जन्माष्टमी पर्व पर गलती से भी नहीं करें यह सब, लग सकता है पाप

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शुभा दुबे । Sep 1 2018 2:27PM

कई बार देखने में आता है कि आपने सच्चे मन से जन्माष्टमी का व्रत रखा और विधि विधान से पूजन भी किया लेकिन आपको अभीष्ट फल की प्राप्ति नहीं हुई। इसके लिए कारण माना जाता है कि आपसे जरूर कोई ना कोई चूक हुई होगी।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर भक्तों के सभी पाप दूर हो जाते हैं, उनके बिगड़े काम बनते हैं और भगवद् कृपा से जीवन हमेशा खुशहाल रहता है। कई बार देखने में आता है कि आपने सच्चे मन से जन्माष्टमी का व्रत रखा और विधि विधान से पूजन भी किया लेकिन आपको अभीष्ट फल की प्राप्ति नहीं हुई। इसके लिए कारण माना जाता है कि आपसे जरूर कोई ना कोई चूक हुई होगी जिससे आपकी पूजा सफल नहीं रही। इसलिए हम आपको यहां कुछ सावधानियां और उपाय बता रहे हैं जिनका उपयोग आप अवश्य करें।

यह कुछ उपाय आप जन्माष्टमी पर जरूर करें-

-श्रीराधा-कृष्ण के मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण को पीले फूलों की माला अर्पण करें।

-श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण को पीले रंग के कपड़े, पीले अनाज, पीले फल और पीली मिठाई चढ़ाएं।

-भगवान श्रीकृष्ण को साबुदाने अथवा चावल की खीर का भोग लगाएं, खीर में चीनी के बजाय मिश्री डालें और तुलसी दल भी मिश्रित करें।

-दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करें।

-रात बारह बजे, जिस समय भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था उस समय दूध में केसर मिलाकर श्रीकृष्ण का अभिषेक करना चाहिए।

-भगवान श्रीकृष्ण को पानी वाला नारियल व केला अर्पित करें।

-जन्माष्टमी के दिन अपने घर में 7 कन्याओं को बुलाकर उन्हें सफेद मिठाई या फिर खीर खिलाएं साथ ही उन्हें कुछ उपहार भी दें इससे रुके हुए कार्य बनने लगेंगे।

-शाम के समय तुलसीजी के सामने घी का दीपक जलाएं और ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए तुलसी के पौधे की 11 बार परिक्रमा करें। इससे घर में सुख शांति का वास होता है।

यह सब बातें जरूर ध्यान रखें-

-व्रत के एक दिन पहले से ही सदाचार का पालन करें।

-अगर आपने व्रत नहीं भी रखा है तो भी इस दिन लहसुन, मांस मदिरा, पान सुपारी और तंबाकू आदि का सेवन नहीं करें।

-व्रत रखा है तो अपने मन में कामभाव और भोग विलास के विचार तक नहीं लासाएं।

-इस दिन मूल और मसूर दल के सेवन से भी दूर रहें।

-ध्यान रखें आपको व्रत मध्यरात्रि में पूजा और भगवान को भोग लगाने के बाद ही खोलना है।

-शुभा दुबे

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