क्लब स्तर की प्रतियोगिता में सफलता ने खेल के गंभीरता से लेने के लिए प्रेरित किया: भाविनाबेन पटेल

Bhavinaben Patel

पैरालंपिक खेलों में पदक पक्का करने वाली भारत की पहली टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविनाबेन पटेल ने कहा कि वह मनोरंजन के लिए इस खेल से जुड़ी थी लेकिन दिल्ली में क्लब स्तर की प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतने के बाद उन्होंने इसे गंभीरता से लेने का मन बनाया।

नयी दिल्ली। पैरालंपिक खेलों में पदक पक्का करने वाली भारत की पहली टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविनाबेन पटेल ने कहा कि वह मनोरंजन के लिए इस खेल से जुड़ी थी लेकिन दिल्ली में क्लब स्तर की प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतने के बाद उन्होंने इसे गंभीरता से लेने का मन बनाया। बारह महीने की उम्र में पोलियो की शिकार हुई भाविना ने शनिवार को पैरालम्पिक टेबल टेनिस स्पर्धा के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया।

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उन्होंने पीटीआई-को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘ मैंने पहले टेबल टेनिस मनोरंजन के लिए खेला लेकिन दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर के एक क्लब टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीतने के बाद मैंने सोचा कि मैं शीर्ष स्तर के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में अच्छा कर सकती हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ इसके बाद टेबल टेनिस को लेकर मेरा लगाव और बढ़ गया और मैं इसके प्रति जुनूनी हो गयी। यह जुनून इतना बढ़ गया कि मेरे लिए यह खेल खाने और सोने से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया।’’ इस 34 साल की खिलाड़ी ने शनिवार को क्लास 4  वर्ग के सेमीफाइनल में चीन की मियाओ झांग को 3 . 2 से हराया।

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भाविना ने दुनिया की तीसरे नंबर की खिलाड़ी को 7.11, 11.7, 11.4, 9.11, 11.8 से हराकर भारतीय खेमे में भी सभी को चौंका दिया। अब उनका सामना दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी चीन की यिंग झोउ से होगा। उन्होंने कहा कि उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव तब आया जब वह अपने गांव से अहमदाबाद आयी। गुजरात के मैहसाणा जिले में एक छोटी परचून की दुकान चलाने वाले हसमुखभाई पटेल की बेटी भाविना ने कहा, ‘‘ अहमदाबाद आने से पहले जब मैं छोटे से गांव में थी तब मुझे पता भी नहीं था कि टेबल टेनिस जैसा कोई खेल होता है। ’’ पटेल ने 15 साल पहले अहमदाबाद के वस्त्रापुर इलाके में ‘ब्लाइंड (दृष्टिबाधित) पीपुल्स एसोसिएशन’ में इस खेल को खेलना शुरू किया था। जहां वह दिव्यांग लोगों के लिए आईटीआई (भारतीय प्रशिक्षण संस्थान) की छात्रा थीं। वहां उन्होंने दृष्टिबाधित बच्चों को टेबल टेनिस खेलते हुए देखा और इस खेल से जुड़ने का फैसला किया।

उन्होंने अपना पहला पदक अहमदाबाद में रोटरी क्लब का प्रतिनिधित्व करते हुए एक प्रतियोगिता में जीता। वह गुजरात के लिए जूनियर क्रिकेट खेलने वाले निकुंज पटेल से शादी के बाद अब अहमदाबाद में ही बस गई हैं। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय कोच लल्लन दोषी के अलावा टॉप्स (टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना) से मिले उस रोबोट को भी दिया जिससे वह अभ्यास करती है। उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे 2020 में टॉप्स से रोबोट मिला। इसने मुझे अपने खेल को बेहतर बनाने में मदद की। यह उन्नत सुविधाओं वाला एक बहुत ही बेहतर रोबोट है। यह एक सिमुलेशन (असली जैसा) की तरह अपने आप गेंद फेंकता है। मुझे हालांकि प्रशिक्षित करने के लिए लल्लन सर ज्यादातर समय मौजूद थे।’’ उन्होंने बताया कि इस मशीन (रोबोट) की कीमत चार लाख रुपये है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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