कैसे शुरू हुआ ओलंपिक मेडल का सफर, जानें यहां..

This is how olympic medal journey started

ओलंपिक में जीतने का इनाम एक एथलीट के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि होती है और इसके लिए तय किया गया सफर भी बहुत लंबा रहा होता है ।

ओलंपिक में जीतने का इनाम एक एथलीट के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि होती है और इसके लिए तय किया गया सफर भी बहुत लंबा रहा होता है ।प्राचीन ओलंपिक खेलों में इनाम की बात करें तो इनाम के तौर पर  उस दौरान विजय होने वाले एथलीटों को 'कोटीनो 'या जैतून की माला से सम्मानित किया जाता था। जिन्हें ग्रीस में एक पवित्र पुरस्कार माना जाता था, जो सर्वोच्च सम्मान का प्रतिनिधित्व करता था।

 लेकिन 1896 में प्राचीन ग्रीस ने लंबे समय से खोई हुई परंपरा ,ओलंपिक खेलों का एथेंस में पूर्व जन्म हुआ था। इसके पुनर्जन्म  के साथ ही लोगों ने नई प्रथाओं को अपनाया और इस प्रकार पदक देने का रिवाज शुरू हुआ था ।

 विजेताओं के लिए रजत पदक जबकि उप विजेताओं को तांबा या कांस्य पदक दिया जाने लगा ।1904 के सेंट लुइस खेलों में अब मानक स्वर्ण ,रजत और कांस्य पदक का पहली बार उपयोग किया गया था। यह तीनों धातु ग्रीक पौराणिक कथाओं में मनुष्य के पहले तीन  युगों का प्रतिनिधित्व करती हैं ।

स्वर्ण युग- पुरुष देवताओं के बीच रहते थे, रजत युग- जब युवा  100 वर्ष तक रहता था और कांस्य युग या नायकों का युग। 1923 में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति आईओसी के द्वारा मूर्ति कारों के लिए ग्रीष्म कालीन खेलों के लिए पदक डिजाइन करने के लिए एक प्रतियोगिता शुरू की गई थी जिसमें 1928 में इतालवी कलाकार गिव शेप  कैसीओली के डिजाइन को विजेता के रूप में चुना गया था।

 इसकी डिजाइन में पदक का अग्रभाग उभरा हुआ था ,जिसमें नाइके ने अपने बाएं हाथ में एक हथेली और दाएं और विजेता के लिए मुकुट धारण किया गया था, जिसकी पृष्ठभूमि में कालीजीएम का चित्रण था और रिवर्स में एक विजय एथिलीट को लेकर लोगों की भीड़ थी ।यह डिजाइन काफी समय तक जारी रहा था। इसका  अग्रभाग 2004 एथेंस ओलंपिक के दौरान बदल दिया गया था। दिलचस्प बात यह है कि स्वर्ण पदक पूरी तरह से पीली धातु से नहीं बने होते हैं।

 1912 के स्टॉकहोम खेलों में आखरी बार ओलंपिक पदक पूरी तरह से धातु से बना हुआ था। आईओसी के दिशा निर्देशों के अनुसार एक स्वर्ण पदक में कम से कम 6 ग्राम धातु होनी चाहिए, लेकिन  अब धातु की केवल परत चढ़ाई जाती है।। 2008 के बीजिंग ओलंपिक में चीन ने पहली बार धातु के अलावा अन्य सामग्री से बने पदक पेश किए थे ।

 2016 के रियो ओलंपिक के नक्शे कदम पर चलते हुए टोक्यो खेलों के आयोजकों ने पुन नवीनीकरण इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से बने पदकों का विकल्प चुना था, जिसमें लैपटॉप और स्मार्टफोन शामिल हैं। पिछले वर्षों के विपरीत अब खेलों में पदक 8 .5 सेंटीमीटर व्यास के होंगे और ग्रीक देवी नाइक की उड़ान छवि होगी।

 इनका उत्पादन सोने चांदी और का कांस्य धातु से किया जाएगा जबकि अब तक तांबा और जस्ता से किया जाता रहा है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़