Ramadan 2023: जानिए इस साल कब से शुरू हो रहा है रमजान का पवित्र महीना, इस दिन रखा जाएगा पहला रोजा

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जिस तरह से हिंदू कैलैंडर में सूर्योदय की तिथि से व्रत त्योहार आदि समनाए जाते हैं। वैसे ही इस्लामिल कैलेंडर में चांद देखकर त्योहार मनाए जाते हैं। हालांकि इस बार लोगों में रमजान की तारीख और पहला रोजा कब से इस बात को लेकर कंफ्यूजन है।

इस्लामिक कैलेंडर के नौवें माह में रमजान की शुरूआत होने वाली है। इसके साथ ही रोजा भी शुरू हो जाएगा। हालांकि इस बार रमजान के शुरू होने की तारीख को लेकर लोगों में कंफ्यूजन है। क्योंकि चांद दिखने के बाद ही रमजान की शुरूआत होती है। चांद देखने के अगले दिन रोजा रखा जाता है। ऐसे में अगर आपको भी रमजान की डेट को लेकर कंफ्यूजन है तो आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपकी कंफ्यूजन को दूर करने वाले हैं। आइए जानते हैं झांसी के काजी मुफ्ती साबिर अंसारी कासमी से कि रमजान किस तारीख से है औरह पहला रोजा कब रखा जाएगा। 

कब है रमजान और पहला रोजा

काजी कासमी के मुताबिक रमजान मा​ह की तारीख ए क़मरी 1, सन 1444 हिजरी शुक्रवार को है। ऐसे में अगर आज यानि की 22 मार्च को चांद दिखता है तो आज से ही रमजान माह की शुरूआत हो जाएगी। वहीं पहला रोजा कल यानी की 23 मार्च गुरुवार को रखा जाएगा। वहीं अगर 23 मार्च को चांद दिखता है तो 24 मार्च को पहला रोजा रखा जाएगा। उस दिन ही पहला जुमा भी होगा। काजी कासमी ने बताया कि 24 मार्च से रमजान माह का आरंभ होगा।

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ऐसे होगी है गणना

जिस तरह से हिंदू कैलेंडर में सूर्योदय की तिथि से व्रत और त्योहार तय होते हैं। ठीक उसी तरह से इस्लामिक कैलेंडर में चांद के आधार त्योहार आदि तय होते हैं। कोई भी पर्व मनाने से पहले देका जाता है कि चांद कब निकल रहा है। वहीं अगर चांद नहीं दिखता है तो उस माह की तारीख ए कमरी पर पर्व मनाया जाता है। जैसे शुक्रवार को रमजान मा​ह की तारीख ए क़मरी 1, सन 1444 हिजरी है। ऐसे में अगर आज चांद नहीं दिखता है तो फिर 24 मार्च शुक्रवार से रमजान शुरू होगा।

रमजान से जुड़ी अहम बातें

रमजान इस्लामिक कैलेंडर का 9वां माह है। इस माह को काफी पवित्र माना जाता है। मान्यता के मुताबिक पैगंबर मोहम्मद साहब को रमजान माह में खुदा से कुरान की आयतें मिली थीं। इसी कारण इस माह में रोजा रखकर अल्लाह को शुक्रिया अदा किया जाता है।

रोजा रखने वाले व्यक्ति द्वारा सूर्योदय से पहले उठकर सहरी खाई जाती है। इसके बाद पूरा दिन बिना खाना-पानी रोज रख अल्लाह की सच्चे मन से इबादत की जाती है। वहीं शाम को खजूर खाकर रोजा खोला जाता है। इसके बाद इफ्तार में अपना पसंदीदा खाना खाया जाता है।

रमजान के महीने में शाम को नमाज पढ़ने के बाद ही रोजा खोला जाता है। 

रमजान को बरकत का महीना माना जाता है। इस दौरान अल्लाह की बरकत बरसती है। रमजान के माह में की गई दुआ जल्द कुबूल होती है।

रमजान के महीने में ईमानदारी से कमाए गए पैसों का ही सहरी और इफ्तारी में खाने में इस्तेमाल किया जाता है। कहा जाता है बेइमानी के पैसों से सहरी और इफ्तारी करने पर अल्लाह उसे कभी माफ नहीं करता है।

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