होली के दिन नौनिहालों का रखेंगी ऐसे ध्यान तो बाद में नहीं होंगी परेशान

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होली के बाद डॉक्टर के पास आने वाले मरीजों में स्किन की एलर्जी, निमोनिया और सांस की परेशानी ज्यादा होती है। बच्चों की स्किन बहुत नाजुक होती है उस पर तरह-तरह के कैमिकल वाले रंग बहुत बुरा असर डालते हैं इससे बच्चों को तरह-तरह की एलर्जी हो जाती है।

होली अपने हुड़दंग के लिए जानी जाती है। बसंत के मौसम में आने वाला यह त्यौहार खुशनुमा मौसम में होने के कारण वैसे तो सुखदायक होता है लेकिन कभी-कभी रंग खेलते समय बच्चों के साथ होने वाली असावधानी उनके लिए परेशानी खड़ी कर सकती है जिससे रंग में खलल पड़ सकता है। होली के बाद वैसे तो सभी उम्र के लोगों को सेहत से जुड़ी तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन बच्चों पर इसका असर थोड़ा जल्दी होता है। होली के बाद डॉक्टर के पास आने वाले मरीजों में स्किन की एलर्जी, निमोनिया और सांस की परेशानी ज्यादा होती है। बच्चों की स्किन बहुत नाजुक होती है उस पर तरह-तरह के कैमिकल वाले रंग बहुत बुरा असर डालते हैं इससे बच्चों को तरह-तरह की एलर्जी हो जाती है। इस एलर्जी और सांस की बीमारियों से बचने के लिए अपने नौनिहालों के साथ कुछ खास तरह की सावधानी बरतें।

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होली के दौरान बच्चों को होने वाली परेशानियां

सबसे पहले तो बहुत छोटे बच्चों जैसे एक साल से कम उम्र के शिशुओं को कभी रंग न लगाएं और न ही किसी और को लगाने दें। साथ ही छोटे बच्चों के मुंह पर कभी रंग न लगाएं क्योंकि बच्चे चेहरे पर हाथ फेरते हैं उसके बाद उसी उगंली को मुंह में डालते हैं जिससे न केवल पेट खराब होता है बल्कि और भी तरह की परेशानी होती है। साथ ही घर में रंग न फैलने दें बच्चे रंग को हाथ में ले लेते हैं जो परेशानी का कारण बन सकता है। यही नहीं खाने की उन चीजों को बच्चों से दूर रखें जिनमें रंग पड़ा हो यह उनकी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

यही नहीं बच्चे अगर टोली में रंग खेल रहे हों तो हमेशा उनके पास रहें कभी भी उन्हें अकेला न छोड़ें। और साथ में हमेशा मौजूद रहें। इसके अलावा रंगों में इतने तरह के कैमिकल होते हैं कि वे बच्चों में सेहत में जुड़ी परेशानियां जैसे किडनी फेल, फेफड़े का इंफेक्शन और अस्थमा हो सकता है। अगर रंगों के कैमिकल बच्चों की आंखों में पड़ जाएं तो आंखों में दर्द और सूजन जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जो नन्हें-मुन्नों को मुश्किल में डाल देता है। यही नहीं स्किन पर रंग पड़ने पर एलर्जी जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा अगर कान में रंग चला जाए तो बच्चा न केवल असहज महसूस करता है बल्कि उसके कानों में छाले भी पड़ सकते हैं।

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नन्हें-मुन्नों के साथ बरतें सावधानी

-सबसे पहले बच्चों को समझाएं कि किसी के साथ जबरदस्ती रंग न खेलें। रंग खेलने के दौरान बुजुर्गों और बीमार लोगों को परेशान न करें। 

-बच्चों की पूरी स्किन पर माइश्चराइजर लगाएं और बालों में सरसों का तेल लगाना न भूलें। 

-साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि बच्चें नए कपड़े न पहनें क्योंकि नए कपड़े ज्यादा रंग सोखते हैं। हमेशा पुराने कपड़े पहनाएं। ये कपड़े कम रंग सोखते हैं। 

-बच्चे जिंदगी की मुश्किलों से अनजान होते हैं ऐसे में उन्हें नाले का पानी, गोबर या किसी तरह की गंदगी का इस्तेमाल करने से रोकें। 

                                                                                     

-प्रज्ञा पाण्डेय

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