Chai Par Sameeksha: Madhya Pradesh, Chhattisgarh और Rajasthan में BJP जीत रही है या Congress

छत्तीसगढ़ को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि वहां कांग्रेस आगे है। इसका बड़ा कारण भाजपा ही है। भाजपा ने वहां उस तरीके से अपनी सक्रियता नहीं दिखाई जैसी दिखानी चाहिए। राज्य में रमन सिंह सक्रिय नहीं हैं।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव 2023 के चुनावी परिदृश्य पर चर्चा की गयी। इस दौरान प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि मध्य प्रदेश में एकतरफा मुकाबले की मीडिया रिपोर्टें भ्रामक हैं क्योंकि वहां दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ में जरूर कांग्रेस आगे नजर आ रही है। जहां तक राजस्थान के परिदृश्य की बात है तो यहां बीजेपी आगे जरूर चल रही है लेकिन उसकी सबसे बड़ी चुनौती वसुन्धरा राजे फैक्टर से निबटना है।
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश को लेकर राजनीतिक विश्लेषक अलग-अलग दावे कर रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस बीजेपी से आगे है। इस बार भाजपा की बुरी हार मध्य प्रदेश में तय है। इस पर प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने साफ तौर पर कहा कि जो बातें टीवी पर दिखाई जा रही है उसमें उतनी सच्चाई नहीं है। नीरज दुबे ने जोर देते हुए कहा कि पूरे देश में अगर आरएसएस का सबसे मजबूत संगठन कहीं है तो वह मध्य प्रदेश में है। हां, मध्य प्रदेश में सरकार से थोड़ी नाराजगी जरूर हो सकती है। परंतु मध्य प्रदेश में भाजपा मुकाबले से बाहर है, यह कहना सरासर गलत है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि टीवी चैनलों पर तो गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार तक बन गई थी। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और हुई। केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को चुनाव में उतरने को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि यह भाजपा ने नई परंपरा शुरू की है। जो राज्य के नेता है उन्हें केंद्र में लाया जा रहा है, केंद्र के नेताओं को राज्य की राजनीति में सक्रिय किया जा रहा है। इससे जनता के बीच अगर पार्टी या नेता को लेकर नाराजगी है तो उसे कम करने की कोशिश हो रही है।
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छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि वहां कांग्रेस आगे है। इसका बड़ा कारण भाजपा ही है। भाजपा ने वहां उस तरीके से अपनी सक्रियता नहीं दिखाई जैसी दिखानी चाहिए। राज्य में रमन सिंह सक्रिय नहीं हैं। बाकी के नेताओं में गुटबाजी है जिसका असर पार्टी की परफॉर्मेंस पर पड़ सकता है। हालांकि, राज्य में शहरी इलाकों में मतदाता भाजपा के पक्ष में खुलकर दिखाई दे रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस अभी भी मजबूत नजर आ रही है। भाजपा वर्तमान में जिस तरीके से प्रचार कर रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कुछ चमत्कारी अभियान के बाद वहां कमाल कर सकती है। राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार के भी बड़े आरोप लगाए जा रहे हैं। हालांकि, हम जरूर कह सकते हैं कि राज्य में कांग्रेस के लिए लेकिन किंतु परंतु की स्थिति नहीं है। पहले टीएस सिंह देव नाराज थे लेकिन समय रहते उन्हें भी पार्टी की ओर से विश्वास में लिया गया है।
राजस्थान
राजस्थान के किसी सर्वे या बातचीत को देखें तो सभी में भाजपा को बढ़त दिखाई दे रही है। इसका बड़ा कारण कांग्रेस के भीतर की अंदरूनी कलह और भ्रष्टाचार तथा कानून व्यवस्था है। राजस्थान की राजनीति का अशोक गहलोत को जादूगर माना जाता है। वह अपनी जादू दिखाने की कोशिश में भी है। लेकिन कहीं ना कहीं लोगों में उनके सरकार के प्रति नाराज की काफी बढ़ चुकी है। भाजपा राज्य में सामूहिक नेतृत्व पर जोर दे रही है। भाजपा प्लस वसुंधरा और माइनस वसुंधरा को लेकर भी एक अलग कैलकुलेशन बना रही है। हालांकि भाजपा किसी भी कीमत पर वसुंधरा को आउट ऑफ फ्रेम नहीं करना चाहती। वसुंधरा का अपना दबदबा राजस्थान की राजनीति में रहा है। जातीय समीकरण को साधने में वह माहिर तो हैं ही साथ ही साथ उन्होंने अपने दम पर भाजपा को दो बार सत्ता दिलाई है। उन्हें पार्टी विधायकों का भी समर्थन हासिल होता है। वर्तमान में देखें तो गहलोत को चुनौती देने वाली भाजपा की एकमात्र नेता राजस्थान में वहीं मौजूद हैं।
- अंकित सिंह
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