शतरंज के खेल की शुरुआत कब और कैसे हुई, जानिए शतरंज के इतिहास की पूरी जानकारी
माना जाता है कि शतरंज के खेल का आविष्कार भारत में होने के बाद यह पारसी देशों में प्रचलित हुआ, इसके बाद पूरे विश्व में पहुंचा। भारत में शतरंज खेलने की शुरुआत भी पांचवी-छठी शताब्दी के समय से मानी जाती है।
दुनिया भर में न जाने कितने खेल खेले जाते हैं कुछ खेल शारीरिक होते हैं कुछ खेल मानसिक होते हैं कुछ खेल तकनीकी सहायता से खेले जाते हैं कुछ खेल भौतिक चीजों के समावेश से खेले जाते हैं इन्हीं खेलों में से एक सबसे रोचक और मानसिक चेतना को मजबूत करने वाला खेल है शतरंज का खेल।
आपने भी कभी ना कभी शतरंज जरूर खेला होगा या अक्सर ही खेलते होंगे लेकिन क्या कभी आपने शतरंज के इतिहास की ओर झांकने का मन बनाया है, अगर नहीं तो आज हम इस लेख के माध्यम से शतरंज के इतिहास और इसकी शुरुआत के बारे में विस्तार से जानेंगे।
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क्या है शतरंज के खेल का इतिहास?
कैसे हुई होगी शतरंज के खेल की शुरुआत किसने लगाया होगा अपना दिमाग की शतरंज के प्यादे खेल के काम आ सकते हैं। कैसे शतरंज के प्यादों का निर्माण हुआ होगा। सबसे पहली और खास बात यह है कि शतरंज के खेल की शुरुआत भारत में ही हुई थी और भारत से ही निकल कर यह खेल विश्व के जन जन के बीच मशहूर हुआ।
माना जाता है कि शतरंज के खेल का आविष्कार भारत में होने के बाद यह पारसी देशों में प्रचलित हुआ, इसके बाद पूरे विश्व में पहुंचा। भारत में शतरंज खेलने की शुरुआत भी पांचवी-छठी शताब्दी के समय से मानी जाती है। जब इस खेल की शुरुआत भारत में हुई थी तब यह पहला खेल था जो दिमाग के इस्तेमाल से खेला जाता था। किंवदंतियों के अनुसार शतरंज का आविष्कार गुप्त काल के समय में हुआ।
वैसे तो महाभारत के प्रसंग में पांडव और कौरव पुत्रों के बीच चौसर का खेल खेला गया था। लेकिन गुप्त काल के राजाओं ने चौसर के खेल में बदलाव की चाह लिए शतरंज के खेल की शुरुआत की थी। शतरंज का आविष्कार कब हुआ था तब उसे इस नाम की बजाए चतुरंग खेल के नाम से जाना जाता था।
यूरोप और रूस जैसे देशों में शतरंज का खेल 9वीं शताब्दी तक पहुंच चुका था। लगातार शतरंज के खेल का प्रसार होता गया और आज लगभग सभी देशों में शतरंज के खेल को अपना लिया गया है।
शतरंज के खेल को अलग-अलग देशों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे-जैसे इस खेल का प्रसार हुआ वैसे वैसे ही इस खेल में कई तब्दीलियां आए कई नियम बदले गए तो कुछ देशों ने इस खेल के नाम को भी बदलने में रुचि दिखाई। पुर्तगाल में इस शतरंज के खेल को जादरेज का नाम दिया गया है। वहीं स्पेन में शतरंज को एजेडरेज कहा जाता है।
कैसे खेला जाता है शतरंज का खेल?
शतरंज के खेल में काले और सफेद खानों से मिलकर एक बोर्ड बना होता है, जिसमें कुल 64 खाने होते हैं। जिसमें 32 खाने सफेद रंग के और 32 खाने काले रंग के होते हैं। शतरंज के खेल में 2 खिलाड़ी ही खेल सकते हैं दोनों खिलाड़ियों के पास राजा, वजीर, दो हाथी, दो घोड़े, दो ऊंट और आठ सैनिक भी होते हैं।
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शतरंज के खेल के नियम के अनुसार सफेद खाने का खिलाड़ी ही खेल की शुरुआत करता है।
इस खेल में समय की कोई भी सीमा नहीं होती है। इंडिया चेस फाउंडेशन के द्वारा वर्तमान में शतरंज के खेल का नियंत्रण व प्रतियोगिताओं को आयोजित किया जाता है, जिसकी स्थापना सन् 1951 में की गई। वैश्विक स्तर पर शतरंज के खेल का नियंत्रण इंटरनेशनल चेस फाउंडेशन के द्वारा किया जाता है। इस खेल को खेलने में जो व्यक्ति मास्टर होता है उसे ग्रैंड मास्टर की उपाधि दी जाती है।
विश्व प्रसिद्ध शतरंज खिलाड़ी जिन्होंने वैश्विक स्तर पर अपने देश का नाम रोशन किया
1. विश्वनाथन आनंद
2. दिव्येंदु बरुआ
3. बी. रवि कुमार
4. आरती रामास्वामी
5. पी.हरिकृष्ण
6. मैनुएल ऐरोन
7. कोनेरू हम्पी
- शुभम यादव
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