रेलवे स्टेशनों पर मिलने वाले पकवानों के बारे में जानकर चौंक जाएंगे
ट्रेन और फ्लाइट अक्सर लेट हो जाती हैं। ऐसे में आप परेशान होने के बजाय अपने सफर को और भी दिलचस्प बना सकते हैं। आइए, हम आपको बताते हैं रेलवे स्टेशन पर मिलने वाले लजीज खाने के बारे में।
घूमना- फिरना सबको पसंद होता है... आपके साथ अगर दोस्तों की टोली हो, और सफर ट्रेन का हो तो मज़ा ही कुछ और है..अगर अपकी ट्रिप सर्दियों के मौसम की हो तो मज़ा दोगुना हो जाता है, क्योंकि मौसम सुहाना होता है और सर्दियों में खाने पीने के मामले में ज्यादा सोचना भी नहीं पड़ता, सबसे अच्छी बात ये ही होती है...सर्दियों में ज्यादातर लोग ट्रिप पर निकल पड़ते हैं। घूमने के लिहाज से सर्दियां सबसे बेहतरीन मौसम है, लेकिन इस मौसम के कई साइड इफेक्ट भी हैं। ट्रेन और फ्लाइट अक्सर लेट हो जाती हैं। ऐसे में आप परेशान होने के बजाय अपने सफर को और भी दिलचस्प बना सकते हैं। आइए, हम आपको बताते हैं रेलवे स्टेशन पर मिलने वाले लजीज खाने के बारे में।
अंबाला की चिकन करी- पंजाब के अंबाला शहर के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा.. इसका रेलवे स्टेशन काफी बड़ा है व्यवसाय के मामले में पंजाब का ये बड़ा शहर है। सर्द मौसम में गर्मागर्म चिकन करी का ख्याल ही मुंह में पानी लाने के लिए काफी है। फिर अगर चिकन करी अंबाला की हो तो फिर कहना ही क्या। अंबाला उत्तर भारत का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है और यहां अधिकतर ट्रेनें 5-10 मिनट तक रुकती हैं। अगर आपके सफर के बीच भी अंबाला पड़ता है तो यहां की चिकन करी का स्वाद जरूर लीजिएगा। सच कहते हैं सफर का जाएका बन जाएगा।
कटिहार की दही- इन दिनों में दही खाने का ख्याल शायद आपको उतना न भाए पर यदि दही कटिहार की हो तो किसी भी मौसम में खाई जा सकती है। कटिहार बिहार का एक प्रमुख स्टेशन है जहां दिनभर में पचासों ट्रेन आतीं हैं, पर इस स्टेशन पर हर ट्रेन की हर एक सवारी को खिलाने के लिए दही मौजूद है। स्टेशन पर मौजूद दही की मात्रा देखकर ही समझा जा सकता है कि शहर में दही का कितना उत्पादन होता है।
मालवां के पेड़े- अगर आप कानपुर-इलहाबाद के रुट पर जा रहे हैं और आपको मालवां के पेड़े खाने को मिल जाएं तो चूकिएगा नहीं। मालवां फतेहपुर के पास एक छोटा सा स्टेशन है। यहां के पेड़े क्षेत्र भर में प्रसिद्ध हैं। यह मथुरा तो नहीं है पर जहां तक बात पेड़ों की है तो मथुरा से कम भी नहीं है।
बेलाघाट की ताड़ी- किसी स्टेशन पर अगर अचानक कोई आपके पास ताड़ी बेचते हुए आ जाए तो चौंकिए नहीं बस यह समझ लीजिए कि आप बक्सर और आरा के बीच में हैं। बिहार के इन दोनों स्टेशनों के बीच में पड़ने वाला यह क्षेत्र ताड़ी के उत्पादन के लिए जाना जाता है। ताड़ी जिसे अंग्रेजी में टोडी भी कहते हैं, एक प्राकृतिक पेय है। हालांकि इसे नशे के लिए भी प्रयोग किया जाता है, पर अगर सीमित मात्रा में पी जाए तो यह नुकसानदायक नहीं होती।
इलाहाबाद के अमरूद- सर्दियों के मौसम में इलाहाबाद स्टेशन पर अगर आप लाल-लाल फल देख रहे हैं तो जरूरी नहीं की वे सेब हों क्योंकि इलाहाबादी अमरूद जब अपने शबाब पर पहुंचते हैं तो उनकी रंगत देख सुर्ख से सुर्ख रंग का सेब शरमा जाए। खैर आप इन अमरूदों की रंगत ही न देखते रहें इन्हें खाकर भी देखें। इन अमरूदों की खुशबू से आपका सफर अमरूदमय न हो जाए फिर कहना।
बक्सर की पापड़ी- रामायण और भारतीय इतिहास में बक्सर का एक अहम स्थान है पर यह शहर अपनी एक लजीज मिठाई के लिए भी मशहूर है। पापड़ी खाने में और देखने में काफी हद तक सोनपापड़ी की तरह ही लगती है बस फर्क इतना होता है कि यह सोनपापड़ी से थोड़ी सख्त होती है। बक्सर की सोनपापड़ी अपने करारेपन के लिए क्षेत्रभर में मशहूर है।
-रेनू तिवारी
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