अध्यात्म की भूमि राजगीर के ऐतिहासिक स्थल अपने में कई कहानियां समेटे हुए हैं

Rajgir
प्रीटी । Jul 2 2021 4:10PM

ऐतिहासिक स्थलों की कड़ी में एक और श्रृंखला 'बिम्बिसार का कारागार' के रूप में जुड़ती है। यहीं पर अजातशत्रु ने मगध साम्राज्य को सत्ताच्युत कर कैद किया था। यहां से थोड़ा आगे चलने पर आपका सामना होगा 'स्वर्ण भंडार' नामक एक रहस्यमय स्थल से।

क्या आप खूबसूरत प्राकृतिक नजारों के साथ ही ऐतिहासिक स्थल भी देखना चाहते हैं? तो फिर चलिए आपको लिए चलते हैं पांच पहाड़ियों से घिरी मगध की राजधानी राजगीर में। ज्ञातव्य है कि इस नगरी का संबंध महाभारत काल की घटनाओं से भी है। सैर सपाटे के साथ ही आप यहां पर हिंदू, बौद्ध तथा जैन धर्मों के तीर्थस्थलों के भी दर्शन कर सकते हैं। राजगीर की विशेषताओं में सिर्फ पेड़ों से भरे पहाड़, घने जंगल, गर्म जल के कुंड और प्रसिद्ध मंदिर ही नहीं हैं बल्कि यहां आप ट्रैकिंग का मजा लेने के साथ ही रोप−वे के सहारे हरी−भरी घाटियों पर से गुजरने का आनंद भी उठा सकते हैं।

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देखा जाए तो पूरा राजगीर ही एक दर्शनीय स्थलों से भरा पड़ा है लेकिन यहां आते ही सबसे पहले नजर प्राचीन राजगृह की 40 किलोमीटर लम्बी सुरक्षा दीवार पर ही पड़ती है। आप देखेंगे कि किस प्रकार अनगढ़ पत्थरों को करीने से एक के ऊपर एक रखकर बनाई गई इस दीवार के अवशेष आज भी मौजूद हैं। इस जगह के बारे में कहा जाता है कि भगवाना बुद्ध ने अपने जीवनकाल के कई वर्ष राजगीर में ही बिताए थे। यहां आपको 'वेणुवन' और 'आम्रवन' नामक भगवान बुद्ध के दो स्थल भी मिलेंगे, कहा जाता है कि यह स्थल राजा बिम्बिसार ने उन्हें रहने के लिए दिए थे। यहीं कुछ दूरी पर गृद्धकूट पर्वत स्थित है जिसे भगवान बुद्ध अत्यधिक पसंद किया करते थे और पसंद ही नहीं वह तो वर्षा ऋतु के लगभग तीन महीने इसी पर्वत की कंदरा में गुजारा करते थे।

यहां पर ऐतिहासिक स्थलों की कड़ी में एक और श्रृंखला 'बिम्बिसार का कारागार' के रूप में जुड़ती है। यहीं पर अजातशत्रु ने मगध साम्राज्य को सत्ताच्युत कर कैद किया था। यहां से थोड़ा आगे चलने पर आपका सामना होगा 'स्वर्ण भंडार' नामक एक रहस्यमय स्थल से। कहते हैं कि इसमें बिम्बिसार का राजकीय खजाना दफन किया गया है। इसकी दीवार पर शंखलिपि में लिखी इबारत में खजाने तक पहुंचने का राज भी लिखा है। यहीं से कुछ दूरी पर स्थित है, 'जरासंध का अखाड़ा', यहां पर महाभारत काल में भीम और जरासंध के बीच लगभग एक माह तक मल्लयुद्ध हुआ था और भीम के हाथों जरासंध मृत्यु को प्राप्त हुआ था।

आगे आपको मिलेगा, 'विश्व शांति स्तूप', जोकि रत्नगिरी पर्वत की चोटी पर स्थित है। पर्यटकों के लिए यह अत्यधिक आकर्षण का केन्द्र बना रहता है। इस स्तूप तक 2200 फीट लंबे एरियल रोप−वे के द्वारा पहुंचने का आनंद अलग ही महत्व रखता है। और हो भी क्यों न, आखिर हरी−भरी घाटी के बीच में से जमीन से कई सौ फीट ऊपर की यह यात्रा अत्यधिक रोमांचकारी जो होती है। यहां पर ही गर्म जल का एक कुंड भी है जिसमें कि आप अपनी थकान बड़े ही आराम से उतार सकते हैं। इस कुंड में डुबकी लगाते ही आप बिल्कुल तरोताजा महसूस करेंगे। इस कुंड में चर्म रोगों को दूर करने की क्षमता भी है। यहां पर आपको कई कुंड मिलेंगे। इन कुंड़ों के बारे में एक रोचक बात और है, वह यह कि यहां के गर्म जल के कुंडों में एक 'ब्रह्मकुंड' भी है जिसमें पानी का तापमान 45 डिग्री सैंटीग्रेड तक रहता है।

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इस स्थल के बारे में ज्ञानवर्धक बात यह भी है कि यहां भगवान महावीर ने धर्म प्रचार के लिए 14 वर्ष यहां व्यतीत किए थे। शायद इसीलिए यहां पर जैन धम्र के 26 से भी अधिक बड़े मंदिर हैं। वीरायतन नामक मंदिर में स्थित म्यूजियम में भगवान महावीर के जीवन की पूरी झांकी प्रदर्शित की गई है जो कि वास्तव में दर्शनीय होने के साथ ही अतुलनीय भी कही जा सकती है। राजगीर में घूमते हुए एक बात अवश्य ध्यान रखें कि टमटम में बैठना न भूलें। यहां से आप हस्तशिल्प की वस्तुओं की खरीदारी करने के साथ ही सीपी और काष्ठ से बनी सुंदर कलाकृतियां भी खरीद सकते हैं।

बिहार की राजधानी पटना से लगभग 107 किलोमीटर दूर स्थित राजगीर में ठहरने के लिए पर्यटकों के पास ढेर से विकल्प हैं। यहां होटल और गेस्ट हाऊस के साथ ही बिहार पर्यटन के बंगले भी हैं। यहां से निकटतम हवाई अड्डा पटना का हवाई अड्डा ही है। रेल से यहां आना चाहें तो आपको बख्तियारपुर तक आना होगा जहां से आपको राजगीर के लिए बस या टैक्सी आराम से मिल जाएंगी। और अब तो छुटि्टयों का मौसम है इसलिए विभिन्न ट्रैवल कंपनियों के साथ ही बिहार पर्यटन निगम भी पैकेज टूर आयोजित करता है, तो फिर देर किस बात की जल्दी ही पता कीजिए और पहुंचिए राजगीर एक ऐतिहासिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थल में विचरने के लिए। हालाँकि आते समय बिहार सरकार की कोरोना गाइडलांइस को जरूर देख लें।

-प्रीटी

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