Chai Par Sameeksha: Modi-Bhagwat संबंधों में क्या आ गयी खटास? अध्यक्ष क्यों नहीं चुन पा रही है BJP

प्रभासाक्षी संपादक नीरज दुबे ने कहा कि नरेंद्र मोदी को लेकर भाजपा में कोई भी कंफ्यूजन नहीं है। नरेंद्र मोदी जिस तरीके से पूरी तरीके से फिट है। वह 2029 क्या, 2034 में भी भाजपा की ओर से नेतृत्व संभाल सकते हैं और पार्टी इसके लिए पूरी तरह से तैयार भी है।
प्रभासाक्षी के खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह भाजपा अध्यक्ष चुनाव, भाजपा-आरएसएस संबंध और मोहन भागवत के बयान से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गयी। इस दौरान प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत द्वारा हाल ही में दी गई यह सलाह कि 75 वर्ष की आयु के बाद व्यक्ति को सेवा कार्यों से स्वयं ही संन्यास ले लेना चाहिए, केवल एक सामान्य नैतिक उपदेश भर नहीं है। इसके कई राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं।
हालांकि, नीरज दुबे ने यह जरूर कहा कि नरेंद्र मोदी से जोड़कर मोहन भागवत के बयान को देखा जाना बिल्कुल सही नहीं है। यह कहीं ना कहीं विषय से हटाने की कोशिश की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी पांच देशों की सफल यात्रा से लौटे हैं। उनकी इस यात्रा की खूब चर्चा ना हो इसलिए विपक्ष की ओर से दूसरे मुद्दे को हवा दी जा रही है। नीरज दुबे ने यह भी कहा कि न सिर्फ यह प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत उपलब्धि है बल्कि यह देश की उपलब्धि है और यही कारण है कि मोदी की इस सफलता से ध्यान भटकने की कोशिश विपक्ष की ओर से किया गयी। आरएसएस ने भी साफ तौर पर कह दिया है कि मोहन भागवत जी ने जो कुछ भी कहा था वह कुछ अलग संदर्भ में था और फिलहाल इसे अलग तरह से पेश किया जा रहा है।
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प्रभासाक्षी संपादक नीरज दुबे ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी को लेकर भाजपा में कोई भी कंफ्यूजन नहीं है। नरेंद्र मोदी जिस तरीके से पूरी तरीके से फिट है। वह 2029 क्या, 2034 में भी भाजपा की ओर से नेतृत्व संभाल सकते हैं और पार्टी इसके लिए पूरी तरह से तैयार भी है। इसलिए हमें विपक्ष के बातों पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए। नीरज दुबे ने इस बात को स्वीकार किया कि हां, भाजपा में 75 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को मार्गदर्शक मंडल में रखा गया है। इसके साथ ही हमने कई उदाहरण भी देखे हैं जब भाजपा के नेता 75 पार होने के बाद कैबिनेट मंत्री से इस्तीफा दे दिया हो या फिर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया हो। यह सिर्फ भाजपा में ही हो सकता है। लेकिन नरेंद्र मोदी को लेकर ऐसा होता दिखता नहीं है और ना ही भाजपा ऐसा करने का रिस्क भी लेने जा रही है।
प्रभासाक्षी संपादक नीरज दुबे ने भाजपा अध्यक्ष के सवाल पर कहा कि हां, यह बात सही है कि भाजपा में काफी देरी हो रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आरएसएस की वजह से भाजपा अध्यक्ष नहीं चुन पा रही है यह कहना बिल्कुल गलत है। आरएसएस ने भाजपा को बिल्कुल नहीं फंसाया है बल्कि भाजपा जब भी फंसती है तो आरएसएस उसको निकालने का काम करता है। उन्होंने यह बात जरूर कहा कि आरएसएस ऐसे व्यक्ति की वकालत जरूर करेगा जो संगठन को मजबूत करें। इसके अलावा भाजपा न सिर्फ 2029 बल्कि इसके बाद की राजनीति को देख रही है। इसलिए शायद भाजपा अध्यक्ष के पद के लिए नाम को लेकर कई तरह की अटकलें हो रही है और अध्यक्ष चुनाव में देरी भी देखने को मिल रही है।
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