नवसंवत्सर पर शुरू किये गये कार्य में सफलता अवश्य मिलती है

success is guaranteed for work starting from hindu nav varsh

हमारी भारतीय संस्कृति के अनुसार प्रत्येक चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि को ‘नवसंवत्सर’ अर्थात् नववर्ष का शुभारंभ माना जाता है। इस दिन का धार्मिक, सांस्कृतिक व ऐतिहासिक महत्व है।

हमारी भारतीय संस्कृति के अनुसार प्रत्येक चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि को ‘नवसंवत्सर’ अर्थात् नववर्ष का शुभारंभ माना जाता है। इस दिन का धार्मिक, सांस्कृतिक व ऐतिहासिक महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था और मानव सभ्यता की शुरुआत हुई थी। महान गणितज्ञ भास्कराचार्य द्वारा इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, मास और वर्ष की गणना कर पंचांग की रचना की गई थी। सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन अपना राज्य स्थापित किया था। पांच हजार एक सौ बारह वर्ष पूर्व युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था, चौदह वर्ष के वनवास और लंका विजय के बाद भगवान राम ने राज्याभिषेक के लिए इसी दिन को चुना था व स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना भी इसी पावन दिवस पर की थी। संत झूलेलाल का अवतरण दिवस व शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्रा का यह स्थापना दिवस भी है। इस दिन से लेकर नौ दिन तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।

भारत के विभिन्न भागों में इस पर्व को भिन्न-भिन्न नामों से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन को ‘गुड़ी पड़वा’ के रूप में मनाते हैं। ‘गुड़ी’ का अर्थ होता है- ‘विजय पताका’। आज भी घर के आंगन में गुड़ी खड़ी करने की प्रथा महाराष्ट्र में प्रचलित है। दक्षिण भारत में चंद्रमा के उज्ज्वल चरण का जो पहला दिन होता है उसे ‘पाद्य’ कहते हैं। गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय इसे ‘संवत्सर पड़वो’ नाम से मनाते हैं। कर्नाटक में यह पर्व ‘युगाड़ी’ नाम से जाना जाता है। आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना में इसे ‘उगाड़ी’ नाम से मनाते हैं। कश्मीरी हिन्दू इस दिन को ‘नवरेह’ के तौर पर मनाते हैं। मणिपुर में यह दिन ‘सजिबु नोंगमा पानबा’ या ‘मेइतेई चेइराओबा’ कहलाता है। 

दरअसल इस समय वसंत ऋतु का आगमन हो चुका होता है और उल्लास, उमंग, खुशी और पुष्पों की सुगंध से संपूर्ण वातावरण चत्मकृत हो उठता है। प्रकृति अपने यौवन पर इठला रही होती है। लताएं और मंजरियाँ धरती के श्रृंगार के प्रमुख प्रसाधन बनते हैं। खेतों में हलचल, हंसिए की आवाज फसल कटाई के संकेत दे रही होती है। किसान को अपनी मेहनत का फल मिलने लगता है। इस समय नक्षत्र सूर्य स्थिति में होते हैं। इसलिए कहा जाता है कि इस दिन शुरु किये गये कामों में सफलता निश्चित तौर पर मिलती है। 

-देवेंद्रराज सुथार

(जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर में अध्ययनरत)

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