अश्विन ने बताया, गेंद पर लार लगाने की आदत से कैसे मिलेगा छुटकारा

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भारत के शीर्ष स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने दिल्ली कैपिटल्स के साथ इंस्टाग्राम पर बातचीत में कहा, ‘‘मैं नहीं जानता कि मैं अब कब मैदान पर उतरूंगा। लार लगाना मेरे लिये स्वाभाविक है। इसके लिये (लार लगाने से बचना) थोड़ा अभ्यास की जरूरत पड़ेगी।

नयी दिल्ली। भारत के शीर्ष स्पिनर रविचंद्रन अश्विन का मानना है कि गेंद पर लार लगाना गेंदबाजों की आदत का हिस्सा है और कोविड-19 के बाद जब क्रिकेट फिर से शुरू होगा तो इस आदत से छुटकारा पाने के लिये अभ्यास की जरूरत भी पड़ेगी। आईसीसी क्रिकेट समिति ने इस सप्ताह के शुरू में बैठक में लार के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी। अश्विन ने दिल्ली कैपिटल्स के साथ इंस्टाग्राम पर बातचीत में कहा, ‘‘मैं नहीं जानता कि मैं अब कब मैदान पर उतरूंगा। लार लगाना मेरे लिये स्वाभाविक है। इसके लिये (लार लगाने से बचना) थोड़ा अभ्यास की जरूरत पड़ेगी। लेकिन मुझे लगता है कि अगर हमें साथ में रहना होगा, जो कि मानव जाति के डीएनए में है, तो हमें कोशिश करनी होगी और इसे अपनाना होगा। ’’ कैरम बॉल के बारे में अश्विन ने कहा कि उन्हें अपने अस्त्रों में इस गेंद को जोड़ने में चार साल का समय लगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह इन वैरीएशन के साथ लगातार काम करने और इससे निराश होने से जुड़ा है।

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कल्पना कीजिए कि आप अपनी बीच की उंगली से कैरम खेल रहे हों और उतने वजन की क्रिकेट गेंद को धक्का देने की कोशिश कर रहे हैं जिसे कम नहीं किया जा सकता है। आप इसे पूरे जोर से धकेलकर स्पिन हासिल करने की कोशिश करते हो। ’’ अब तक 71 टेस्ट मैचों में 365 विकेट लेने वाले अश्विन ने कहा, ‘‘यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। आपकी उंगली, आपके शरीर को उसे समझना होता है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने जब इस कैरम बॉल का अभ्यास किया तो मैं हर दिन इसे बेहतर करने की उम्मीद करता था लेकिन प्रत्येक दिन कई सौ गेंदें करने के बाद मैं निराशा के साथ घर लौटता था कि मैंने जो लक्ष्य तय किया था उसे हासिल नहीं कर पाया। ’’ अश्विन ने कहा, ‘‘उस दौर में बहुत खीझ होती है क्योंकि आप अभ्यास करते हो और आपके उसको लेकर सपने होते हैं लेकिन यह इतना जल्दी हासिल नहीं होता जितनी आप उम्मीद करते हो। ’’ इसके बाद उन्होंने रिवर्स कैरम बॉल पर हाथ आजमाया। अश्विन ने कहा, ‘‘मैंने रिवर्स कैरम बॉल करने का अभ्यास किया और अब मैं जब चाहूं तब ऐसी गेंद फेंक सकता हूं। मैं गुगली का अभ्यास कर रहा हूं। ये सभी चीजें मेरे संयम की परीक्षा लेते हैं। लेकिन मेरा मानना है जब आपके धैर्य की परीक्षा होती है तब आपको अधिक कड़ी मेहनत करने की जरूरत होती है। तब आपको अतिरिक्त कौशल और अतिरिक्त आत्मविश्वास की जरूरत पड़ती है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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