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यह रहीं भारत के विभिन्न शहरों की कुछ खूबसूरत झीलें
- मिताली जैन
- अक्टूबर 22, 2020 18:30
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पिछोला झील एक कृत्रिम झील है जो राजस्थान के रेगिस्तानी राज्य उदयपुर में स्थित है। यह 14 वीं शताब्दी में उदयपुर की रानियों के लिए सूर्यास्त का आनंद लेने के लिए बनाया गया था। आज भी, इस झील को पूरे साल सूर्यास्त देखने के लिए एक रोमांटिक स्थान माना जाता है।
झीलें हमेशा से भारत में पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र रही हैं। पिकनिक से लेकर वाटर स्पोर्ट्स तक, ये झीलें सभी प्रकार के पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। कुछ झीलों के बारे में आपने शायद पहले सुना हो या फिर वहां पर गए भी हों, लेकिन ऐसी कई झीलें हैं, जिनके बारे में शायद आप ना जानते हों। तो चलिए आज हम आपको भारत में स्थित कुछ झीलों के बारे में बता रहे हैं, जिनके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए−
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वुलर झील
यह झील श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर से लगभग 60 किमी दूर स्थित है। यह झील टेक्टोनिक गतिविधि के कारण बनी थी। यह महाद्वीप की सबसे बड़ी ताजे पानी की झील है और 15 वीं शताब्दी के इतिहास में इसका प्रमुख स्थान है। भारी तूफान के दौरान मछुआरों और अन्य लोगों को शरण देने के लिए झील के बीच में एक मानव र्निमित द्वीप है। यहां पर यात्रा का प्रमुख समय जून से अगस्त के बीच है।
लोकतक झील
यह झील मणिपुर में स्थित है। फरवरी और मार्च के बीच आप इस झील पर क्रूज का आनंद लें। झील के पास, दुनिया का एकमात्र तैरता पार्क पाया जा सकता है जहाँ आप डांसिंग हिरण, एक लुप्तप्राय प्रजाति देख सकते हैं।
दमदमा झील
यह झील हरियाणा में स्थित है। यह दिल्ली से लगभग 56 किमी दूर है। नौका विहार से पैरासेलिंग तक शुरू होने वाली यह झील सभी प्रकार की गतिविधियों को समायोजित करती है। यहां पर बहुत सारे द्वीप हैं जिनमें आनंद लेने के लिए कई जल रिसॉर्ट हैं।
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डल झील
डल झील श्रीनगर में है। यह वास्तव में दुनिया में एकमात्र फ्लोटिंग पोस्ट ऑफिस रखने के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा, आनंद लेने के लिए बहुत सारे द्वीप, मंदिर और हाउसबोट हैं। यहां पर पानी से जुड़ी गतिविधियाँ आमतौर पर जुलाई और अगस्त के बीच खुली रहती हैं।
पिछोला झील
पिछोला झील एक कृत्रिम झील है जो राजस्थान के रेगिस्तानी राज्य उदयपुर में स्थित है। यह 14 वीं शताब्दी में उदयपुर की रानियों के लिए सूर्यास्त का आनंद लेने के लिए बनाया गया था। आज भी, इस झील को पूरे साल सूर्यास्त देखने के लिए एक रोमांटिक स्थान माना जाता है।
चिलिका झील
यह झील उड़ीसा में पाई जाती है। यह देश की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। नवंबर से फरवरी तक इस झील में राजहंस सहित कई अनोखे पक्षी देखे जा सकते हैं। 4 वीं शताब्दी में, यह झील एक खाड़ी थी जहां व्यापारियों ने अपने जहाजों को रोक दिया था।
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रेणुका झील
यह झील हिमाचल प्रदेश में पाई जाती है। यह इस राज्य में एक महत्वपूर्ण पर्यटन आकर्षण है। लॉयन सफारी से शुरू होकर बोटिंग तक, पूरे साल यहां पर बहुत सारी गतिविधियाँ होती हैं।
सूरज ताल झील
यह झील उत्तर भारत की एक महत्वपूर्ण सुंदरता है। हिमाचल प्रदेश में स्थित यह झील अपने सुखद वातावरण और शांत सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यह झील देश की ऊंचाई वाली झीलों में से एक है। पर्यटकों को एक सुंदर दृश्य का आनंद लेने के लिए गर्मी के मौसम में इस झील की सैर करना पसंद है। इस झील की यात्रा के लिए मई से अक्टूबर का समय सबसे अच्छा है।
मिताली जैन
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- मिताली जैन
- फरवरी 27, 2021 16:54
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पिछोला झील एक कृत्रिम झील है, यह झील शहर की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी झील है। पिछोला झील का दौरा नाव की सवारी के बिना अधूरा है। यह झील कई सुरम्य दृश्य प्रदान करती है और यहां पर सूर्यास्त का भी एक अद्भुत नजारा देखने को मिलता हैं।
उदयपुर, राजस्थान का एक बेहद ही खूबसूरत शहर है और इसका एक शानदार इतिहास है। उदयपुर लोकप्रिय रूप से द सिटी ऑफ लेक के रूप में जाना जाता है और यह स्थान वेनिस और पूर्व के तथाकथित वेनिस का अहसास देता है। इसे भारत के व्हाइट सिटी के रूप में भी जाना जाता है और उदयपुर के व्हाइट सिटी होने के पीछे का कारण यह है कि यह आश्चर्यजनक झीलों और खूबसूरत संगमरमर वास्तुकला का एक घर है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको उदयपुर में घूमने की कुछ खूबसूरत जगहों के बारे में बता रहे हैं−
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पिछोला झील
पिछोला झील एक कृत्रिम झील है, यह झील शहर की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी झील है। पिछोला झील का दौरा नाव की सवारी के बिना अधूरा है। यह झील कई सुरम्य दृश्य प्रदान करती है और यहां पर सूर्यास्त का भी एक अद्भुत नजारा देखने को मिलता हैं। यह स्थान दंपतियों के लिए आदर्श है क्योंकि वे झील के आसपास के रास्ते में टहल सकते हैं और सूर्यास्त का भी आनंद ले सकते हैं।
विंटेज कार म्यूजियम
उदयपुर न केवल किलों और झीलों के लिए जाना जाता है बल्कि यहां पर एक विंटेज कार म्यूजियम भी है। इस संग्रहालय में कई पुरानी कारें हैं जो उदयपुर के मेवाड़ राजवंश द्वारा उपयोग की जाती थीं। यहां आपको विंटेज रोल्स रॉयस, मर्सिडीज के मॉडल देखने को मिलेंगी, ये सभी कारें कस्टम और रॉयल्स के स्वामित्व वाली थीं। 1934 में रोल्स रॉयस फैंटम को यहां संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है जिसका उपयोग प्रसिद्ध जेम्स बॉन्ड फिल्म में किया गया था। यहां लगभग 20 प्राचीन कारें मौजूद हैं जो मोटर प्रेमियों के लिए किसी खजाने से कम नहीं है।
बागोर की हवेली
इसे 18 वीं शताब्दी में पिछोला झील के तट पर बनाया गया था। बाद में इस जगह को एक संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया। इस संग्रहालय में राजपूतों द्वारा उपयोग की जाने वाली चीजें जैसे गहने, हाथ के पंखे, तांबे के बर्तन आदि हैं। इस हवेली में 100 से अधिक कमरे हैं और इसकी वास्तुकला की अनूठी शैली शानदार है। हवेली का मुख्य आकर्षण "धरोहर डांस शो" है और इसे हर शाम आयोजित किया जाता है और यह राजस्थान की संस्कृति और लोक परंपरा को प्रदर्शित करता है।
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फतह सागर झील
फतह सागर झील उदयपुर में एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो अरावली पहाडि़यों से घिरी हुई है। यह जगह शहर की दूसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है। कोई भी मोती−मगरी सड़क पर ड्राइविंग करके फतह सागर झील की परिधि देख सकता है। यहां पर आप हाथ बोटिंग से लेकर कुछ वाटर स्पोर्ट्स का मजा ले सकते हैं।
मिताली जैन
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- सिमरन सिंह
- फरवरी 24, 2021 10:17
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अगर आप मथुरा जा रहे हैं तो सबसे पहले कृष्ण जन्मभूमि मंदिर ही जाएं। कृष्ण जन्मभूमि से ही आपको ये साफ हो गया होगा कि ये कृष्ण भगवान का जन्म स्थान है। बता दें कि इस मंदिर को उसी कारागार के बाहर बनाया गया है जहां भगवान कृष्ण ने जन्म लिया था।
भगवान कृष्ण की नगरी कहलाई जाने वाला धार्मिक स्थल मथुरा दुनियाभर में पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है। यहां भगवान कृष्ण के दर्शन करने के लिए विश्वभर से पर्यटक आते हैं। ये स्थल भगवान श्री कृष्ण जन्मभूमि से भी जाना जाता है। विशेषतौर होली मानाने के लिए यहां दूर-दूर से लोग आया करते हैं। यहां कृष्ण मंदिर के अलावा कई अन्य जगह भी हैं जहां आप घूमने के लिए जा सकते हैं। मथुरा से करीब 56 किलोमीटर की दूरी पर आगरा है। आप चाहें तो मथुरा के साथ-साथ आगरा भी घूमने जा सकते हैं। वहीं, अगर आप मथुरा घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आज हम आपको जिन प्रमुख जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं वहां आप घूमने जा सकते हैं। आइए आपको मथुरा के कुछ प्रमुख स्थानों के बारे में बताते हैं...
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कृष्ण जन्मभूमि
अगर आप मथुरा जा रहे हैं तो सबसे पहले कृष्ण जन्मभूमि मंदिर ही जाएं। कृष्ण जन्मभूमि से ही आपको ये साफ हो गया होगा कि ये कृष्ण भगवान का जन्म स्थान है। बता दें कि इस मंदिर को उसी कारागार के बाहर बनाया गया है जहां भगवान कृष्ण ने जन्म लिया था। कहते हैं कि यहां कृष्ण भगवान की शुद्ध सोने से बनी 4 मीटर की मूर्ति थी, जिसको महमूद गजनवी द्वारा चुरा लिया गया था।
बांके बिहारी मंदिर
मथुरा के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक बांके बिहारी मंदिर है। ये राधा वल्लभ मंदिर के पास स्थित है। बता दें कि भगवान कृष्णा का दूसरा नाम बांके बिहारी भी है। इस मंदिर में बांके बिहारी की मूर्ति काले रंग की होती है। इस मंदिर में पहुंचने के लिए आपको संकरी गलियों से जाना पड़ेगा।
द्वारकाधीश मंदिर
अगर आप भगवान कृष्ण से संबंधित घटनाएं कलाकृतियां देखना चाहते हैं तो द्वारकाधीश मंदिर जा सकते हैं। ये मंदिर विश्राम घाट के निकट स्थित है। इसका निर्माण साल 1814 में किया गया था। इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है, खासतौर पर जन्माष्टमी में यहां ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है।
मथुरा संग्रहालय
मंदिर के दर्शन करने के अलावा आप म्यूजियम भी देखने जा सकते हैं। साल 1974 में मथुरा संग्रहालय का निर्माण किया गया था। इस संग्रहालय का पहले नाम "कर्जन म्यूजियम ऑफ आर्कियोलॉजी" था। यहां आप कुषाण और गुप्त वंश से संबंधित कई कलाकृतियां देख सकते हैं। यहां अनोखी वास्तुकला और कई कलाकृतियों हैं, इसका चित्र भारत सरकार के स्टैंप पर भी छापा गया है।
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कुसुम सरोवर
मथुरा के प्रमुख स्थानों में से एक कुसुम सरोवर है। ये लगभग 60 फीट गहरा और 450 फीट लंबा है। इस सरोवर का नाम राधा के नाम पर रखा गया है। कहते हैं कि यहां भगवान कृष्ण और राधा मिलने के लिए आया करते थे। कुसुम सरोवर में कई लोग नहाने भी आते हैं, यहां का पानी शांत और साफ-सुथरा है। यहां पर होने वाली शाम की आरती यहां का मुख्य आकर्षण केंद्र, कई पर्यटक इस दृष्य को अपने कैमरे में भी कैद करते हैं।
गोवर्धन पर्वत
अगर आप मथुरा घूमने आए हैं तो गोवर्धन पर्वत के दर्शन करने भी जरूर जाएं। इसका हिन्दू पौराणिक साहित्य में बेहद खास महत्व है। पौराणिक ग्रंथो के अनुसार भगवान कृष्ण ने अपनी एक छोटी उंगली से इस पर्वत को उठा लिया था। इस पर्वत का दर्शन करने वाले लोग इसके चक्कर जरूर लगाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करना अच्छा होता है और भगवान कृष्ण की खास कृपा होती है।
कंस किला
जयपुर के महाराजा मानसिंह द्वारा कंस किले का निर्माण किया गया था। अकबर के नवरत्नों में मानसिंह शामिल थे। हिन्दू और मुगल वास्तुकला के मिश्रण का अच्छा नमूना ये मंदिर यमुना नदी के किनारे स्थित है।
- सिमरन सिंह
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- रेनू तिवारी
- फरवरी 18, 2021 17:25
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त्रिपुरा भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्यों में एक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य है। विरासत और ऐतिहासिक स्थल, सैकड़ों साल पुराने मंदिर, वन्यजीव स्थल और एक संपन्न कला और शिल्प उद्योग, त्रिपुरा का आकर्षण हैं।
त्रिपुरा भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्यों में एक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य है। विरासत और ऐतिहासिक स्थल, सैकड़ों साल पुराने मंदिर, वन्यजीव स्थल और एक संपन्न कला और शिल्प उद्योग, त्रिपुरा का आकर्षण हैं। एक समय में त्रिपुरा में कुछ ऐसी घटनाएं हुई जिसकी वजह से इस राज्य की छवि पर असर पड़ा लेकिन अब हालत पूरी तरह से बदल चुके हैं। त्रिपुरा पर्यटकों के लिए एक बेहतरीन पसंद बनता जा रहा है। पिछले कुछ सालों में पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई हैं। त्रिपुरा भारत के उन यात्रा स्थलों में से एक है जो परिवारों, दोस्तों, कपल और सोलो यात्रियों को आकर्षित करता हैं। वैसे तो त्रिपुरा में घूमने के लिए कई बेहतरीन हॉटस्पॉट है लेकिन आजकल एक खास स्थल की लोकप्रियता काफी बढ़ गयी है। इस खूबसूरत जगह का नाम है बंश ग्राम।
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त्रिपुरा के कटमारा गांव की सीमा के तहत अगरतला से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित, बंश ग्राम त्रिपुरा में सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां पर आप देख सकते हैं कि भारी संख्या में पर्यटकों का जमावड़ा है। इस जगह के बारे में अभी ज्यादा जानकारी गूगल पर उपलब्ध नहीं है लेकिन जो लोग वहां जा चुके हैं उन्होंने इस जगह की काफी तरीफें की है। बंश ग्राम में आप नैचुरल खूबसूरती देख सकते है। घनें जंगल, शुद्ध हवा, झीलों से घिरे बंश ग्राम में पर्यटकों के लिए काफी अच्छी व्यवस्था है।
आज से दस साल पहले बंश ग्राम में एक ऐसा हादसा हुआ था जिसके बाद इस जगह को यहां के निवासी छोड़कर भाग गये थे। एक दशक से भी कम समय पहले, बंश ग्राम इलाका अपनी उग्रवादी गतिविधियों के लिए जाना जाता था। 1999 में पंचबती हत्याकांड के बाद विशेष रूप से प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (ATTF) द्वारा बंश ग्राम में 18 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गयी थी। हत्या के बाद बड़ी संख्या में लोग यहां से भाग गए थे।
बंश ग्राम नाम के इस इलाके में एक बहुत की शानदार रेस्टोरेंट भी है जहां पर्यटक खाने पीने के लिए आते हैं। इस जगह का नाम बंश ग्राम है। बंश ग्राम के संस्थापक मन्ना रे ने कहा कि उन्होंने इसे बनाया था। स्थानीय संसाधनों के उपयोग से इको-टूरिज्म डेस्टिनेशन को बढ़ावा देने के लिए सुंदर बांस का सहारा लेकर इस जगह को बनाया है। प्रकृतिक चीजों से बना बंश ग्राम लोगों के बीच काफी मशहूर हो रहा है। बांस की झोपड़ियों से लेकर कुर्सियां, मेज, पुल, वॉचटावर यहां सब कुछ बांस से बना है।

