Nikhat Zareen के बाद विश्व चैंपियनशिप में Lovlina Borgohain ने 75 किलो श्रेणी में जीता गोल्ड, पहली बार हासिल किया पदक

Lovlina Borgohain
प्रतिरूप फोटो
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निकहत जरीन के बाद अब लवलीना बोरगोहेन ने भी विश्व चैंपियनशिप में इतिहास रचते हुए गोल्ड मेडल हासिल किया है। इससे पहले लवलीना बोरगोहेन को गोल्ड मेडल नहीं मिला था। दो बार की कांस्य पदक विजेता लवलीना ने आस्ट्रेलिया की कैटलिन पारकर को 5- 2 से मात दी।

नयी दिल्ली। शीर्ष भारतीय मुक्केबाज निकहत जरीन ने रविवार को यहां दूसरा विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीता जबकि लवलीना बोरगोहेन ने कांस्य का सिलसिला तोड़ते हुए पहली बार पीला तमगा अपने नाम किया। निकहत ने 50 किग्रा वर्ग के फाइनल में वियतनाम की एनगुएन थि ताम पर 5-0 से जीत दर्ज कर लाइट फ्लाईवेट खिताब अपने नाम किया। वहीं दो बार की कांस्य पदक विजेता लवलीना ने आस्ट्रेलिया की कैटलिन पारकर को 5- 2 से मात दी।

इस जीत से निकहत महान मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम (छह बार की विश्व चैम्पियन) के बाद दो बार यह प्रतिष्ठित खिताब जीतने वाली दूसरी भारतीय बन गयीं। निकहत ने पिछले साल 52 किग्रा वजन वर्ग में खिताब जीता था। उन्होंने कहा, ‘‘मैं बहुत खुश हूं कि मैं दूसरी बार विश्व चैम्पियन बनी,विशेषकर ओलंपिक वजन वर्ग में। ’’ दोनों एशियाई मुक्केबाजों के बीच दिन का शुरूआती मुकाबला रोमांचक रहा।

निकहत ने कहा, ‘‘आज का मुकाबला मेरे लिये कठिन था, वह एशियाई चैम्पियन है और मेरा अगला लक्ष्य एशियाई खेल हैं और मैं उससे भिड़ सकती हूं इसलिये मैं कड़ी मेहनत करूंगी। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुकाबले में उसे और मुझे चेतावनी और ‘काउंट’ मिली। लेकिन मैं विजेता बनी। ’’ निकहत अपने 52 किग्रा वजन वर्ग से कम वजन वर्ग में खेलीं, वह पहले थोड़ी सुस्त दिखी क्योंकि ताम ने पहले आक्रमण किया। लेकिन कुछ सेंकेंड बाद घरेलू प्रबल दावेदार ने हमले तेज कर दिये जिसके बाद उन्होंने दायीं ओर दो ‘हुक’ और फिर सीधे मुक्का जड़ा।

ताम को जकड़ने के लिए एक पेनल्टी अंक दिया गया जिससे पहला राउंड निकहत के पक्ष में हो गया। ताम ने दूसरे राउंड में मजबूत वापसी की और वह तेज मुक्के जड़ने लगी जिससे निकहत नीचे सिर करके खेलने को मजबूर हो गयी जिससे उन्हेंएक पेनल्टी अंक मिला। वियतनाम की मुक्केबाज ने दूसरा राउंड 3-2 से अपने नाम किया। अंतिम तीन मिनट में दोनों मुक्केबाजों ने एक दूसरे पर हावी होने की कोशिश में आक्रमण किया। निकहत के ताकतवर दायें हाथ के मुक्के से ताम गिर गयी जिससे ताम को ‘काउंट’ का सामना करना पड़ा और फिर ताम के मुक्के से भारतीय मुक्केबाज को ‘काउंट’ मिला।

निकहत ने कहा, ‘‘मेरे लिये इस वजन वर्ग में राष्ट्रमंडल खेलों के बाद यह बड़ा टूर्नामेंट है। राष्ट्रमंडल खेलों में इतनी प्रतिस्पर्धा नहीं होती। ’’ वहीं तोक्यो ओलंपिक कांस्य पदक विजेता लवलीना ने 69 किलो वर्ग में पहली बार स्वर्ण पदक जीता। उनका यह भारवर्ग हालांकि ओलंपिक में नहीं है। पहले राउंड में उसे लंबे कद का काफी फायदा मिला हालांकि पार्कर ने भी सटीक वार किये। लवलीना ने हालांकि 3 . 2 की बढत ले ली। दूसरे राउंड में लवलीना ने अपनी रणनीति में बदलाव किया और करीब से आक्रमण किया। उसका हालांकि ज्यादा फायदा नहीं मिला और पार्कर ने बढत बना ली। आखिरी दौर में मुकाबला बराबरी का रहा और रिव्यू में लवलीना को विजयी घोषित किया गया।

जीत के बाद उसने कहा ,‘‘ यह फाइनल था तो मैं तनाव में थी लेकिन मैने कोचों के निर्देशों पर अमल किया। मुझे खुशी है कि स्वर्ण जीतकर भारत को गौरवान्वित कर सकी।’’ शनिवार को नीतू गंघास (48 किग्रा) और स्वीटी बूरा (81 किग्रा) विश्व चैम्पियन बनी थीं। मेजबान भारत स्वर्ण पदकों के मामले में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की बराबरी करने की ओर बढ़ रहा है। भारत ने 2006 में अपनी मेजबानी में चार स्वर्ण पदक जीतकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था जिसमें देश के नाम आठ पदक रहे थे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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