घुटनों की सटीक सर्जरी के लिए विकसित किया नया उपकरण

New equipment developed for exact knee surgery

इस उपकरण की मदद से घुटनों की हड्डी के दो भागों ट्रांसेपिकोंडायलैरैक्सिस (टीईए) और पोस्‍टेरियर कॉन्‍डोलर अक्ष (पीसीए) के बीच के वास्‍तविक कोण का मापन 0.1 डिग्री तक सटीक ढंग से किया जा सकता है।

नवनीत कुमार गुप्ता। (इंडिया साइंस वायर): भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-रोपड़ और चंडीगढ़ स्थित स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पीजीआईएमईआर) के शोधकर्ताओं ने मिलकर एक नया उपकरण विकसित किया है, जो घुटनों की सर्जरी को आसान बना सकता है।

इस उपकरण की मदद से घुटनों की हड्डी के दो भागों ट्रांसेपिकोंडायलैरैक्सिस (टीईए) और पोस्‍टेरियर कॉन्‍डोलर अक्ष (पीसीए) के बीच के वास्‍तविक कोण का मापन 0.1 डिग्री तक सटीक ढंग से किया जा सकता है। इस कोण का पता लगने से घुटनों में कृत्रिम अंग को सही से लगाया जा सकता है। 

पीजीआईएमईआर के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. देवेंद्र कुमार चौहान ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि 'अभी तक घुटनों की सर्जरी करने से पहले सिटी स्कैन की मदद से कोणों को मापा जाता है। लेकिन, सर्जरी के दौरान कोणों को मापने की कोई तकनीक उपलब्ध नहीं है। इस उपकरण की विशेषता यह है कि हम इसका उपयोग सर्जरी के दौरान भी कर सकते हैं। इसके जरिये सर्जरी के दौरान होने वाली पेचीदगियों से बचा जा सकता है।' 

घुटनों की हड्डियों के कोण को मापने के लिए विकसित नया उपकरण

डॉ. चौहान ने बताया कि ‘‘इस उपकरण के पेटेंट के लिए आवेदन किया गया है और परीक्षण सफल होने पर इसका उपयोग अस्पतालों में किया जा सकेगा।’’ डॉ. देवेंद्र कुमार चौहान और आईआईटी-रोपड़ के शोधकर्ता डॉ. प्रबिर सरकार ने मिलकर इस उपकरण को विकसित किया है।

घुटनों के जोड़ से दर्द से निजात पाने या विकलांगता को दूर करने के लिए कई बार घुटनों के जोड़ों को बदलना पड़ता है। इसके लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। सर्जरी के पहले कई प्रकार के परीक्षण किए जाते हैं। ऐसे ही एक परीक्षण में हड्डियों के बीच के कोण को मापा जाता है। 

सही तरीके से मापन न होने के कारण सर्जरी के बाद मरीज को कई तरह की जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें घुटनों में अस्थिरता, गतिशीलता न होना और उभार जैसी समस्‍याएं हो सकती हैं। 

इंसानों में ट्रांसेपिकोंडायलैरैक्सिस (टीईए) और पोस्‍टेरियर कॉन्‍डोलर अक्ष (पीसीए) के बीच का कोण 3-13 डिग्री तक होता है। सर्जरी की सफलता के लिए इस कोण की सटीक जानकारी महत्वपूर्ण होती है। इसलिए इस कोण को सही तरीके से मापे जाने पर विशेष ध्यान दिया जाता है। लगभग पचास प्रतिशत से अधिक रोगियों में यह कोण लगभग 3 डिग्री होता है।

हड्डी के कुछ हिस्सों के काटने के बाद भी, चिकित्सक को कृत्रिम अंग को लगाने से पहले इस कोण के बारे में पता होना चाहिए। आमतौर पर इस कोण का पता लगाने के लिए डॉक्टर सर्जरी के पहले सीटी स्कैन का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन, सर्जरी के दौरान ऐसा करना संभव नहीं हो पाता है और कई बार प्राकृतिक कोण को 3 डिग्री मान लिया जाता है। जिन मरीजों में यह कोण 3 डिग्री का होता है, उन्हें तो सर्जरी के बाद परेशानी नहीं होती। लेकिन, ऐसा नहीं होने पर सर्जरी के बाद मरीजों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। 

डॉ. प्रबिर सरकार ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “इस उपकरण को पहले प्लास्टिक से बनाया गया था लेकिन सर्जरी के दौरान एक बार उपयोग करने के बाद इसे साफ करना पड़ता था। इस समस्या से निपटने के लिए अब उपकरण के निर्माण के लिए स्टैनलैस स्टील का उपयोग किया गया है, जो जैव-अनुकूल पदार्थ माना जाता है।” 

शोधकर्ताओं के मुताबिक इस उपकरण की मदद से कृत्रिम घुटनों को बदलने के लिए की जाने वाली सर्जरी सटीक ढंग से की सकती है। यह उपकरण हल्का और छोटे आकार का है। इसके सरल डिजाइन का उपयोग भी काफी आसान है। शोधकर्ताओं की टीम में आईआईटी-रोपड़ के शोधार्थी अंशु कौशल, जसपाल सिंह, कौस्तुव दास और मिलिंद अग्रवाल भी शामिल थे। (इंडिया साइंस वायर)

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़