पाकिस्तान ने बदला कश्मीर में दहशत फैलाने का तरीका, लखीमपुर मामले में विपक्ष का संवेदनशील होना जरूरी

Lakhimpur case
अंकित सिंह । Oct 9 2021 3:47PM

कश्मीर में आम नागरिकों की हत्या किया जाना दर्शाता है कि घाटी में शांति स्थापित होते और विकास कार्यों में तेजी आते देख आतंकवादी और उनके आका बौखला चुके हैं। कश्मीर में यह जो टारगेट किलिंग का दौर शुरू हुआ है वह खासतौर पर अल्पसंख्यकों के मन में भय पैदा करने का प्रयास है।

वैसे तो देश में इस सप्ताह कई मुद्दे रहे। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा कश्मीर में एक बार फिर से आम लोगों को आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाए जाने को लेकर हो रहा है। तो वहीं दूसरी ओर लखीमपुर हिंसा को लेकर जमकर राजनीति हो रही है। इन्हीं दोनों मुद्दों पर हमने प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में चर्चा की। हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे। कश्मीर में आम नागरिकों को निशाना बनाए जाने को लेकर नीरज दुबे ने पाकिस्तान पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वह नहीं चाहते कि कश्मीर अमन और चैन के रास्ते पर लौटे। साथ ही साथ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अभी कश्मीर की तरक्की को देखकर बौखला रहा है और वह अब प्रत्यक्ष तौर पर आतंकवादी नहीं भेज पाने में सफल हो पा रहा है जिसके कारण अब अप्रत्यक्ष रूप से अपने द्वारा प्रशिक्षित आतंकवादियों से आम नागरिकों की हत्या करवा रहा है। नीरज दुबे ने माना कि इस सप्ताह जिस तरीके से कश्मीर में 5 आम नागरिकों की हत्या कर दी गई। उसमें कहीं ना कहीं हमारा इंटेलिजेंस फैल्यूर जरूर नजर आता है क्योंकि इस तरह की गतिविधि बार-बार होती है और हमें पता नहीं चलता है, हम इसका पूर्वानुमान नहीं लगा पाते, यह अपने आप में सवाल जरूर है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपने सुरक्षाबलों पर पूरा भरोसा है वह किसी भी दोषी को नहीं छोड़ेंगे।

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नीरज दुबे ने यह अभी कहा कि गृह मंत्री अमित शाह का कश्मीर दौरा होने वाला है। ऐसे में आतंकवादी पहले से सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश में यह तमाम चीजें कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के द्वारा जिस तरह की हरकत की जा रही है, उससे कहीं ना कहीं भारत की परेशानी क्षणिक तौर पर बढ़ जरूर रही है लेकिन हमारे सुरक्षा बल ऐसे तमाम आतंकवादियों को ढूंढ कर निकाल रहे हैं और उन्हें उनके किए गुनाहों की सजा दे रहे। नीरज दुबे ने यह भी माना कि कश्मीर अब अमन, चैन और विकास के रास्ते पर है। वहां मंत्रियों के दौरे हो रहे हैं। मंत्री आम लोगों से बात कर रहे हैं। उनकी समस्याओं को सुन रहे हैं। कश्मीर को मेन स्ट्रीम में लौटाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कश्मीर को लेकर काफी संवेदनशील है और यही कारण रहा कि वहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करने के लिए उन्होंने एक बड़ी बैठक रखी थी। आम लोगों को निशाना बनाए जाने को लेकर गृह मंत्रालय में एक बड़ी बैठक भी हुई। खुद गृह मंत्री अमित शाह ने इन तमाम घटनाओं को लेकर गहन चर्चा की। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी दिल्ली में है और माना जा रहा है कि अमित शाह के साथ इन तमाम घटनाओं पर उनकी एक बड़ी बैठक हुई है। 

कश्मीर में आम नागरिकों की हत्या किया जाना दर्शाता है कि घाटी में शांति स्थापित होते और विकास कार्यों में तेजी आते देख आतंकवादी और उनके आका बौखला चुके हैं। कश्मीर में यह जो टारगेट किलिंग का दौर शुरू हुआ है वह खासतौर पर अल्पसंख्यकों के मन में भय पैदा करने का प्रयास है। पाकिस्तान की शह पर हो रहे इस आतंकी खेल का हमारे सुरक्षा बल मुँहतोड़ जवाब निश्चित तौर पर देंगे ही लेकिन साथ ही कश्मीरी नेताओं को अपने बड़बोलेपन पर भी रोक लगानी चाहिए। बार-बार महबूबा मुफ्ती की ओर से पाकिस्तान के साथ वार्ता की माँग करना ठीक नहीं है। बताया जा रहा है कि आतंकवादियों ने टारगेट लिस्ट तैयार की है जिसके तहत हत्याएं की जा रही हैं। इसके लिए पाकिस्तान ने कश्मीर में अधिक से अधिक पिस्तौल भेजने का नया चलन शुरू किया गया है ताकि "हाइब्रिड आतंकवादी" आसानी से अपने कार्यों को अंजाम देकर सामान्य जीवन में लौट सकें। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस साल कई पिस्तौलें जब्त की हैं। पिस्तौल ले जाना और छिपाना आसान होता है। हाइब्रिड आतंकवादी उन्हें दिए गए एक या दो कार्यों को अंजाम देते हैं और अपने सामान्य जीवन में लौट जाते हैं। पाकिस्तान मौजूदा शांतिपूर्ण माहौल, पर्यटकों की बढ़ती संख्या, केंद्रीय मंत्रियों के दौरे और सैयद अली गिलानी की मृत्यु के बाद की शांतिपूर्ण स्थिति से निराश महसूस कर रहा है इसलिए घुसपैठ के प्रयास भी बढ़ा रहा है लेकिन सुरक्षा बल उसे विफल कर दे रहे हैं। 

किसान आंदोलन के दौरान लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा को लेकर उत्तरप्रदेश की राजनीति गर्म है। विपक्ष के निशाने पर योगी सरकार है। विपक्ष और किसान संगठन लखीमपुर हिंसा के लिए पूरी तरह से केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को जिम्मेदार मान रहा है और उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहा है। इन सब के बीच 2 नोटिस के बाद आखिरकार आशीष मिश्रा पुलिस के सामने पेश हुए। लखीमपुर हिंसा को लेकर ही हमने नीरज दुबे से सवाल किया उन्होंने कहा कि जाहिर सी बात है इस तरह की घटना देश में नहीं होनी चाहिए या घटना काफी दुखद है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिस तरीके से इस घटना के बाद नेताओं ने धैर्यता का परिचय नहीं दिया वह दुखद है। इस तरह की घटना को लेकर जिस तरीके से नेताओं ने बयानबाजी की और वहां जाने के लिए जबरदस्ती करने लगे, उससे ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि यह सब लाश की राजनीति करने की कोशिश में थे। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं में सरकार को भी वक्त दी जानी चाहिए क्योंकि सरकार अगर इन तमाम चीजों की जांच नहीं करेगी तब तक कैसे किसी समाधान पर पहुंच पाएगी। उन्होंने कहा कि जाहिर सी बात है उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव है। ऐसे में सभी दल इस राजनीतिक तौर पर इसे जरूर आगे करना चाहेंगे और भाजपा को घेरना जरूर चाहेंगे। लेकिन कहीं ना कहीं यह अपने आप में दुखद है।

कानून हाथ में लेने की छूट किसी को नहीं, लेकिन दबाव में कोई कार्रवाई नहीं होगी: योगी

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर की घटना के आरोपी तथा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे की गिरफ्तारी की विपक्ष की मांग पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कानून हाथ में लेने की छूट किसी को नहीं है, लेकिन किसी के दबाव में कोई कार्रवाई नहीं होगी। योगी ने शुक्रवार को गोरखपुर में एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में कहा कि लखीमपुर खीरी की घटना दु:खद और दुर्भाग्यपूर्ण हैं, सरकार उसकी तह तक जा रही है। लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है, जब कानून सबको सुरक्षा प्रदान करने की गारंटी दे रहा है, तो किसी को भी अपने हाथ में कानून लेने का अधिकार नहीं है, चाहे वह कोई भी हो। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ की ओर से दिए गए एक ‘‘धमकी भरे बयान’’ के सवाल पर योगी ने कहा कि राजनीतिक भाषण और धमकी, दोनों में अंतर होता है। राजनीतिक भाषण राजनीतिक मंचों से होता है और यह केवल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कोई नेता ही दे रहा हो, ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि तमाम अन्य नेता भी राजनीतिक भाषण देते हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि आप किसी की हत्या कर दें। उन्होंने लखीमपुर में विपक्षी दलों के नेताओं को पीड़ित परिवारों से मिलने न दिये जाने पर कहा, हमारे विपक्ष के जो मित्रगण थे, वे कोई सद्भावना के दूत नहीं थे और उनमें से कई चेहरे तो ऐसे हैं जो इस उपद्रव और इस हिंसा के पीछे भी शामिल हैं। एक बार तथ्‍य सामने आने दीजिए, हम दूध का दूध और पानी का पानी, सबके सामने रखेंगे। 

श्रीनगर में दो शिक्षकों की हत्या, डीजीपी ने कहा- सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का प्रयास

जम्मू-कश्मीर में नागरिकों पर बढ़े हमलों के बीच श्रीनगर के ईदगाह इलाके में को आतंकवादियों ने एक महिला प्रधानाध्यापक समेत सरकारी विद्यालय के दो शिक्षकों की गोली मार कर हत्या कर दी। पिछले पांच दिनों में घाटी में सात नागरिकों की हत्या हुयी है, जिनमें से छह की हत्या शहर में हुई है। मृतकों में से चार लोग अल्पसंख्यक समुदाय से थे। गवर्नमेंट ब्वॉयज सेकेंडरी स्कूल, ईदगाह की प्रधानाध्यापक सुपिंदर कौर और शिक्षक दीपक चंद की पूर्वाह्न करीब सवा 11 बजे गोली मारकर हत्या कर दी गयी। उस समय स्कूल में कोई विद्यार्थी नहीं था। इस घटना की खबर फैलते ही शहर और घाटी के कुछ हिस्सों में एक तरह का भय व्याप्त हो जाने के बीच जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि कश्मीर में नागरिकों, खासकर अल्पसंख्यकों की लक्षित हत्या का मकसद भय का माहौल बनाना और सदियों पुराने सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाना है। सिंह ने स्कूल में संवाददाताओं से कहा, यह दरिंदगी, वहशत और दहशत का मेल है। इस स्कूल का परिसर काफी फैला हुआ है और बड़े मैदान तथा तीन मंजिला इमारतें हैं लेकिन कोई सीसीटीवी नहीं है। सिंह ने कहा कि जो लोग मानवता, भाइचारे और स्थानीय मूल्यों को निशाना बना रहे हैं, वे जल्द ही बेनकाब होंगे। 

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उप राज्यपाल ने शिक्षकों की हत्या की निंदा की, कहा- हमलावरों को करारा जवाब दिया जाएगा

जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने अल्पसंख्यक समुदाय के दो शिक्षकों की हत्या की निंदा करते हुए कहा कि आतंकी हमला करने वाले दोषियों को करारा जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि आतंकवादी और उनके आका केंद्रशासित प्रदेश में शांति भंग करने की कोशिश में सफल नहीं होंगे। सिन्हा ने ट्विटर पर कहा, ‘‘मैं, हमारे दो शिक्षकों सुपिंदर कौर और दीपक चंद की आतंकवादियों द्वारा की गई नृशंस हत्या की निंदा करता हूं। निर्दोष लोगों पर आतंकी हमले करनेवालों को करारा जवाब दिया जाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवादी और उनके आका जम्मू-कश्मीर में शांति भंग करने, यहां की प्रगति और समृद्धि में खलल पैदा करने की कोशिश में सफल नहीं होंगे। मृतकों के शोक संतप्त परिवार, मित्रों और सहकर्मियों के प्रति मैं संवेदना प्रकट करता हूं।’’ 

आतंकवादियों ने जाने-माने कश्मीरी पंडित कारोबारी, दो अन्य की गोली मारकर हत्या की

कश्मीर घाटी में संदिग्ध आतंकवादियों ने 90 मिनट के भीतर तीन लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी। यहां इकबाल पार्क क्षेत्र में श्रीनगर की प्रसिद्ध फार्मेसी के मालिक माखनलाल बिंदरू की उनके व्यावसायिक परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके अलावा केंद्रशासित प्रदेश में दो अन्य लोगों की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिनमें से एक बिहार का रहने वाला था और गोलगप्पे व भेलपूरी बेचकर अपनी रोजी-रोटी चलाता था। आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फोर्स (टीआरएफ) ने मंगलवार को हुए इन हमलों की जिम्मेदारी ली जिसे लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा संगठन माना जाता है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि हमलावरों ने शाम करीब सात बजे बिंदरू (68) को उस समय नजदीक से गोली मार दी जब वह अपनी फार्मेसी में थे। उन्होंने कहा कि बिंदरू को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बिंदरू को चार गोलियां लगीं। कश्मीरी पंडित समुदाय से बिंदरू उन कुछ लोगों में शामिल थे, जिन्होंने 1990 के दशक में जम्मू कश्मीर में आतंकवाद शुरू होने के बाद पलायन नहीं किया। वह अपनी पत्नी के साथ यहीं रहे और लगातार अपनी फार्मेसी ‘बिंदरू मेडिकेट’ को चलाते रहे। इस घटना के एक घंटे के भीतर आतंकवादियों ने शहर के हवाल क्षेत्र में एक गैर-स्थानीय रेहड़ी-पटरी विक्रेता की हत्या कर दी।

- अंकित सिंह

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