परीक्षा से घबराएँ नहीं, यह तरकीबें अपनाएँ- फायदा होगा

Do not be afraid of the exam, adopt these tricks- it will be useful
शुभा दुबे । Mar 5 2018 10:34AM

सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएँ शुरू हो गयी हैं और बच्चों से ज्यादा अभिभावक इस बात की चिंता में हैं कि उनके बच्चे का पेपर कैसा होगा। अभिभावकों को दिन भर यही चिंता सताती रहती है कि बच्चे का भविष्य कैसा होगा?

सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएँ शुरू हो गयी हैं और बच्चों से ज्यादा अभिभावक इस बात की चिंता में हैं कि उनके बच्चे का पेपर कैसा होगा। अभिभावकों को दिन भर यही चिंता सताती रहती है कि बच्चे का भविष्य कैसा होगा? इसलिए वह चाहते हैं कि बच्चा अन्य गतिविधियों को छोड़ कर सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे। दरअसल आज के युग में प्रतिस्पर्धा इतनी ज्यादा है कि अच्छा कॅरियर बनाने के लिए पढ़ाई में सिर्फ अच्छा होना ही नहीं प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होना भी जरूरी बना दिया गया है। बात सिर्फ कॅरियर बनाने की ही नहीं है 12वीं के छात्रों को सबसे ज्यादा चिंता इस बात की रहती है कि यदि परीक्षा में प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण नहीं हुए तो अच्छे कॉलेज में दाखिला नहीं मिलेगा और यदि टॉप के कॉलेज में दाखिला नहीं मिला तो टॉप की नौकरी भी मिलनी मुश्किल हो जायेगी।

सोशल स्टेटस बनाना गलत

इसके अलावा हमारे समाज में एक और बड़ी समस्या तब खड़ी हो जाती है जब परीक्षा के अंकों को सोशल स्टेटस से जोड़ दिया जाता है। कई अभिभावकों में यह आदत देखी जाती है कि वह दूसरे बच्चों से अपने बच्चे की तुलना करने लगते हैं और दूसरे को ज्यादा तेज और अपने वाले को गैर जिम्मेदार बताने लगते हैं। इससे बच्चे में हीन भावना भी आती है और वह अवसाद से ग्रस्त भी हो सकता है। इसलिए इस तरह की तुलना से बचना चाहिए। इसके साथ ही जब कोई बच्चा अच्छे अंक लाता है तो अभिभावक इसे दूसरों से शेयर करते हैं ऐसे में अन्य अभिभावकों की अपने बच्चों से और अच्छा प्रदर्शन करने की चाहत बढ़ जाती है।

परीक्षा का हौवा

जहाँ तक परीक्षा के दौरान तनाव मुक्त रहने की बात है तो वह इतना आसान नहीं है क्योंकि यदि आपने साल भर पढ़ाई नहीं की है तो अब एकदम से सब कुछ पढ़ लेना बड़ी चुनौती है। जो बच्चे साल भर अच्छी तरह पढ़ाई करते भी रहे हैं वह परीक्षा के हौवे से परेशान रहते हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे उपायों के बारे में जो ना सिर्फ आपको पढ़ाई के दौरान मदद करेंगे बल्कि आपको कुछ हद तक तनाव मुक्त भी रखेंगे।

-परीक्षा के दिनों में बच्चों को ज्यादा समय दें। भले आपने उनके लिए ट्यूशन लगा रखी हो या बच्चा खुद से पढ़ लेता हो लेकिन कुछ समय निकाल कर बच्चे से उसको पेश आ रही मुश्किलों के बारे में पूछें और कम से कम एक घंटे तक उसके साथ बैठ कर उसकी रिवीजन कराएँ।

-यदि परीक्षाओं के बीच में तैयारी के लिए अवकाश है तो यह और भी अच्छा है। आप खुद बच्चे के लिए दो-तीन तरह के प्रश्नपत्र तैयार कर उसकी परीक्षा ले सकते हैं इससे अच्छी रिवीजन हो जाती है।

-ज्यादातर देखने में आता है कि बच्चे अपनी पुस्तकों और नोटबुकों को लेकर लापरवाह रहते हैं इसलिए परीक्षाएँ शुरू होने से पहले खुद चेक करें कि बच्चे की पुस्तकें और नोटबुकें उसके पास हैं या नहीं। कई बार बच्चे किसी दोस्त को देकर भूल जाते हैं तो कभी नोटबुक टीचर के पास चेक होने के लिए पड़ी रहती है। कई बार ऐसा भी होता है कि बच्चे डर के मारे अंत तक यह बताते ही नहीं कि उनकी नोटबुक नहीं मिल रही है। यदि आप पहले ही जाँच लेंगे कि पुस्तक या नोटबुक है या नहीं तो मुश्किल नहीं होगी।

-परीक्षाएँ चल रही हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि बच्चों को मनोरंजन और खेल से एकदम दूर कर दिया जाये। कुछ समय टीवी पर मनोरंजक कार्यक्रम देखने या मोबाइल फोन पर गेम खेलने से बच्चे का मूड फ्रैश हो सकता है।

-परीक्षा से एक रात पहले बच्चे को देर तक पढ़ाने की बजाय उसे समय पर सुला दें ताकि वह सुबह तरोताजा दिमाग के साथ परीक्षा के सवालों का सामना कर सके।

-परीक्षा चल रही हो या नहीं बच्चे की राइटिंग सुधारने के लिए उसे नियमित लेखन अभ्यास कराते रहेंगे तो अच्छा रहेगा। अच्छी राइटिंग के भी अंक मिलते हैं।

-किसी भी विषय की पढ़ाई शुरू करने से पहले उसे हिस्सों में बांट लें। पहले सबसे कठिन हिस्से से शुरुआत करें और सबसे सरल हिस्से को अंत में पढ़ें।

-पिछली परीक्षाओं के दौरान आये प्रश्नपत्रों को बड़ी कक्षाओं के छात्रों से हासिल कर लें या फिर यह इंटरनेट पर भी मिल जाते हैं। इनसे नियमित अभ्यास करें और प्रश्नों को हल करने की अपनी स्पीड बढ़ाएं।

-घर में मेहमान आदि ज्यादा आते हैं तो परीक्षाओं के दौरान इस पर थोड़ा रोक लगा दें और घर पर पार्टी वगैरह आयोजित करने से बचें ताकि शांत वातावरण में बच्चा पढ़ाई कर सके।

-घर में तनाव का माहौल न रखें। यदि किसी बात को लेकर मतभेद है तो भी माता-पिता वाद-विवाद नहीं करें। घर का माहौल खुशनुमा रखें।

-बच्चों के स्वास्थ्य का खास ख्याल रखें। उन्हें तला भुना खाने को नहीं दें और बाहर का खाना खिलाने से भी बचें। बच्चे को नाश्ता और खाना समय पर देना चाहिए। सुबह-शाम दूध जरूर दें। साथ ही उसे कुछ समय व्यायाम करने के लिए भी कहें।

-शुभा दुबे

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