भारतीय वैज्ञानिकों को बैक्‍टीरिया में मिला विटामिन-बी12

Vitamin B12 found in bacteria by Indian scientists

जिस तरह दही जमाने के लिए मित्र बैक्‍टीरिया हमारी मदद करते हैं, ठीक वैसे ही हमारे शरीर में भी कई तरह के बैक्‍टीरिया रहते हैं। भारतीय वैज्ञानिकों ने ऐसे ही एक बैक्‍टीरिया को मानव शरीर से लिए गए नमूनों से अलग किया है, जो विटामिन-बी12 की कमी दूर करने में मददगार साबित हो सकता है।

उमाशंकर मिश्र। (इंडिया साइंस वायर)। जिस तरह दही जमाने के लिए मित्र बैक्‍टीरिया हमारी मदद करते हैं, ठीक वैसे ही हमारे शरीर में भी कई तरह के बैक्‍टीरिया रहते हैं। भारतीय वैज्ञानिकों ने ऐसे ही एक बैक्‍टीरिया को मानव शरीर से लिए गए नमूनों से अलग किया है, जो विटामिन-बी12 की कमी दूर करने में मददगार साबित हो सकता है। करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) के शोधकर्ताओं ने मां के दूध और बच्‍चे के मल के नमूनों से लैक्टोबैसिलस प्लांटैरम नामक बैक्‍टीरिया के दो रूपों को अलग किया है, जो महत्‍वपूर्ण सूक्ष्‍म पोषक तत्‍व विटामिन-बी12 की कमी दूर करने में उपयोगी हो सकते हैं।

बैक्‍टीरिया के 59 रूपों का परीक्षण करने के बाद वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक की मदद से बैक्‍टीरिया के इन दोनों नए रूपों को नमूनों से अलग किया है। अध्‍ययनकर्ताओं की टीम में शामिल डॉ. भारत भूषण ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि ‘‘ये दोनों फूड ग्रेड बैक्‍टीरिया हैं, यानी इनका उपयोग भोजन के घटक के रूप में किया जा सकता है।’’ उन्‍होंने कहा कि ‘‘मानवीय उपभोग के लिए ये बैक्‍टीरिया पूरी तरह सुरक्षित हैं।’’ शोधकर्ताओं के अनुसार मां के दूध के नमूने से पृथक किए गए बी12 के स्रोत बैक्‍टीरिया शिशुओं के स्वस्थ पेट के लिए स्तनपान की सकारात्मक भूमिका को दर्शाते हैं। 

विटामिन-बी 12 एक प्रकार का विटामिन है, जो मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के सामान्य क्रियाकलाप और लाल रक्त कोशिकाओं के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मानव शरीर के भीतर विभिन्‍न एंजाइम आधारित प्रतिक्रियाओं में विटामिन-12 एक प्रमुख घटक के तौर पर शामिल रहता है। इसकी कमी से मनोविकृति के अलावा रक्‍त, तंत्रिका तंत्र, और हृदय संबंधी समस्‍याएं हो सकती हैं। 

शोधकर्ताओं के अनुसार ‘‘भारत में वि‍भिन्‍न आयु वर्ग की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी में विटामिन-बी12 की कमी पाई जाती है। यदि पूरक आहार अथवा अन्‍य खाद्य उत्‍पादों के रूप में बी12 उपलब्‍ध हो जाए तो परिस्थिति में सुधार हो सकता है।’’   

शोधकर्ताओं के अनुसार ‘‘भोजन में विटामिन के घटक के रूप में इन सूक्ष्‍म बैक्‍टीरिया का उपयोग करना प्राकृतिक और आर्थिक लिहाज से एक व्‍यावहारिक विकल्‍प बन सकता है। भविष्‍य में जै‍विक उत्‍पादन की रणनीति के जरिये बी12 के ऐसे स्रोत बैक्‍टीरिया भोजन में विटामिन की बढ़ोतरी करने में मदद कर सकते हैं। इस तरह खाद्य उत्‍पादों में विटामिन-बी12 की मात्रा को बढ़ाकर कई तरह की बीमारियों से बचा सकता है।’’ अध्‍ययनकर्ताओं की टीम में डॉ. भारतभूषण के अलावा डॉ. सुधीर कुमार तोमर और डॉ. सुरजीत मंडल भी शामिल थे। (इंडिया साइंस वायर)

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