COA ने कहा, भारत-पाक विश्व कप मुकाबले पर अभी कोई फैसला नहीं

सीओए प्रमुख विनोद राय ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, ‘‘हमारी सरकार से बातचीत चल रही है। 16 जून को होने वाले मैच के बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है।’’
नयी दिल्ली। भारतीय क्रिकेट का काम देख रही प्रशासकों की समिति (सीओए) ने पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप मुकाबले पर कोई भी फैसला नहीं लेने का निर्णय किया लेकिन कहा कि वह आईसीसी के सदस्यों से व्यक्तिगत रूप से अनुरोध करेगा कि ऐसे देश के साथ संबंध तोड़ दिये जायें जो आतंक का गढ़ हो। पुलवामा आतंकी हमले के बाद ओल्ड ट्रैफर्ड में पाकिस्तान के खिलाफ 16 जून को होने वाले विश्व कप मुकाबले का बहिष्कार करने की बातें की जा रही हैं। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये थे। मैच के संबंध में बढ़ती अटकलबाजियों को खत्म करने के लिये हुई बैठक में सीओए ने इस मामले पर बातचीत की लेकिन अभी कोई फैसला नहीं किया है।
CoA member Vinod Rai: 16th June (India vs Pakistan match in World Cup) is very far away. We will take a call on that much later and in consultations with the government. pic.twitter.com/AjYPD3oiAF
— ANI (@ANI) February 22, 2019
सीओए प्रमुख विनोद राय ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, ‘‘हमारी सरकार से बातचीत चल रही है। 16 जून को होने वाले मैच के बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम आईसीसी को दो चिंतायें बतायेंगे। हम विश्व कप के दौरान खिलाड़ियों की और अधिक सुरक्षा के बारे में कहेंगे और क्रिकेट खेलने वाले देशों से कहेंगे कि ऐसे देश से रिश्ते तोड़ दें जो आंतक का गढ़ हो।’’ ऐसी भी रिपोर्ट आ रही थीं कि सीओए और बीसीसीआई शायद आईसीसी से 30 मई से इंग्लैंड में शुरू होने वाले विश्व कप से पाकिस्तान को बाहर करने की अपील भी कर सकता है।
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हालांकि इस तरह के कदम से भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि विश्व संस्था के नियमों में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं हे जो एक सदस्य को किसी अन्य सदस्य को बाहर करने की मांग करने की अनुमति दे। सीनियर आफ स्पिनर हरभजन सिंह और पूर्व भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन जैसे भारतीय क्रिकेटरों ने इस मैच के बहिष्कार की मांग की थी। वहीं महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर की राय इनसे अलग है जिन्होंने कहा कि भारत को मैच का बहिष्कार करके पाकिस्तान को अंक नहीं देने चाहिए। उन्होंने हालांकि द्विपक्षीय क्रिकेट संबंध जारी नहीं रखने की नीति पर कायम रहने की वकालत की थी।
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