क्रिसमस की सजावट में चार चांद लगा देता है ‘क्रिसमस फ्लॉवर'
क्रिसमस फ्लॉवर मुख्य रूप से मेक्सिको और मध्य अमेरिका में पाया जाता है, यह यहां के नम जंगलों और पहाड़ी चट्टानों के किनारे प्राकृतिक रूप से उगता है। इस फ्लॉवर को मेक्सिकन फ्लेम लीफ, क्रिसमस ईव फ्लॉवर, विंटर रोज, नोकेना बुएना इत्यादि नाम से भी जाना जाता है।
प्रभु यीशू के जन्मदिन 25 दिसंबर पर दुनिया भर में बड़ी धूमधाम से क्रिसमस पर्व मनाया जाता है। इस दिन न सिर्फ गिरजाघरों को बल्कि घरों को भी क्रिसमस ट्री, जिंगल बेल्स, रंग-बिरंगी लाइट्स, फर्रियों के साथ ही एक बेहद खूबसूरत फ्लॉवर जिसे क्रिसमस फ्लॉवर कहा जाता है से सजाया जाता है। ‘क्रिसमस फ्लावर’ क्रिसमस की सजावट में चार चांद लगा देता है, इसे क्रिसमस स्टार के नाम से जाना जाता है। यह फ्लॉवर पॉइंसेटटिया है जो चटक लाल रंग का होता है। इसका वैज्ञानिक नाम ‘यूफोरबिया फ्लचेरिमा’ है।
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क्रिसमस फ्लॉवर को इसे सफलता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, इसमें लाल-हरे पत्ते एक साथ मिलकर एक सुन्दर सितारेनुमा संरचना का निर्माण करते हैं जो देखते ही बनती है। इसकी संरचना में लगभग बारह से पन्द्रह तक हरी और लाल पत्तियां के मध्य में पीले रंग की प्यालेनुमा मकरंद ग्रंथि होती है, जिसमें मकरंद भरा होता है, फ्लॉवर के बीचों बीच यह इसे बहुत ही सुंदर लुक देता है। इस फ्लॉवर की पत्तियों के दिलचस्प संयोजन को ‘कटोरिया’ कहा जाता है।
क्रिसमस फ्लॉवर मुख्य रूप से मेक्सिको और मध्य अमेरिका में पाया जाता है, यह यहां के नम जंगलों और पहाड़ी चट्टानों के किनारे प्राकृतिक रूप से उगता है। इस फ्लॉवर को मेक्सिकन फ्लेम लीफ, क्रिसमस ईव फ्लॉवर, विंटर रोज, नोकेना बुएना इत्यादि नाम से भी जाना जाता है। स्पेन में इसे ‘फ्लॉर दे पास्कुआ’ यानि ईस्टर फूल और चिली व पेरू में ‘क्राउन ऑफ एंडीस’ कहा जाता है। क्रिसमस फ्लॉवर की विशेषता है कि इसके हरे पत्ते 25 दिसंबर के आते-आते लाल होने लगते हैं और क्रिसमस तक ये काफी संख्या में एक साथ नजर आते हैं। रंग में परिवर्तन के लिए इसे दिन की तेज धूप और रात का अंधकार दोनों जरूरी होते हैं जो दिसम्बर और जनवरी माह में इसे पर्याप्त रूप से मिल पाते हैं।
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क्रिसमस फ्लॉवर के लिए एक मैक्सिकन किवदंती भी है, कहा जाता है कि बहुत साल पहले यीशु के जन्मदिन पर एक गरीब लड़की गिरिजाघर के बाहर दुखी होकर बैठी थी, उसके पास यीशु के जन्मदिन समारोह में देने के लिए कोई उपहार नहीं था। वहां कोई संत आए और उन्होंने उस लड़की को कुछ खरपतवार दिए। उस लड़की ने उन खरपतवार को ही चर्च के दरवाजे पर यीशु के उपहार स्वरूप रख दिया और देखते ही देखते वे खरपतवार वहां लाल रंग के सुंदर सितारेनुमा फूल में बदल गए जिन्हें देखकर वह गरीब लड़की बहुत प्रसन्न हो गई।
अमृता गोस्वामी
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