हंगरी में भारत की पहलवान प्रिया मलिक ने रचा इतिहास, टूर्नामेंट में जीता गोल्ड मेडल
तोक्यो में आयोजित ओलंपिक खेल के पहले दिन भारत के लिए एक अच्छी खबर आयी रेस्लिंग में मीराबाई चानू ने भारत को रजत पदक दिलाया। दूसरा दिन भारत के लिए निराशा जनक रहा क्योंकि 25 जुलाई को भारत कुछ शानदार प्रदर्शन नहीं कर सका है
तोक्यो में आयोजित ओलंपिक खेल के पहले दिन भारत के लिए एक अच्छी खबर आयी रेस्लिंग में मीराबाई चानू ने भारत को रजत पदक दिलाया। दूसरा दिन भारत के लिए निराशा जनक रहा क्योंकि 25 जुलाई को भारत कुछ शानदार प्रदर्शन नहीं कर सका है लेकिन दूसरी तरफ भारत की एक बेटी ने इतिहास रच दिया है।
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पहलवान प्रिया मलिक ने जीता गोल्ड
पहलवान प्रिया मलिक ने हंगरी में आयोजित विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने में कामयाबी के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश को गौरवान्वित किया है। मीराबाई चानू द्वारा कल तोक्यो ओलंपिक 2020 में रजत पदक जीतने के ठीक एक दिन बाद एक बार फिर एक महिला नेदेश का नाम रोशन कर दिया है। देश प्रिया को उनकी बड़ी उपलब्धि के लिए बधाई दे रहा हैं और उनके भविष्य के खेलों के लिए शुभकामनाएं दे रहा हैं। So pleased to find a namesake that the entire nation is extremely proud of! Well done #PriyaMalik Go champ 😀 #WrestleBudapest pic.twitter.com/SpyebiAQmN
ओलंपिक में मीराबाई चानू ने रचा इतिहास
ओलंपिक में रजत पदक जीतकर भारतीय भारोत्तोलन में नया इतिहास रचने वाली मीराबाई चानू ने शनिवार को कहा कि वह अब अभ्यास की परवाह किये बिना अपने परिजनों के साथ छुट्टियां बिता सकती हैं क्योंकि पिछले पांच वर्षों में वह केवल पांच दिन के लिये मणिपुर स्थित अपने घर जा पायी। चानू ने कहा, ‘‘पिछले पांच वर्षों में मैं केवल पांच दिन के लिये घर जा पायी थी। अब मैं इस पदक के साथ घर जाऊंगी। ’’ उनका परिवार नोंगपोक काकचिंग गांव में रहता है जो इंफाल से लगभग 20 किमी दूर है। इस भारोत्तोलक ने कहा, ‘‘अब मैं घर जाऊंगी और मां के हाथ का बना खाना खाऊंगी। ’’ चानू ने खुलासा किया कि रियो ओलंपिक खेलों में असफल रहने के बाद उन्होंने अपनी ट्रेनिंग और तकनीक पूरी तरह से बदल दी थी ताकि वह तोक्यो में अच्छा प्रदर्शन कर सके।
चानू ने भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) द्वारा आयोजित वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ओलंपिक पदक जीतने का मेरा सपना आज पूरा हो गया। मैंने रियो में काफी कोशिश की थी लेकिन तब मेरा दिन नहीं था। मैंने उस दिन तय किया था कि मुझे तोक्यो में खुद को साबित करना होगा। ’’ मीराबाई को पांच साल पहले रियो में भी पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन वह महिलाओं के 48 किग्रा भार वर्ग में वैध वजन उठाने में असफल रही थी। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उस दिन काफी सबक मिले थे। मेरी ट्रेनिंग और तकनीक बदल गयी थी। हमने उसके बाद काफी कड़ी मेहनत की। ’’
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