिंग में उपयोग होने वाले धातु पाउडर बनाने के लिए अब एक वैकल्पिक तकनीक की पहचान की है, जो इन समस्याओं को दूर कर सकती है। यह अध्ययन, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलूरु के प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर कौशिक विश्वनाथन के नेतृत्व में किया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि बायोमेडिकल इम्प्लांट्स के निर्माण जैसे क्षेत्रों सहित सामान्य एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रियाओं में इसका व्यापक असर पड़ सकता है। 

मेटल ग्राइंडिंग उद्योग से निकले अपशिष्ट उत्पाद, जिसे स्वार्फ कहते हैं, को फेंक दिया जाता है। आमतौर पर ये धातु चिप्स आकार में रेशेदार, और कभी-कभी पूरी तरह गोलाकार कण जैसे होते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ये पिंड गोलाकार आकार लेने के लिए पिघलने की प्रक्रिया से गुजरते हैं, जिससे कुछ दिलचस्प सवाल उठते हैं, जैसे- क्या ग्राइंडिंग की गर्मी पिघलने का कारण बनती है? शोधकर्ताओं ने दिखाया है कि ये पाउडर धातु-पिंड सतह की परत पर ऑक्सीकरण से निकली उच्च गर्मी, जो एक्ज़ोथिर्मिक प्रतिक्रिया है, के कारण पिघलने से बनते हैं। उन्होंने बड़े पैमाने पर गोलाकार कण युक्त पाउडर बनाने के लिए इस प्रक्रिया को परिष्कृत किया है, जिसे एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग में स्टॉक सामग्री के रूप में उपयोग करने के लिए संसाधित किया जाता है। इस अध्ययन से पता चला है कि ये कण धातु एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग में कमर्शियल गैस से विखंडित पाउडर के समान ही कार्य करते हैं।

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आईआईएससी के सेंटर फॉर प्रोडक्ट डिजाइन ऐंड मैन्युफैक्चरिंग में पीएचडी शोधार्थी और अध्ययनकर्ताओं में शामिल प्रीति रंजन पांडा कहती हैं, “हमारे पास धातु पाउडर बनाने के लिए एक वैकल्पिक, अधिक किफायती, और स्वाभाविक रूप से बड़े पैमाने पर उपयोग करने योग्य पद्धति है, जो अंततः पाउडर की गुणवत्ता बनाए रखने में सक्षम है।"

आईआईएससी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में पीएचडी शोधार्थी हरीश सिंह धामी कहते हैं, "एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया की लागत कम करने से (किफायती पाउडर के माध्यम से) बायोमेडिकल इम्प्लांट के निर्माण जैसी स्थितियों में सामग्री की सीमा को विस्तारित किया जा सकता है। इससे बायोमेडिकल इम्प्लांट सस्ता और अधिक सुलभ हो सकता है।" शोधकर्ताओं का कहना है कि घर्षण का उपयोग करके बने धातु पाउडर का अन्य अनुप्रयोगों, जैसे-विमान के इंजन में भी उपयोग हो सकता है, जहाँ उच्च स्तर की विशिष्टता एवं परिष्कार की आवश्यकता होती है।

(इंडिया साइंस वायर)

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