मुक्केबाज पंघाल, हुसमउद्दीन, आशीष राष्ट्रमंडल खेलों में क्वार्टर फाइनल में पहुंचे

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भारतीय मुक्केबाज अमित पंघाल ने राष्ट्रमंडल खेलों में सोमवार को यहां पुरुषों के फ्लाइवेट (51 किग्रा) वर्ग में अपने अभियान की शुरुआत आसान जीत के साथ करते हुए क्वार्टर फाइनल में जगह पक्की की। विश्व चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता पंघाल ने वानुअतु के नामरी बेरी को सर्वसम्मत फैसले से हराया। फेदरवेट (54-57 किग्रा) मुक्केबाज हुसमउद्दीन मोहम्मद ने भी लगातार दूसरी जीत के साथ क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई।

बर्मिंघम, 2 अगस्त। भारतीय मुक्केबाज अमित पंघाल ने राष्ट्रमंडल खेलों में सोमवार को यहां पुरुषों के फ्लाइवेट (51 किग्रा) वर्ग में अपने अभियान की शुरुआत आसान जीत के साथ करते हुए क्वार्टर फाइनल में जगह पक्की की। विश्व चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता पंघाल ने वानुअतु के नामरी बेरी को सर्वसम्मत फैसले से हराया। फेदरवेट (54-57 किग्रा) मुक्केबाज हुसमउद्दीन मोहम्मद  ने भी लगातार दूसरी जीत के साथ क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई।

उन्होंने अंतिम 16 मुकाबले में बांग्लादेश के मोहम्मद सलीम हुसैन पर 5-0 की प्रभावशाली जीत दर्ज की। लाइट हैवीवेट मुक्केबाज (80 किग्रा) आशीष कुमारने नीयू के ट्रैविस टापाटुएटोआ पर 5-0 की सर्वसम्मत जीत के साथ अंतिम आठ जगह पक्की की। तोक्यो ओलंपिक में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद अपना पहला टूर्नामेंट खेल रहे पंघाल ने मुकाबले के तीनों दौर में अपना दबदबा बनाए रखा। उन्होंने बेरी से दूरी बनाए रखते हुए दाएं और बाएं मुक्कों के अपने संयोजन का प्रभावी इस्तेमाल किया।

मुकाबले में वापसी के लिए बेरी को पंघाल के सामने आने के लिए मजबूर होना पड़ा लेकिन भारतीय मुक्केबाज के कौशल के सामने वह कहीं नहीं ठहरे। शुरुआती दो दौर में पंघाल के मुक्कों की झड़ी का बेरी के पास कोई जवाब नहीं था। मुकाबले में पकड़ बनाने के बाद तीसरे दौर में पंघाल ने रक्षात्मक रवैया अपनाया, जिससे वह आगे की कठिन चुनौतियों के लिए अपनी ऊर्जा को बचा सके। पंघाल अपने दूसरे राष्ट्रमंडल खेल पदक हासिल करने से एक जीत दूर हैं।

उन्होंने पिछले सत्र (2018 में गोल्ड कोस्ट) में रजत पदक जीता था। क्वार्टर फाइनल में उनके सामने स्कॉटलैंड के 20 वर्षीय लेनन मुलिगन की चुनौती होगी। पंघाल ने अपनी जीत के बाद कहा, ‘‘ यह एक अच्छे अभ्यास की तरह था लेकिन आसान था। मेरा प्रतिद्वंद्वी अच्छा था लेकिन उसके खिलाफ मुझे कोई परेशानी नहीं हुई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं और प्रभावशाली जीत दर्ज कर सकता था लेकिन अभी लंबा सफर तय करना है और मैं यहां स्वर्ण पदक जीतने आया हूं।

मैंने गोल्ड कोस्ट में रजत जीता था लेकिन यहां उससे बेहतर करने के लिए आया हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं सिर्फ स्वर्ण पदक जीतना चाहता हूं।’’ पिछले सत्र के कांस्य पदक विजेता, हुसमुद्दीन ने भी अपने तेज-तर्रार पंच के इस्तेमाल से प्रभावशाली प्रदर्शन किया। भारत के इस 28 साल के मुक्केबाज ने शानदार जवाबी हमले किये। पदक पक्का करने के लिए अंतिम आठ में उन्हें नामीबिया के ट्रायगैन मॉर्निंग नेडेवेलो को हराना होगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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