Chai Par Sameeksha: क्या Dhankhar ने सीधे Modi से ही बैर ले लिया था? आखिर क्यों देना पड़ा इस्तीफा?

प्रभासाक्षी के संपादक नीरज दुबे ने कहा के जगदीप धनखड़ वकालत करते थे। लेकिन इतने बड़े नाम भी नहीं थे। जगदीप धनखड़ ने जितनी जल्दी सफलता की सीढ़ियां चढ़ी, उतनी ही जल्दी उन्हें वहां से उतरना भी पड़ गया।
प्रभासाक्षी के साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह हमने उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के कारण पर चर्चा की। इस चर्चा के दौरान हमेशा की तरह प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे मौजूद रहे। नीरज कुमार दुबे ने कहा कि जब जगदीप धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया था, उससे पहले तक उनका नाम शायद किसी ने सुना भी ना था। हां, यह बात अलग है कि वह चंद्रशेखर की सरकार में मंत्री रहे थे। उससे पहले वह लोक दल के विधायक भी रह चुके थे। हालांकि उसके बाद वह कांग्रेस पार्टी में पहुंचे थे और उसके बाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे।
प्रभासाक्षी के संपादक नीरज दुबे ने कहा के जगदीप धनखड़ वकालत करते थे। लेकिन इतने बड़े नाम भी नहीं थे। जगदीप धनखड़ ने जितनी जल्दी सफलता की सीढ़ियां चढ़ी, उतनी ही जल्दी उन्हें वहां से उतरना भी पड़ गया। जगदीप धनखड़ के जरिए भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जाट वर्ग और खास करके हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश और राजस्थान के वोटर को एक खास संदेश देने की कोशिश की गई थी। पश्चिम बंगाल में राज्यपाल के रूप में जगदीप धनखड़ ने बहुत बढ़िया काम किया था। बीजेपी के हिसाब से काम किया था। वही देखते हुए उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए दिल्ली बुलाया गया।
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नीरज दुबे ने कहा कि राज्यपाल पद पर होने के दौरान जगदीप धनखड़ ने जिस तरीके से ममता बनर्जी को परेशान किया और जिस तरीके का दर्द ममता बनर्जी बयां करती थीं, आज वैसा ही कुछ दर्द मोदी सरकार को महसूस होने लगा था। उन्होंने कहा कि लाइटवेट को जब हैवीवेट बना दिया जाता है तो शायद वह आसमान में उड़ने लगता है और उसे लगने लगता है कि मेरे नीचे सभी हैं और मुझे इससे और ऊपर जाना है और शायद ऐसा ही कुछ जगदीप धनखड़ के साथ होने लगा था। जगदीप धनखड़ को लेकर अलग-अलग चर्चाएं हैं, अलग-अलग अटकलें हैं।
नीरज दुबे ने यह भी कहा कि जगदीप धनखड़ के साथ ना सत्ता पक्ष के लोग खड़े दिखाई दे रहे हैं और ना ही विपक्ष के लोग। जगदीप धनखड़ का स्वभाव योद्धा वाला था। वह लगातार सर्वोच्च न्यायालय तक को चुनौती देते थे। इसके बाद कई बार ऐसा लगने लगता था कि वह अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा रहे हैं। नीरज दुबे ने कहा कि पिछले 1 साल से जगदीप धनखड़ सत्ता पक्ष दूर होते दिखाई दे रहे थे जबकि विपक्ष के नेताओं से उनका रिश्ता काफी मधुर होने लगा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरीके से जगदीप धनखड़ को लेकर ट्वीट किया उससे यह जाहिर होता है कि रिश्तो में कितनी कड़वाहट आ गई थी। ऐसे में जगदीप धनखड़ को लेकर सरकार को ज्यादा विश्वास नहीं था और शायद यही कारण है कि जगदीप धनखड़ को इस्तीफा देना पड़ा।
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