कोविड-19 के खिलाफ कार्यस्थलों की तैयारी के आकलन के लिए नया उपकरण

Covid19

व्यावसायिक संगठनों को इस उपकरण के ऑनलाइन लिंक पर जाकर अपने कार्यस्थल और कामकाज के स्वरूप के बारे में जरूरी सूचनाएं भरनी होती हैं। कोविड-19 से लड़ने के लिए संगठन की तत्परता की गणना दस विशिष्ट सूचकांकों का उपयोग करके की जाती है, जिनमें से प्रत्येक में अधिकतम 100 अंक होते हैं।

लॉकडाउन के खत्म होने के साथ यह सुनिश्चित करना जरूरी हो गया है कि कार्यस्थलों पर कोविड-19 से लड़ने की तैयारी किस तरह की है। बंगलूरू स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के शोधकर्ताओं ने इस दिशा में एक नई पहल करते हुए ऐसा ऑनलाइन उपकरण विकसित किया है, जो कोविड-19 से लड़ने में कार्यस्थलों की तैयारी का आकलन करने में मददगार हो सकता है। 

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कर्नाटक के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ मिलकर विकसित किए गए इस उपकरण को कोविड-19 वर्कप्लेस रेडिनेस इंडिकेटर नाम दिया गया है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के सेंटर फॉर नेटवर्क्ड इंटेलिजेंस (सीएनआई) के शोधकर्ताओं ने इस उपकरण को सूचना प्रौद्योगिकी एवं नेटवर्किंग के क्षेत्र में कार्यरत कंपनी सिस्को के कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व के तहत प्राप्त सहयोग से विकसित किया है। 

व्यावसायिक संगठनों को इस उपकरण के ऑनलाइन लिंक पर जाकर अपने कार्यस्थल और कामकाज के स्वरूप के बारे में जरूरी सूचनाएं भरनी होती हैं। कोविड-19 से लड़ने के लिए संगठन की तत्परता की गणना दस विशिष्ट सूचकांकों का उपयोग करके की जाती है, जिनमें से प्रत्येक में अधिकतम 100 अंक होते हैं। इनमें आधारभूत संरचना, सावधानियां, आउटरीच, कर्मचारी संपर्क, परिवहन, भोजनालयों का विवरण और स्वच्छता शामिल हैं। समग्र तत्परता सूचकांक दस व्यक्तिगत तत्परता सूचकांकों का योग होता है। यह उपकरण विभिन्न श्रेणियों में संगठन की तत्परता को प्रदर्शित करता है और एक समेकित रिपोर्ट प्रदान करता है।

इस परियोजना का नेतृत्व कर रहे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के प्रोफेसर राजेश सुंदरेशन ने कहा है कि “एक बार पर्याप्त संख्या में संगठन इस उपकरण का उपयोग करने लगें तो प्रत्येक संगठन यह देख सकता है कि अपने जैसे अन्य संगठनों के बीच वह कहां खड़ा है। इस तरह की तुलना से संगठनों को सक्रिय होने के लिए प्रेरित किया जा सकता है और महामारी को कम करने की दिशा में अधिक सकारात्मक कदम उठाए जा सकते हैं।" 

इस उपकरण को विकसित करने वाले शोधकर्ताओं में शामिल इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के शोधकर्ता निहेश राठौड़ ने बताया कि “यह उपकरण न केवल किसी संगठन की तत्परता के स्कोर को व्यक्त करता है, बल्कि विशिष्ट कमजोरियों की पहचान होने पर कुछ सुझाव भी देता है।” 

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कर्नाटक सरकार ने अनलॉक-1 के दिशा-निर्देशों के अनुसार कामकाज का संचालन शुरू कर रहे राज्य के विभिन्न संगठनों में इस उपकरण के उपयोग की सिफारिश की है। कर्नाटक के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आयुक्त मनोज राजन कहते हैं- "लॉकडाउन के समाप्त होने का मतलब यह नहीं है कि पहले की तरह सबकुछ सामान्य हो गया है। संगठनों को दोबारा कामकाज आरंभ करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। कंपनियों और कार्यस्थलों को स्वास्थ्य के बारे में अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होगी।” 

शोधकर्ताओं का कहना है कि वर्कप्लेस रेडीनेस इंडिकेटर एक सलाहकार उपकरण है, जो संगठनों को उनकी वर्तमान तैयारियों और प्रमुख जोखिम क्षेत्रों को समझने में मदद कर सकता है। यह कामकाजी संगठनों को महामारी से लड़ने के लिए विशिष्ट नीतियों एवं प्रक्रियाओं के निर्धारण तथा आवश्यक प्रबंधन रणनीतियों के निर्माण और उन पर अमल करने में मदद कर सकता है। इससे प्राप्त सुझावों के आधार पर व्यावसायिक संगठन कामकाज की शिफ्ट, सावधानियों और सलाह का निर्धारण कर सकते हैं, जिससे उन्हें व्यावसायिक उद्देश्यों को अधिकतम स्तर तक पूरा करने में मदद मिल सकती है। 

इंडिया साइंस वायर

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