जम्मू कश्मीर में बसोहली और बिलावर उभरते पर्यटन गंतव्य
पांडव काल में बिलावर में निर्मित पौराणिक शिव मंदिर में श्रद्धालु व अन्य यात्री पूरे वर्ष यहां पर आते हैं। बसोहली ऐतिहासिक नगर है, इसका समृद्ध इतिहास है। इसकी पहाड़ी चित्रकला तथा पश्मीना शाल विश्वप्रसिद्ध है।
आगामी वर्षों में जिला कठुआ के ऐतिहासिक कस्बे बसोहली तथा बिलावर बदलावों की ओर अग्रसर हैं। सांस्कृतिक धरोहर, साम्प्रदायिक तालमेल, भाईचारे से भरपूर ये नगर सामाजिक सांस्कृतिक रिश्तों को एक धागे में बांधते हुए देश में विशिष्ट पहचान देती है। निचले हिमालय में शिवालिक के इस हिस्से ने हमें कई नौकरशाह, डॉक्टर, इंजीनियर, विज्ञानी तथा योद्धा दिए हैं। जहां तक पयर्टन की बात है सरकार द्वारा इन कस्बों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
बिलावर, सुकराला, मच्छेड़ी
पांडव काल में बिलावर में निर्मित पौराणिक शिव मंदिर में श्रद्धालु व अन्य यात्री पूरे वर्ष यहां पर आते हैं। इस मंदिर को संरक्षित धरोहर घोषित किए जाने के लिए भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा शुरू किया गया मुरम्मत तथा बहाली का काम प्रगति पर है। प्रत्येक सोमवार, नवरात्रों तथा तीन दिवसीय बैसाखी महोत्सव के दौरान श्रद्धालुओं का भारी रश होता है। पिछले कुछ वर्षों से बैसाखी के पर्व पर आयोजित होने वाले तीन दिवसीय बैसाखी महोत्सव के दौरान स्थानीय तथा बाहरी कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने से यह कार्यक्रम काफी लोकप्रिय हो गया है। पर्व में जिले तथा अन्य क्षेत्रों से पचास से साठ हजार लोग आते हैं जो इस मेले की लोकप्रियता का प्रमाण है। नाज नदी के पास स्थापित प्राचीन हनुमान भगवान की मूर्ति गांव तिल्ला के आसपास स्थित बावलियां भी श्रद्धालुओं के लिए पवित्र व पूजनीय हैं।
सुकराला गांव में लखनपुर सरथल विकास प्राधिकरण की ओर से सुकराला देवी भवन की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर छत तथा सुकराला गांव में एक यात्री निवास का भी निर्माण करवाया जा रहा है। दो मंजिला भवन में सुविधाओं से सुसज्जित कमरे, स्नानघर, एक भोजनालय व खुली जगह का विकास पूरा होने की कगार पर है। यह यात्री निवास सुकराला देवी आने वाले श्रद्धालुओं तथा अन्य यात्रियों को सुविधाएं देगा और मच्छेड़ी, लोहाई व मल्हार की वादियों का प्राकृतिक सौंदर्य देखने वालों के लिए आवासीय सुविधा उपलब्ध करवाएगा।
आगामी समय में मच्छेड़ी में ट्रैकरों के लिए ठहरने की सुविधा, बिलावर के समीप फिंतर में सड़क किनारे आराम के लिए रूकने की सुविधा, बिलावर में पार्क आदि निर्माण कार्य भी शुरू होने वाले हैं जिससे यात्रियों को सुविधाएं प्राप्त होंगी तथा पर्यटन सुविधाओं में बढ़ोत्तरी होगी।
श्री माता बाला सुंदरी मंदिर, बिलावर
इस मंदिर को पर्यटन गांव योजना के तहत विकसित करने के लिए चुना गया है। इसके तहत पेयजल व जनसुविधा उपलब्ध करवाना योजना के प्रमुख भाग हैं और निर्माण के विभिन्न स्तरों पर हैं। यात्रियों के लिए मार्ग में तीन शैड का निर्माण किया जा चुका है। ये दोनों सुविधाएं श्रद्धालुओं की यात्रा को सुविधाजनक बनाने में सहायक होंगी। लखनपुर सरथल विकास प्राधिकरण ने जम्मू व कश्मीर केबल कार कारपोरेशन से संपर्क कर भिन्नी से मंदिर तक केबल कार शुरू करने की संभावना देखने को कहा है।
बिलावर के शालियां में जनसुविधाओं, गुजरू नगरोटा में पार्क का विकास, शरद मंडली में शिव मंदिर व रामपुर रसूल में मंदिर का विकास तथा अन्य दर्शनीय स्थलों का निर्माण भी बिलाबर तथा इसके आसपास के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य हैं जो निर्माण के विभिन्न स्तरों पर हैं।
धार महानपुर
यह मोहक व सुन्दर स्थान लखनपुर से दो घंटे की दूरी पर है। उंचाई पर स्थित देवदार के पेड़, शीतल व प्रदूषणमुक्त वातावरण इस घाटी की सुन्दरता को चार चांद लगाते हैं। आदर्श गाांव के तौर पर विकसित धार महानपुर गांव से रंजीत सागर जलाशय का विहगंम दृश्य देखने को भी मिलता है।
लखनपुर सरथल विकास प्राधिकरण द्वारा एक पर्यटन परिसर का धार में निर्माण कार्य भी शुरू किया जा चुका है। इससे यात्रियों, ट्रैकरों की आवश्यकताओं का ख्याल रखा जा सकेगा। विशेष रूप से गर्मियों में लुभावना व शीतल मौसम के चलते धार महानपुर में एक आर्दश पर्यटक स्थल बनने की क्षमता है।
बसोहली तथा रंजीत सागर झील
बसोहली जो कि एक ऐतिहासिक नगर है, इसका समृद्ध इतिहास है। इसकी पहाड़ी चित्रकला तथा पश्मीना शाल विश्वप्रसिद्ध है। चंचलो देवी मंदिर तथा रेहनी में पौराणिक शिव मंदिर भी प्रमुख हैं। रावी नदी पर बसोहली में केबल ब्रिज का निर्माण भी यात्रा को बढ़ावा देगा क्योंकि पंजाब, हिमाचल आदि से भी यात्री बसोहली, बिलावर, बनी और सरथल क्षेत्रों में यात्रा करने आते हैं। केबल ब्रिज जो देश के महत्वपूर्ण चार पुलों में से एक है, का कार्य एक महीने तक पूरा हो जाएगा और बसोहली और हिमाचल के डलहौजी, मकलोडगंज, बनीखेत तथा धर्मशाला जैसे पर्यटन स्थलों के बीच की दूरी को कम कर देगा। इससे बसोहली पहुंचने में पठानकोट से एक घंटा व हिमाचल से 45 मिनट लगेंगे।
रंजीत सागर जलाशय जो रावी नदी के ऊपर बांध का निर्माण करने से बना था, अपने आप में ही यात्रियों को आकर्षित करने वाला स्थान है। गत मई माह में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहमद सईद बसोहली की यात्रा के दौरान विशाल जलाशय की खूबसूरती को देख विस्मित हो गए और उन्होंने इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने में रूचि दिखाई।
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