क्या होता है ईआरपी (ERP), क्यों होता है इस्तेमाल?

ERP

जाहिर तौर पर किसी बड़े आर्गेनाइजेशन में तमाम डिपार्टमेंट कार्य करते हैं। अब एक व्यक्ति कितनी सारी चीजों को याद रखेगा। उसे तमाम महत्वपूर्ण निर्णय लेने पड़ते हैं और मैनुअली इसमें गलती होने के चांसेस बढ़ जाते हैं। इसीलिए ईआरपी का अविष्कार हुआ।

ईआरपी (ERP) अर्थात एंटरप्राइज रिसोर्स प्लैनिंग। इसे आप सॉफ्टवेयर के युग में सबसे बड़ा सॉफ्टवेयर भी मान सकते हैं। इसका सीधा सा मतलब यह समझें कि चाहे कोई भी व्यवसाय है, उसे मैनेज करने के लिए आपको अलग-अलग डिपार्टमेंट के साथ डील करना पड़ता है। जैसे किसी कंपनी में प्रोडक्शन डिपार्टमेंट होता है, तो उसी कंपनी में अकाउंटिंग डिपार्टमेंट भी होता है। उसी कंपनी में सेल्स डिपार्टमेंट भी कार्य करता है, तो सपोर्ट डिपार्टमेंट भी उस कंपनी के लिए उतना ही आवश्यक होता है।

इसके अतिरिक्त एचआर यानी ह्यूमन रिसोर्स से लेकर परचेज जैसे महत्वपूर्ण विभागों के ऊपर ही कोई कंपनी चलती है। जब तक किसी कंपनी का साइज छोटा रहता है, तब तक कंपनी का मालिक इन सब चीजों को मैनुअली देख सकता है। लेकिन कल्पना कीजिए कि किसी कंपनी में 1000 का स्टाफ है, या उससे ज्यादा मैन पॉवर हो तो?

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जाहिर तौर पर किसी बड़े आर्गेनाइजेशन में तमाम डिपार्टमेंट कार्य करते हैं। अब एक व्यक्ति कितनी सारी चीजों को याद रखेगा। उसे तमाम महत्वपूर्ण निर्णय लेने पड़ते हैं और मैनुअली इसमें गलती होने के चांसेस बढ़ जाते हैं। इसीलिए ईआरपी का अविष्कार हुआ। इसमें एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से तमाम चीजें सेंट्रलाइज रूप से प्रबंधित की जाती हैं। डिफरेंट डिपार्टमेंट्स इसके माध्यम से इंटरनल कम्युनिकेशन भी आसानी से करते हैं और इस तरीके से कंपनी फंक्शन कर पाती है।

जब आप टेक्नोलॉजी का यूज करते हैं तो तमाम चीजें सेंट्रलाइज डेटाबेस से जुड़ी होती हैं और ऐसी स्थिति में ट्रांसपेरेंसी बढ़ जाती है। सेंट्रलाइज से यहाँ तात्पर्य डेटाबेस के आपस में जुड़े होने से भी है। थोड़ा और आसान शब्दों में कहा जाए तो कोई डिपार्टमेंट किसी दूसरे डिपार्टमेंट की फाइल क्यों नहीं पास कर रहा है, यह ईआरपी में आसानी से नजर आ जाता है।

इतना ही नहीं, आपके पास कितनी इन्वेंटरी पड़ी है, कौन सा प्रोसेस किस जगह पर फंसा हुआ है और उसके ऊपर रिमार्क क्या है, यह तमाम चीजें ईआरपी सॉफ्टवेयर में निहित होती हैं। 

सच कहा जाए तो किसी भी कंपनी को ईआरपी लागू करने से बड़ा फायदा होता है। जैसे इसके द्वारा आप अपनी कंपनी के फाइनेंसियल मैनेजमेंट को बिल्कुल सटीक रूप से समझ सकते हैं और उस पर नियंत्रण भी रख सकते हैं। इसी प्रकार किसी बिजनेस में उसके ग्राहक सबसे महत्वपूर्ण होते हैं और उनसे जुड़ी तमाम जानकारियां, सपोर्ट, डिस्ट्रीब्यूशन मैनुअली संभव नहीं हो पाता है और ईआरपी इस कार्य को बेहद आसानी से प्रबंधित करता है और सिंगल क्लिक में आपके सामने रिपोर्ट आ जाती है कि कौन सी चीज डिलीवर हुई, किस प्रोडक्ट में फाल्ट है, किस बिल का पेमेंट हो गया है अथवा किस डिपार्टमेंट में हायरिंग का कोई प्रोसेस, किस जगह पहुंचा है। 

कोई प्रोडक्ट अगर आपकी कंपनी में डेवलप हो रहा है तो उसके स्टैंडर्डाइजेशन के लिए, टाइमली डिलीवरी तक के लिए ईआरपी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है तो मानव संसाधन में भी यह काफी उपयोगी होता है।

मुख्य रूप से ईआरपी 3 तीन तरह की श्रेणी में रखे जाते हैं। 

स्माल बिजनेस ईआरपी

छोटे बिजनेस के लिए। मतलब इस तरह के ईआरपी वहां इंस्टाल किये जाते हैं, जहाँ अपेक्षाकृत कम लोग कार्य करते हैं। इसे इंप्लीमेंट करने की कॉस्ट भी अपेक्षाकृत कम ही आती है। हालाँकि, कितना भी कम कास्ट रहे, किन्तु सामान्य सॉफ्टवेयर इंस्टालेशन से यह महंगा ही होता है। बहरहाल, इस तरह का ईआरपी जहाँ इनस्टॉल किया जाता है, उन कंपनियों में अपेक्षाकृत डिपार्टमेंट भी कम होते हैं। जाहिर तौर पर आप इसे शुरुआती लेवल का ईआरपी मान सकते हैं। सामान्य तौर पर यह सभी तरह के बिजनेस में अप्लाई हो जाती है और एक तरह से यह कॉमन ईआरपी कही जा सकती है।

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इंडस्ट्री ओरिएंटेड ईआरपी 

कल्पना कीजिए कि आप रियल एस्टेट का बिजनेस करते हैं अथवा आप ऑटो इंडस्ट्री के पार्ट्स बनाते हैं या फिर आप एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स का बिजनेस करते हैं। जाहिर तौर पर इसी तरह के दूसरे बिजनेस एक दूसरे से नेचर में अलग होते हैं। ऐसी स्थिति में कोई ईआरपी सभी इंडस्ट्रीज पर लागू नहीं हो सकती। खासकर तब जब कंपनी की साइज़ बड़ी हो। ऐसी स्थिति में किसी भी उद्योग की स्पेसिफिक ज़रूरतों के आधार पर ईआरपी डिवेलप की जाती है और उस उद्योग की ईआरपी को कंपनी के अनुसार कस्टमाईज एवं डिजिटलाइज किया जाता है। इसमें ट्रांसपेरेंट सिस्टम बनाया जाता है और समय अनुसार उसमें सुधार भी किया जाता है।

क्लाउड ईआरपी 

आज के समय में अधिकांश सॉफ्टवेयर क्लाउड बेस्ड हो गए हैं और इसमें आसान बात यह होती है कि कहीं से भी आप लागइन कर के एक-एक रिपोर्ट देख सकते हैं, अपना फीडबैक-रिमार्क दे सकते हैं। कई बार एक कंपनी की अलग-अलग जगहों पर डिफरेंट ब्रांच होती हैं या डिफरेंट प्लांट्स होते हैं, तो तमाम प्लांट्स को या अपनी कंपनी की ब्रांचेज को एक जगह से मैनेज करने में क्लाउड ईआरपी काफी लाभदायक होती है। इसलिए यह बड़ी संख्या में उपयोग में आने लगी है।

आप समझ ही चुके होंगे कि ईआरपी किसी में बिजनेस के लिए क्यों आवश्यक है। ऐसे में अगर पॉपुलर ईआरपी सिस्टम्स की बात किया जाए तो एसएपी (SAP) का नाम आता है। यह जर्मनी आधारित एक बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी है और तमाम बड़ी कंपनीज में इसका सिस्टम इंप्लीमेंट किया गया है। यह बेहद सक्सेसफुल ईआरपी मानी जाती है और इसके तमाम मॉड्यूल इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी कंपनी अपने रिसोर्सेज का बेहतर से बेहतर इस्तेमाल कर सके।

इसी प्रकार अमेरिका स्थित ओरेकल कंपनी भी क्लाउड ओरिएंटेड ईआरपी बनाती है और इसका सॉफ्टवेयर भी काफी प्रसिद्ध है। डेटाबेस मैनेज करने में ओरेकल का स्तर बाकी तमाम कंपनियों से काफी ऊंचा है। वस्तुतः डेटाबेस मैनेज करने में ओरेकल को महारत हासिल है।

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इनके अलावा भी माइक्रोसॉफ्ट डायनामिक्स, नेटसुईट, सिसप्रो, फाइनेंसियल फ़ोर्स, ओडू, डेस्केरा इत्यादि कम्पनियाँ वैश्विक स्तर के ईआरपी सॉफ्टवेयर बनाती हैं। लोकल स्तर पर भी कई ईआरपी सॉफ्टवेयर आप ले सकते हैं, जो अपेक्षाकृत सस्ते होते हैं। इंटरनेट पर अगर आप सर्च करेंगे, अपने बिजनेस पर आधारित तो कई सारी छोटी कंपनियों के ईआरपी सॉफ्टवेयर मिल जाएंगे, जो संभवतः आपके बिजनेस को सूट करे। बजट के अनुसार कई कम्पनियां सस्ते ईआरपी सॉफ्टवेयर इन्स्टाल कराना प्रीफर करती हैं।

पर एक बात समझने लायक है कि आज के समय की बिजनेस की मूलभूत जरूरत बन गई है ईआरपी! क्योंकि अगर आप इसे इंप्लीमेंट नहीं करते हैं तो कंपटीशन में अपने प्रतिद्वंद्वियों से आप काफी पीछे जा सकते हैं। 

- मिथिलेश कुमार सिंह

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