कमिटमेंट करो या छोड़ दो, Janhvi Kapoor ने Gen Z के फेवरेट ट्रेंड सिचुएशनशिप को बताया फालतू

बॉलीवुड अभिनेत्री जान्हवी कपूर ने Gen Z के बीच बढ़ते सिचुएशनशिप ट्रेंड को 'फालतू' बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया है। उनका मानना है कि रिश्तों में या तो कमिटमेंट होना चाहिए या कोई रिश्ता नहीं, बीच की अनिश्चितता केवल भावनात्मक उलझनें बढ़ाती है। यह बयान आज के दौर के बदलते रिलेशनशिप पर एक स्पष्ट राय प्रस्तुत करता है।
अपनी हालिया रोमांटिक कॉमेडी फिल्म 'परम सुंदरी' की शानदार सफलता के बाद बॉलीवुड अभिनेत्री जान्हवी कपूर इन दिनों खुशी के पल बिता रही हैं। उनकी ये फिल्म एक उत्तर भारतीय लड़के और दक्षिण भारतीय लड़की की मीठी सी प्रेम कहानी है, जिसने दर्शकों के दिल जीत लिए हैं।
लेकिन दिलचस्प बात यह है कि रील लाइफ की इस रोमांटिक कहानी के बीच, जान्हवी ने हाल ही में अपनी रियल लाइफ सोच से भी पर्दा उठाया। उन्होंने आजकल जेनरेशन जी के बीच तेजी से बढ़ रहे ट्रेंड 'सिचुएशनशिप' पर अपनी बेबाक राय साझा की है।
जान्हवी कपूर ने कहा कि मुझे लगता है कि ये कॉन्सेप्ट ही बेकार है। या तो आप किसी को पसंद करते हैं, और फिर उसके साथ कमिटमेंट कर लेते हैं। आप उसके साथ रहना चाहते हैं, उसे किसी और के साथ शेयर नहीं करना चाहते। उन्होंने आगे कहा, 'और अगर आपको उनमें दिलचस्पी ही नहीं है, तो क्यों उन्हें ऐसी उलझन में डालते हैं? बीच का ये जोन मेरे समझ से बाहर है।'
सिचुएशनशिप क्या है?
सिचुएशनशिप एक ऐसा रिश्ता होता है जिसमें दो लोग एक-दूसरे के करीब होते हैं। दोनों के बीच के संबंध दोस्ती से ज्यादा होते हैं, लेकिन ये एक रिश्ते जितने पक्के नहीं होते। लोग आमतौर पर सिचुएशनशिप में तब आते हैं, जब उन्हें बिना किसी कमिटमेंट के शारीरिक रिश्ता चाहिए होता है।
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सिचुएशनशिप के फायदे
दबाव कम रहता है: इसमें शादी या लंबे रिश्ते जैसी जिम्मेदारियों का बोझ नहीं होता।
एक-दूसरे को समझने का मौका मिलता है: आप देख सकते हैं कि सामने वाला आपके लिए सही है या नहीं।
ज़्यादा आज़ादी मिलती है: दोनों लोग अपनी-अपनी जिंदगी को स्वतंत्र रूप से जी सकते हैं।
सिचुएशनशिप के नुकसान
अनिश्चितता बनी रहती है: ये रिश्ता कब खत्म हो जाए या कब रिलेशनशिप में बदल जाए, पता नहीं चलता।
भावनात्मक चोट लग सकती है: अगर एक व्यक्ति सीरियस हो जाए और दूसरा नहीं, तो दिल टूटने का खतरा रहता है।
भविष्य को लेकर असमंजस बना रहता है: इसमें कोई साफ़ दिशा नहीं होती, जिससे चिंता और उलझन बढ़ सकती है।
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