K. Sivan Birthday: काफी गरीबी में बीता ISRO प्रमुख के. सिवन का बचपन, कभी पढ़ाई के लिए भी नहीं होते थे पैसे

K. Sivan Birthday
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भारत के के सिवन को रॉकेट मैन के रूप में जाना जाता है। आपको यह जानकर हैरान होंगे कि डॉ सिवन किसी भी सोशल मीडिया अकाउंट का इस्तेमाल नहीं करते। डॉ के सिवन इसरो के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियां भी संभाल चुके हैं। साल 2019 में डॉ सिवन की अध्यक्षता में चंद्रमा पर भारत का दूसरा मिशन चंद्रयान II लॉन्च किया गया था।

इसरो के अध्यक्ष के रूप में देश को अपनी सेवा दे चुके के सिवन किसी पहचान के मोहताज नहीं है। के सिवन का पूरा नाम कैलाशावादिवो सिवन है। वह एक भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक के तौर पर काम कर रहे हैं। सिवन ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि इसरो के प्रमुख के रूप में भी सेवाएं दी हैं। इतना ही नहीं वह अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैंभी रहे हैं। आज ही के दिन यानि की 14 अप्रैल को के सिवन का जन्म हुआ था। आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर के सिवन की जिंदगी से जुड़ी कुछ अहम बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

तमिलनाडु में 14 अप्रैल 1957 को के सिवन का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम कैलाशवडीवू और माता का नाम चेल्लम है। के सिवन गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे। इसलिए उनका बचपन काफी संघर्षों में बीता। गांव में रहने के कारण के सिवन की शुरुआती शिक्षा गांव के ही एक गवर्नमेंट स्कूल से हुई। सरकारी स्कूल से 8वीं तक पढाई करने के बाद उनके सामने आर्थिक संकट आने लगा। कई बार उनके पास पढ़ाई के लिए भी पैसे नहीं हुआ करते थे। लेकिन सिवन ने विपरीत परिस्थितियों के सामने कभी घुटने नहीं टेके। 

पढ़ाई को जारी रखने के लिए सिवन बाजार जाकर आमों की ब्रिक्री करते थे। इस दौरान उनको जो पैसे मिलते उसी से उन्होनें अपनी पढ़ाई को जारी रखा। नागेरकोयल के एसटी हिंदू कॉलेज से के सिवन ने बीएससी की डिग्री हासिल की। वह अपने परिवार के पहले ऐसे सदस्य थे जिसने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की थी। इसके बाद साल 1980 में सिवन ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अपनी एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कंप्लीट की। वह पढ़ाई में काफी अच्छे हुआ करते थे। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से सिवन ने इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन कंप्लीट किया। इसके अलावा साल 2006 में आईआईटी बांबे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की डिग्री भी हासिल की।

ISRO का सीनियर

अपी पढ़ाई पूरी करने के बाद सिवन साल 1982 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि इसरो के साथ काम करने लगे। बता दें कि इसरो में काम करने के दौरान सिवन ने पोलर सेटेलाइट लांच व्हीकल परियोजना में भी अपना अहम योगदान दिया। जिसके बाद साल 2011 में सिवन को जीएसएलवी परियोजना का निदेशक पद की जिम्मेदारियां सौंपी गईं। उनके अच्छे काम को देखते हुए सिवन को साल 2014 में इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर का निदेशक बनाया गया। 

इसके कुछ समय बाद के सिवन को साल 2015 में विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक बनाया गया। वहीं साल 2018 में के सिवन इसरो के मुखिया बने। इसके अलावा सिवन के नाम एक और रिकॉर्ड भी दर्ज है। साल 2017 में इंडिया की तरफ से एक साथ 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित किए जाने में के सिवन ने अहम योगदान दिया था। इसके अलावा साल 2019 को चंद्रयान-2 को उड़ान भरना था। लेकिन उसमें तकनीकी खराबी होने के कारण इसकी उड़ान को रोक दिया गया था। जिसके बाद 24 घंटे के अंदर चंद्रयान-2 की खराबी को दूरकर इसे फिर से लांच किया गया।

अंतरिक्ष में गूंजा 'सारे जहां से अच्छा'

अपनी पर्सनल लाइफ के बारे में बात करते हुए के सिवन बताते हैं कि उनका बचपन काफी गरीबी में बीता था। वह हमेशा धोती पहना करते थे। के सिवन ने बताया कि उन्होंने पहली बार एमआईटी में पेंट पहना था। सिवन ने बताया कि वह इतने गरीब थे कि उनके भाई और दो बहनें अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाईं। 15 जनवरी 2022 में के सिवन इसरो के अध्यक्ष पद से रिटायर हुए थे। 

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