'एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध' के विरुद्ध मिलकर काम करेंगे भारत-हॉलैंड
'डब्ल्यूएएच! एक्सेलरेटर' नामक इस संयुक्त कार्यक्रम के अंतर्गत, एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के विरुद्ध 'वन हेल्थ' के दृष्टिकोण से जल, कृषि, पशु और मानव स्वास्थ्य के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों के विकास और सह-निर्माण के लिए संयुक्त प्रयास किये जाएंगे।
भारत और हॉलैंड के बीच द्विपक्षीय साझेदारी के अंतर्गत, भारत सरकार के जैव-प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा समर्थित- सेंटर फॉर सेल्युलर ऐंड मॉलेक्यूलर प्लेटफॉर्म्स (C-CAMP) और नीदरलैंड्स के संस्थान एनएडीपी (नीदरलैंड्स एंटीबायोटिक डेवलपमेंट प्लेटफॉर्म्स) तथा एएमआर ग्लोबल के बीच एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance) की चुनौती से निपटने के लिए साझा प्रयास करने पर सहमति बनी है।
'डब्ल्यूएएच! एक्सेलरेटर' नामक इस संयुक्त कार्यक्रम के अंतर्गत, एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के विरुद्ध 'वन हेल्थ' के दृष्टिकोण से जल, कृषि, पशु और मानव स्वास्थ्य के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों के विकास और सह-निर्माण के लिए संयुक्त प्रयास किये जाएंगे। 'वन हेल्थ' एक समेकित अवधारणा है, जो मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, मिट्टी, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र जैसे विभिन्न विषयों के ज्ञान को कई स्तरों पर साझा करने के विचार पर आधारित है, जो सभी प्रजातियों के स्वास्थ्य में सुधार, रक्षा और बचाव के लिए आवश्यक है।
एंटीमाइक्रोबियल दवाओं का उपयोग मनुष्य, पशुओं और वनस्पतियों को संक्रमण से बचाने और संक्रमित हो जाने की दशा में उसके उपचार में किया जाता है। समय के साथ विषाणु, रोगाणु, कवक और परजीवियों में परिवर्तन आ जाता है। ऐसे में, उन पर प्रचलित एंटीमाइक्रोबियल दवाओं का असर होना बंद हो जाता है। इस स्थिति को 'एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध' कहा जाता है। एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध की स्थिति में संक्रमण का उपचार करना, और उसके प्रसार को रोकना एक कठिन चुनौती बन जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 'एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध' को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए शीर्ष दस खतरों में चिह्नित किया है।
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सी-कैंप द्वारा जारी की गयी विज्ञप्ति के अनुसार 'डब्ल्यूएएच ! एक्सेलरेटर' कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन पिछले दिनों भारत में नीदरलैंड्स के राजदूत मार्टिन वैन डेन बर्ग द्वारा नई दिल्ली में किया गया। इस अवसर पर नीदरलैंड्स के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ब्रूनो ब्रुइंस, नीदरलैंड्स और भारत सरकार के प्रतिनिधियों के अलाव सी-कैंप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सह-निदेशक डॉ तस्लीमारीफ सैयद उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि इस साझा कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत, एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के विरुद्ध एक साझा-मंच बनाने के उद्देश्य को लेकर दोनों देशों के बीच विगत 02 वर्षों की परस्पर साझेदारी का परिणाम है। भारत में नीदरलैंड्स के राजदूत मार्टन वैन डेन बर्ग कहते हैं - "डब्ल्यूएएच ! एक्सेलरेटर भारत और नीदरलैंड के बीच एक अनूठी साझेदारी है, जिसका उद्देश्य मूल्य-श्रृंखला में वन हेल्थ और एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध से संबंधित चुनौतियों का मुकाबला करना है। साझेदारी की परिकल्पना 2019 में राजकीय यात्रा के दौरान की गई थी, और आज यह डब्ल्यूएएच ! के रूप में आकार ले चुकी है। इसे भारत में नीदरलैंड्स इकोनॉमिक नेटवर्क के साथ-साथ नीदरलैंड्स की सरकार का पूरा समर्थन प्राप्त है।"
लॉन्च से एक दिन पहले, सी-कैंप, बेंगलूरु में एक नेटवर्किंग/मैच-मेकिंग इवेंट आयोजित किया गया था। सहयोगी प्रौद्योगिकियों में काम करने वाले नवप्रवर्तकों के बीच संवाद शुरू करने, परस्पर सहयोग की संभावनाओं का पता लगाने, एक-दूसरे के नियामक वातावरण और एक-दूसरे के शैक्षणिक और औद्योगिक शोध एवं विकास इको-सिस्टम को समझने के उद्देश्य से हाइब्रिड स्वरूप में आयोजित इस कार्यक्रम में भारत और नीदरलैंड्स के कुल मिलाकर लगभग 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
सी-कैंप के सीईओ और निदेशक डॉ. तस्लीमारीफ सैयद कहते हैं -"एक आम समस्या का समाधान खोजने के लिए अलग-अलग देश के लोगों के एक साथ काम करने की यह पहल 'वन हेल्थ' दृष्टिकोण के प्रति भारत और नीदरलैंड की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।"
डब्ल्यूएएच! एक्सेलरेटर, एक-दूसरे के स्वास्थ्य और चिकित्सा प्रणाली को समझने के शुरुआती कदम के रूप में सरकारी, व्यावसायिक, शैक्षणिक और निवेशकों के मौजूदा भारत-हॉलैंड नेटवर्क का उपयोग करेगा। संयुक्त-कार्यक्रम की आरंभिक प्राथमिकता सहयोग के शुरुआती सुरक्षित क्षेत्रों को शीघ्रता से चिह्नित करना है।
(इंडिया साइंस वायर)
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