Lockdown के 32वें दिन कोरोना संक्रमितों की संख्या 25000 के करीब, 787 मरे

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मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने विश्वविद्यालयों से कहा है कि वे इस बात का अध्ययन करें कि 1918 में स्पेनिश फ्लू की महामारी का मुकाबला भारत ने कैसे किया और अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए क्या कदम उठाए गए थे।

देश में कोविड-19 से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ कर शनिवार को 779 पहुंच गई और कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ कर 24,942 हो गये हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक शुक्रवार शाम से शनिवार शाम तक कोरोना वायरस संक्रमण से 56 लोगों की मौत हुई है, जबकि 1,490 नये मामले सामने आए हैं। मंत्रालय ने बताया कि देश में गत 24 घंटे में 56 लोगों की मौत हुई है, जो अब तक इस अवधि (24 घंटे) में हुई सबसे अधिक मौतें हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कोरोना वायरस संक्रमण का अभी 18,953 लोगों का इलाज चल रहा है, जबकि 5,209 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है तथा एक मरीज देश से जा चुका है। मंत्रालय ने बताया कि देश में कोविड- 19 के करीब 20.88 प्रतिशत मरीज अब तक संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। संक्रमित लोगों की कुल संख्या में 111 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। शुक्रवार शाम से लेकर अब तक 56 लोगों की मौत हुई है। इनमें से 18 लोगों की महाराष्ट्र में, 15 की गुजरात में, नौ की मध्य प्रदेश में, तीन-तीन लोगों की दिल्ली और पश्चिम बंगाल, दो-दो लोगों की आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में तथा एक-एक व्यक्ति की मौत पंजाब और केरल में हुई। इस संक्रामक रोग से अब तक कुल 779 लोगों की मौत हुई है जिनमें से सबसे अधिक 301 लोगों की मौत महाराष्ट्र में, गुजरात में 127, मध्य प्रदेश में 92, दिल्ली में 53, आंध्र प्रदेश में 31, राजस्थान में 27 और उत्तर प्रदेश एवं तेलंगाना में 26-26 लोगों की मौत हुई। वहीं, तमिलनाडु में 22 एवं कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में 18-18 लोगों की मौत हुई है। पंजाब में अभी तक 17 लोगों की मौत हुई है। जम्मू कश्मीर में कोरोना वायरस संक्रमण से पांच लोगों ने जान गंवाई जबकि केरल में चार, झारखंड और हरियाणा में तीन-तीन लोगों की मौत हुई। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार बिहार में दो लोगों की मौत हुई है जबकि मेघालय, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और असम में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई। हालांकि, विभिन्न राज्यों से मिले आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई तालिका के मुताबिक देश में कोरोना वायरस संक्रमण के अब तक 24,836 मामले सामने आए हैं जबकि 787 लोगों की मौत हुई है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों और विभिन्न राज्यों के आंकड़ों में अंतर है, जिसके लिये अधिकारियों ने प्रत्येक राज्यों के मामलों की घोषणा में प्रक्रियागत विलंब को कारण बताया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के शाम जारी किए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश में संक्रमण के सबसे अधिक 6,817 मामले महाराष्ट्र में सामने आए। इसके बाद गुजरात से 2,815, दिल्ली से 2,514, राजस्थान से 2,034, मध्य प्रदेश से 1,952 और उत्तर प्रदेश से 1,778 मामले सामने आए। तमिलनाडु में कोविड-19 के मामले बढ़ कर 1,755, आंध्र प्रदेश में 1,061 और तेलंगाना में 984 हो गए हैं। पश्चिम बंगाल में संक्रमित व्यक्तियों की संख्या बढ़ कर 571, कर्नाटक में 489, जम्मू कश्मीर में 454, केरल में 451, पंजाब में 298 और हरियाणा में 272 हो गई है। बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण के 228 मामले सामने आए हैं जबकि ओडिशा में 94 मामले सामने आए। झारखंड में 59 लोग संक्रमित हुए हैं और उत्तराखंड में संक्रमण के 48 मामले सामने आ चुके हैं। हिमाचल प्रदेश में संक्रमण के अभी तक 40 मामले सामने आए हैं, छत्तीसगढ़ और असम में 36-36 मामलों की पुष्टि हुई है। चंडीगढ़ में कोविड-19 के 28 मामले सामने आए हैं, जबकि अंडमान निकोबार में 27 लोग संक्रमित हुए हैं। लद्दाख में 20 , मेघालय में 12 और गोवा-पुडुचेरी में सात-सात मामले सामने आए हैं। मणिपुर और त्रिपुरा में दो-दो व्यक्ति संक्रमित हुए हैं, जबकि मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश में एक-एक मामला सामने आया। मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि राज्यों को संक्रमण के 49 मामलों में इन मरीजों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने के लिए कहा गया है। 

गली-मोहल्ले की दुकानों को खेलने की छूट

सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिये लागू पाबंदियों में और ढील देते हुए संक्रमण मुक्त इलाकों में गली-मोहल्लों की स्वतंत्र रूप से चलने वाली खुदरा दुकानें को खोलने की छूट दे दी है। इनमें कपड़े, मोबाइल फोन, हार्डवेयर और स्टेशनरी जैसी दुकानें शामिल हैं। हालांकि संक्रमण से प्रभावित क्षेत्रों में अभी हर तरह की दुकानें तीन मई तक बंद रहेंगी। देश भर में एक महीने से अधिक समय से लाकडाउन (आने जाने और प्रतिष्ठान खोने पर पाबंदियां) लागू हैं। गृह मंत्रालय द्वारा शुक्रवार की देर रात जारी आदेश के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में शॉपिंग मॉल को छोड़कर अन्य सभी दुकानों को खोलने की अनुमति दी जा सकती है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि जिन दुकानों को नये आदेश में छूट दी गयी है, उन्हें खोलने की अनुमति देने या नहीं देने का अंतिम फैसला राज्य सरकारों को करना है। उन्होंने कहा कि राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण की स्थिति को देखते हुए इस बारे में अंतिम निर्णय लेने के लिये स्वतंत्र हैं। आदेश के अनुसार, शहरी इलाकों में बड़े बाजार, मॉल आदि तीन मई तक बंद रहेंगे। इनके अलावा शराब, सिगरेट, गुटखा आदि की दुकानों पर रोक जारी रहेगी। ई-वाणिज्य कंपनियों के द्वारा गैर-जरूरी सामानों की बिक्री पर भी रोक बनाये रखने का निर्णय किया गया है। रेस्तरां, सैलून तथा नाई की दुकानें भी अभी नहीं खुल सकेंगी, क्योंकि ये दुकानों के बजाय सेवाओं की श्रेणी में आते हैं। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि कोविड-19 हॉटस्पॉट और ‘नियंत्रण’ वाले क्षेत्रों में किसी भी तरह की दुकानें अभी नहीं खुलेंगी। गृह मंत्रालय द्वारा दी गयी इस अतिरिक्त ढील को 24 मार्च से घरों में बंद लोगों के लिये राहत के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि मंत्रालय ने कहा है कि जिन दुकानों को ढील दी गयी है, उन्हें मास्क पहनने तथा लोगों के बीच आपस में पर्याप्त दूरी समेत सुरक्षा एवं बचाव के तमाम उपायों का पालन करना होगा। ये दुकानें 50 प्रतिशत कार्यबल के साथ ही परिचालन शुरू कर सकेंगी। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने 15 अप्रैल के मंत्रालय के आदेश में संशोधन जारी करते हुए शुक्रवार की देर रात कहा, ‘‘गैर-जरूरी सामानों की दुकानों को भी कुछ शर्तों के साथ खोलने की अनुमति दी गई है। संबंधित राज्य और संघ शासित प्रदेश के दुकान एवं प्रतिष्ठान कानून के तहत पंजीकृत नगर निगम और नगरपालिकाओं के दायरे में आने वाली रिहायशी परिसरों और पास-पड़ोस तथा गली-मोहल्लों की दुकानों को खोला जा सकता है।’’ मंत्रालय ने कहा है कि नगर निगमों तथा नगरपालिकाओं की सीमा से बाहर स्थित पंजीकृत बाजारों की दुकानों को भी खोला जा सकता है। लेकिन ऐसी दुकानों को सामाजिक दूरी के दिशानिर्देशों का अनुपालन करना होगा। ऐसी दुकानों में सिर्फ 50 प्रतिशत कर्मचारियों से काम लिया जा सकेगा। इन दुकानों के कर्मचारियों के लिए मास्क पहनना अनिवार्य होगा। हालांकि, इन इलाकों में एकल और बहु ब्रांड दुकानों को खोलने की अनुमति नहीं होगी। आदेश में कहा गया है कि संबंधित राज्य और संघ शासित प्रदेश के दुकान एवं प्रतिष्ठान कानून के तहत पंजीकृत दुकानें, रिहायशी परिसरों और बाजार परिसरों की दुकानों को लॉकडाउन के दौरान खोलने की अनुमति होगी। एकल और बहुब्रांड आउटलेट्स नहीं खोले जा सकेंगे। नगर निगमों और नगरपालिकाओ की सीमा से बाहर की दुकानें भी खोली जा सकेंगीं। पर ऐसी दुकानों में सामाजिक दूरी के दिशानिर्देशों का अनुपालन करना होगा। सिर्फ 50 प्रतिशत कर्मचारियों को काम पर बुलाया जा सकेगा। मास्क पहनना अनिवार्य होगा। गृह मंत्रालय ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि इस आदेश के तहत ग्रामीण इलाकों में शॉपिंग मॉल को छोड़कर सभी दुकानों को खोलने की अनुमति होगी। शहरी इलाकों में पास-पड़ोस और गली-मोहल्ले और रिहायशी परिसरों की दुकानें खोलने की अनुमति दी गई है। बाजारों में स्थित दुकानों और बाजार परिसरों को खोलने की अनुमति नहीं दी गई है। बयान में कहा गया है कि ई-कॉमर्स कंपनियां सिर्फ आवश्यक वस्तुओं की बिक्री कर सकेंगी। गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि शराब और अन्य उत्पादों की बि्क्री पर प्रतिबंध जारी रहेगा। मंत्रालय ने कहा है कि शराब की दुकानों का लाइसेंस राज्यों के आबकारी विभाग कानून के तहत दिया गया है, जबकि जिन दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई है वे राज्यों के दुकान एवं प्रतिष्ठान कानून के तहत आती हैं।

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तृणमूल कांग्रेस का आरोप

पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने कोरोना वायरस संक्रमण के हालात का जायजा लेने के लिए पश्चिम बंगाल का दौरा कर रही दो अंतर-मंत्रालयी टीमों (आईएमसीटी) को ‘‘भारत की सर्वाधिक असंवेदनशील टीमें’’ करार देते हुए शनिवार को कहा कि ये बेशर्मी से ‘‘राजनीतिक वायरस’’ फैलाने की कोशिश कर रही हैं। केंद्रीय टीमें कोलकाता और सिलिगुड़ी में अस्पतालों और पृथक-वासों का दौरा कर रही हैं और अधिकारियों से मुलाकात कर रही हैं। राज्य सभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया, ‘‘जैसी उम्मीद थी, आईएमसीटी के बंगाल दौरे का कोई मकसद नहीं है। वे ऐसे जिलों का दौरा कर रही है जहां हॉटस्पॉट (कोरोना वायरस से अत्यधिक संक्रमित क्षेत्र) नहीं है, बंगाल से ऑडिट कमेटी के लिए कह रही हैं जो कि अप्रैल की शुरूआत से ही है।’’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘उनका असली मकसद राजनीतिक वायरस फैलाना है। वे बेशर्मी और खुल्लमखुल्ला ये कर रही हैं। आईएमसीटी का मतलब है इंडियाज मोस्ट कॉलस टीम (भारत की सबसे असंवेदनशील टीम) , आईएमसीटी का दूसरा मतलब है- आई मस्ट कॉज ट्रबल इन बंगाल (मुझे बंगाल में समस्या खड़ी करनी चाहिए)। गौरतलब है कि दोनों केंद्रीय टीमों ने राज्य सरकार का सहयोग नहीं मिलने का आरोप लगाया है। वहीं, इससे पहले राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोविड-19 से निपटने की राज्य की तैयारियों को देखने के लिए टीमें भेजने के लिए केन्द्र की आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि राज्य में त्रुटिपूर्ण जांच किट भेजी गई हैं।

महाराष्ट्र में तीन मई तक लॉकडाउन के नियमों में कोई बदलाव नहीं

महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने शनिवार को कहा कि राज्य में लॉकडाउन के नियमों में तीन मई तक कोई बदलाव नहीं होगा। टोपे ने कहा कि दुकानों को खोलने के संबंध में केन्द्र की ओर से जारी नए आदेश में कोई स्पष्टता नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के साथ सोमवार को वीडियो कांफ्रेंस के बाद चीजें स्पष्ट होंगी।’’ मंत्री ने कहा, ‘‘हमें केन्द्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। लेकिन लॉकडाउन के नियमों में तीन मई तक और कोई छूट नहीं दी जाएगी।’’ टोपे ने कहा कि प्रधानमंत्री के साथ बैठक में प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने का मुद्दा भी उठाया जाएगा। आर्थिक गतिविधियां शुरू करने की जरुरत को रेखांकित करते हुए टोपे ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार का विचार है कि ग्रीन जोन वाले क्षेत्रों को सील करके उसके भीतर व्यावसाय शुरू किया जा सकता है और वहां औद्योगिक गतिविधियां भी चलाई जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि मुंबई और पुणे जैसे क्षेत्रों में रेड जोन (ऐसे क्षेत्र जहां कोरोना वायरस से संक्रमण के अत्यधिक मामले हैं) में लॉकडाउन की अवधि में विस्तार करने या नहीं करने का फैसला बाद में लिया जाएगा।

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मध्य प्रदेश में 103 नये मामले सामने आये

मध्य प्रदेश में शनिवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 103 नए मामले सामने आने से राज्य में इसके कुल मामले बढ़कर 1945 हो गए। राज्य में कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित इन्दौर में कोरोना वायरस संक्रमण के 56 नए मामले सामने आये हैं जिससे वहां संक्रमण के मामले बढ़कर 1085 हो गए। प्रदेश सरकार के ताजा स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार प्रदेश में कोविड-19 से पिछले 24 घंटे में सात और मरीजों की मौत होने की रिपोर्ट मिली है। इनमें से चार मौतें उज्जैन में, दो मौतें इन्दौर में और एक मौत होशंगाबाद में हुई है। इसी के साथ प्रदेश में अब तक कोरोना वायरस महामारी से 99 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। कोरोना वायरस की महामारी से प्रदेश में हुई 99 मौतों में से सबसे अधिक 57 मौतें अकेले इन्दौर में हुई हैं, जबकि उज्जैन में 15, भोपाल में नौ, देवास में छह, खरगोन में छह और छिंदवाड़ा, जबलपुर, आगर मालवा, धार, होशंगाबाद तथा मंदसौर में एक-एक मरीज की मौत हुई है। प्रदेश के कुल 52 में से 26 जिलों के लोग अब तक कोविड—19 से संक्रमित पाये गये हैं। प्रदेश में इन्दौर में आज कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे अधिक 56 नये मामले सामने आये जबकि इसके बाद भोपाल में 28, जबलपुर में 12, होशंगाबाद में चार, खंडवा, उज्जैन और छिंदवाड़ा में एक-एक नया मामला सामने आया है। इसी के साथ भोपाल में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 388 हो गई है, जबकि उज्जैन में 103, खरगोन में 60, देवास में 22, जबलपुर में 43 और धार तथा खंडवा में 36-36 हो गयी है। इनके अलावा, कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित इन्दौर में कोविड—19 की चपेट में आने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 1,085 हो गयी है। वहीं, रायसेन में अब कोरोना वायरस से 26 लोग संक्रमित हैं जबकि रतलाम में 12, होशंगाबाद में 30, धार में 36, आगर मालवा में 11, बड़वानी में 24, मुरैना में 13, विदिशा में 13, मंदसौर में आठ, शाजापुर में छह, सागर और छिंदवाड़ा में पांच-पांच, श्योपुर एवं ग्वालियर में चार—चार, अलीराजपुर में तीन, शिवपुरी एवं टीकमगढ़ में दो—दो और बैतूल में एक व्यक्ति कोरोना वायरस की बीमारी की चपेट में आया है। वहीं, दो मरीज अन्य राज्य के हैं। प्रदेश में अब तक 281 कोरोना वायरस मरीज उपचार के बाद स्वस्थ्य भी हो चुके हैं। कोरोना वायरस के घातक संक्रमण को रोकने के लिए प्रदेश में प्रभावित जिलों में कुल 499 कंटेनमेंट जोन (निषिद्ध क्षेत्र) बनाए गए हैं। यहां लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराया जा रहा है। प्रदेश में कोरोना वायरस के कुल 1,565 मरीजों का विभिन्न अस्पतालों में उपचार किया जा रहा है। इनमें से 1,539 की हालत स्थिर है जबकि 26 मरीज गंभीर हैं। इस प्रकार शनिवार को जारी किये गये ताजा बुलेटिन के अनुसार प्रदेश में कुल कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या 1945 पर पहुंच गयी है। इसमें से 99 लोगों की मौत हो चुकी है तथा 281 लोग स्वस्थ्य होकर अस्पताल से छुट्टी पा चुके हैं। प्रदेश में अब तक 36,887 लोगों की कोरोना वायरस संक्रमण की जांच की गई है।

त्वरित एंटीबॉडी जांच किट के उपयोग पर अस्थायी रोक

राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड-19 की त्वरित एंटीबॉडी जांच किट का उस वक्त तक उपयोग नहीं करने को कहा गया है, जब तक कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) इसकी सटीकता की फिर से जांच नहीं कर लेती है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों के मुताबिक आईसीएमआर द्वारा गठित टीमें उन त्वरित एंटीबॉडी जांच किट का विश्लेषण कर रही हैं, जो दो चीनी कंपनियों से खरीदी गई थी। उन्होंने बताया कि इस जांच का उद्देश्य इसकी (त्वरित एंटीबॉडी जांच किट की) दक्षता का पता लगाना है क्योंकि कुछ राज्यों से ये खबरें आई थी कि ये त्रुटिपूर्ण हैं और गलत नतीजे दे रही हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शुक्रवार को कहा था कि जांच किट के नतीजे जगह-जगह पर अलग-अलग आ रहे हैं और ‘‘इन पर विश्वास नहीं किया जा सकता।’’ शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने उनके हवाले से कहा, ‘‘यहां तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी इसकी सटीकता पर टिप्पणी नहीं की है। आईसीएमआर अपनी प्रयोगशाला में जांच और किट की दक्षता की समीक्षा कर रही है तथा जल्द ही नये दिशानिर्देश जारी किये जाएंगे।’’ एक अधिकारी ने बताया, ‘‘शुक्रवार को राज्यों के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक बैठक होने के बाद उनसे उस वक्त तक त्वरित एंटीबॉडी जांच किट का उपयोग रोकने को कहा गया, जब तक कि आईसीएमआर इसकी सटीकता पर मुहर नहीं लगा देती है।’’ आईसीएमआर के महामारी एवं संचारी रोग विभाग प्रमुख डॉ रमन आर गंगाखेडकर ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा था कि त्वरित जांच और आरटी-पीसीआर जांच के नतीजों में अत्यधिक अंतर देखा जा रहा है जो कुछ राज्यों में छह से 71 प्रतिशत तक दर्ज किया गया है। उन्होंने यह भी कहा था कि यदि त्वरित जांच किट की खेप त्रुटिपूर्ण पाई गई तो कंपनी को उसकी जगह दूसरी खेप भेजने को कहा जाएगा।

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गुजरात में कोविड-19 मरीजों की संख्या तीन हजार के पार

गुजरात में शनिवार को कोविड-19 के 256 नये मामले आने के साथ राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या तीन हजार के पार पहुंच गई। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि अब राज्य में कुल संक्रमितों की संख्या 3,071 हो गई है। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से छह और लोगों की जान गई है। इस प्रकार राज्य में कोविड-19 से अबतक 133 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। अधिकारी ने बताया कि 256 नये मामलों में 182 संक्रमित अकेले अहमदाबाद के हैं जबकि सूरत में 34 और वडोदरा में सात और मरीज मिले हैं। उन्होंने बताया कि नये संक्रमितों के साथ अकेले अहमदाबाद में कोविड- 19 मरीजों की संख्या 2,003 तक पहुंच गई है।

शव जमीन से निकाल कर दूसरी जगह दफनाने की अर्जी खारिज

चेन्नई नगर प्रशासन ने कोरोना वायरस संक्रमण से हुई एक चिकित्सक की मौत के मामले में उस अर्जी को खारिज कर दिया जिसमें शव को जमीन से निकाल कर दूसरे कब्रिस्तान में दफनाने की मांग की गई थी। प्रशासन ने कहा कि विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा करना जोखिम भरा होगा। ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन (जीसीसी) ने दिवंगत चिकित्सक की पत्नी की एक अर्जी का जिक्र किया जिसमें चिकित्सक के शव को जमीन से बाहर निकाल कर किलपाउक के एक कब्रिस्तान में दफनाने का अनुरोध किया गया था। निगम ने कहा कि उसने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से इस अर्जी पर गौर करने को कहा था। चिकित्सक की पत्नी ने जीसीसी से 22 अप्रैल को अनुरोध किया था कि उनके पति का शव बाहर निकाल कर कहीं अन्य दफनाया जाए। चिकित्सक की पत्नी ने कहा कि उनके पति की अंतिम इच्छा थी कि उन्हें किलपाउक कब्रिस्तान में दफनाया जाए और वेंटिलेटर पर ले जाए जाने से पहले उन्होंने यह बात कही थी। जीसीसी ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस संक्रमण से मारे गए किसी व्यक्ति के शव को जमीन से बाहर निकालना और उसे दोबारा दफनाना सुरक्षित नहीं है इसलिए उनकी अर्जी स्वीकार करना संभव नहीं है। गौरतलब है कि 19 अप्रैल को शहर के एक चिकित्सक की संक्रमण से मौत हो गई थी और यहां के वेलनगाडू कब्रिस्तान में उनका अंतिम संस्कार किए जाने के विरोध में हिंसा हुई थी। हिंसा को देखते हुए दिवंगत चिकित्सक की पत्नी और पुत्र को भी वहां से जाना पड़ा था। शव को वेलनगाडू लाया गया था क्योंकि किलपाउक ने लोगों ने वहां अंतिम संस्कार का विरोध किया था। लोगों को आशंका थी कि संक्रमित व्यक्ति के अंतिम संस्कार से उस स्थान पर संक्रमण फैल जाएगा। बाद में सर्जन की पत्नी ने एक वीडियो संदेश जारी करके कहा कि उनके पति की अंतिम इच्छा थी कि ईसाई रीति रिवाज से उनका अंमित संस्कार किलपाउक कब्रिस्तान में किया जाए। मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी और द्रमुक प्रमुख एमके स्टालिन ने बुधवार को उन्हें फोन करके उनके पति के निधन पर शोक व्यक्त किया था।

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दूसरे राज्यों से लौटे 15 लाख श्रमिकों को रोजगार देगी सरकार

देश के अन्य राज्यों में रह रहे उत्तर प्रदेश के मजदूरों को वापस लाने का काम शनिवार से शुरू हो गया और पहले चरण में 2224 श्रमिकों और कामगारों को 82 बसों की मदद से लाया गया। रविवार तक चरणबद्ध तरीके से 11 हजार लोग वापस आ जायेंगे। दूसरे राज्यों से लौट रहे 15 लाख श्रमिकों को राज्य सरकार रोजगार देगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के तहत राज्य सरकार स्थानीय स्तर पर 15 लाख लोगों को रोजगार देगी। ये इस राज्य के वे लोग हैं जो दूसरे राज्यों में काम करते थे लेकिन कोरोना वायरस प्रकोप के चलते हुए लॉकडाउन होने के कारण वापस लौट आए हैं या आने वाले हैं। सरकार इस संबंध में कार्ययोजना बना रही है। पंचायती राज के प्रमुख सचिव मनोज कुमार को निर्देशित किया गया है कि ग्राम प्रधानों के माध्यम से मनरेगा और गांव के विकास के कार्यों को आगे बढ़ाएं। तबलीगी जमात के 2896 लोगों को चिन्हित करके उनकी जांच की गई है। सभी 325 विदेशी व्यक्तियों को चिकित्सकीय जांच करके उन्हें पृथक किया गया है। तबलीगी जमात के 45 विदेशी सदस्यों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है तथा 259 पासपोर्ट जब्त किये गये हैं। अपर मुख्य सचिव (गृह और सूचना) अवनीश कुमार अवस्थी ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अन्य राज्यों में 14 दिन का पृथकवास पूरा कर चुके उत्तर प्रदेश के श्रमिकों और कामगारों को चरणबद्ध तरीके से वापस लाए जाने के सम्बन्ध में निर्देश दिये थे। इसी को अमल में लाते हुये शनिवार को हरियाणा राज्य से 2224 मजदूरों को 82 बसों से वापस प्रदेश लाया गया। ये मजदूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 16 जिलों के हैं। इन लोगों को रोजगार देने के लिये प्रदेश सरकार ने विस्तृत कार्ययोजना बनायी है। उन्होंने कहा कि कल रविवार तक दूसरे राज्यों में रह रहे 11 हजार मजदूर वापस आ जायेंगे। मजदूरों को वापस लाने का कार्यक्रम आगे भी जारी रहेगा। इन मजदूरों को 14 दिन तक पृथकवास में रखा जायेगा। इसके लिए बड़ी संख्या में आश्रयगृह तैयार किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। इनमें ‘पब्लिक एड्रेस सिस्टम’ लगाया जाए, भोजन एवं शौचालय की सुचारू व्यवस्था की जाएगी। कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज करने वाले चिकित्सकर्मियों ने फैले इसके लिये हर जिले में एक टीम बनाई जा रही है। अब तक प्रदेश के कोविड- 19 फंड में 268 करोड़ रुपये आ चुके हैं। अवस्थी ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में विभिन्न राज्यों में फंसे प्रदेश के प्रवासी श्रमिकों को गृह जनपद लाने का काम चरणबद्ध तरीके से शुरू कर दिया गया है। प्रदेश में वापस लाने से पहले श्रमिकों की मेडिकल स्क्रीनिंग करायी जायेगी, जिसके बाद उन्हें उनके गृह जनपद में 14 दिन के लिए पृथकवास में रखा जायेगा। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि पृथक केंद्र तथा आश्रयगृह में हर हाल में एकदूसरे से दूरी बनाये रखने के नियम का पालन किया जाए। आश्रयगृह में पृथक रहने की अवधि पूरी करने के बाद घर पर पृथक रहने के लिए भेजे जाने वाले श्रमिकों को राशन की किट व एक हजार रुपये का भरण-पोषण भत्ता दिया जाए।’’ उन्होंने बताया कि प्रदेश के 389 हॉटस्पॉट (संक्रमण से अधिक प्रभावित इलाके) क्षेत्र के 234 थानान्तर्गत 6,24,978 मकान चिन्हित किये गये हैं। इनमें 35,78,339 लोगों को चिन्हित किया गया है। इन हाटस्पॉट क्षेत्रों में कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गये लोगों की संख्या 1373 है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ‘फेक न्यूज’ पर कड़ाई से नजर रख रही है। ‘फेक न्यूज’ के तहत अब तक 528 मामलों का संज्ञान में लेते हुए साइबर सेल को सूचित किया गया है। उन्होंने बताया कि तबलीगी जमात के 2896 लोगों को चिन्हित करके उनकी जांच की गई है। सभी 325 विदेशी व्यक्तियों की चिकित्सकीय जांच करके उन्हें पृथक किया गया है। तबलीगी जमात के 45 विदेशी सदस्यों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है तथा 259 पासपोर्ट जब्त किये गये हैं। अवस्थी ने बताया कि प्रवासी श्रमिकों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश सरकार ने एक समिति गठित की है। प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसे कार्ययोजना बनाकर सफलतापूर्वक लागू किया जायेगा। मुख्यमंत्री योगी ने निर्देश दिये हैं कि तालाब व चेक डैम आदि से सम्बन्धित कार्य शुरू कराये जाए। इन कार्यों में प्रवासी मजदूरों को भी लगाया जाए। इस समय 18,823 ग्राम पंचायतों में संचालित 44,478 परियोजनाओं में 4,23,231 अकुशल श्रमिक कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त प्रदेश की तीनों एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य में लगभग 10,000 श्रमिक कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि सिंचाई विभाग की 63 परियोजनाओं एवं लोक निर्माण विभाग की 173 परियोजनाओं का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। अवस्थी ने बताया कि मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये हैं कि कृषि विभाग द्वारा इस बात का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए कि प्रदेश में कृषि उपकरणों की कमी नहीं है। किसान समय से फसल कटवाते हुए अपनी उपज को क्रय केन्द्र पर ले जाएं। फसल की कटान के लिए पर्याप्त श्रम शक्ति प्रदेश में उपलब्ध है। प्रदेश में पर्याप्त संख्या में क्रय केन्द्र स्थापित किये गये हैं। उन्होंने निर्देश दिये कि यह सुनिश्चित किया जाए कि मण्डियों तथा क्रय केन्द्रों पर भीड़ एकत्र न हो तथा एकदूसरे से दूरी बनाये रखने के नियम प्रभावी ढंग से लागू रहे। अवस्थी ने बताया कि कोरोना वायरस के दृष्टिगत प्रदेश में लॉकडाउन अवधि में पुलिस विभाग द्वारा की गयी कार्यवाही में अब तक धारा 188 के तहत 30,163 लोगों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई। प्रदेश में अब तक 24,43,149 वाहनों की सघन जांच में 31,183 वाहन सीज किये गये। जांच अभियान के दौरान 11,69,51,302 रूपए का शमन शुल्क वसूल किया गया। आवश्यक सेवाओं हेतु कुल 1,79,090 वाहनों के परमिट जारी किये गये हैं। उन्होंने बताया कि कालाबाजारी एवं जमाखोरी करने वाले 679 लोगों के खिलाफ 539 प्राथमिकी दर्ज करते हुए 242 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अपर मुख्य सचिव गृह ने बताया कि मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये हैं कि लॉकडाउन का शत-प्रतिशत पालन कराते हुए एकदूसरे से दूरी बनाये रखने के नियम पर विशेष ध्यान दिया जाए। गश्त बढ़ायी जाए। उन्होंने संक्रमण की दृष्टि से जनपद संतकबीरनगर की बढ़ी हुई संवेदनशीलता के मद्देनजर, मण्डलायुक्त बस्ती, पुलिस महानिरीक्षक बस्ती तथा स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि जनपद स्तर पर किये जा रहे कार्यों की प्रगति की निरन्तर जानकारी प्राप्त करते रहें। उन्होंने निर्देश दिये कि जनपद स्तर पर अलग-अलग कार्यों के लिए अधिकारी नामित किये जाएं, जिससे कार्यों का सुचारू संचालन हो और इनके लिए जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही भी तय की जा सके।

दिल्ली में लॉकडाउन के बीच गुजरा पहला रोजा

दिल्ली में लॉकडाउन के बीच शनिवार को रमजान का पहला रोजा बीत गया। इस दौरान अधिकतर बाजारों और मस्जिदों में सन्नाटा पसरा रहा, जोकि इससे पहले रमजान के दौरान पहले कभी नहीं देखा गया। लॉकडाउन के चलते लोग घरों में रहे और आसपास की ज्यादातर दुकानें भी बंद रहीं। मस्जिदों समेत धार्मिक स्थल लगभग एक महीने से बंद हैं। धर्मगुरुओं ने घरों में रहने और मेलजोल से दूरी बनाए रखने की सलाह दी है। ऐसे में लोग न तो नमाज और न ही इफ्तार के लिये एक साथ जमा हो सके। पुरानी दिल्ली के लाल कुआं के रहने वाले बुरहानुद्दीन ने कहा, 'रमजान के दौरान त्योहारों जैसा माहौल होता है। लोग बाजारों की ओर उमड़ते हैं और मस्जिदों में भी नमाजियों की आमद बढ़ जाती है। लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते वह रौनक गायब है और लोग अपने घरों में बैठे हैं।' चांदनी चौक और करीब में ही जामा मस्जिद समेत पुरानी दिल्ली में खान-पान की दुकानें रमजान के दौरान न केवल रोजेदारों बल्कि खान-पान के शौकीनों से खचाखच भरी रहती हैं, लेकिन शनिवार को यहां केवल कुछ ही दुकानें खुली दिखीं। बुरहानुदद्दीन ने कहा, 'लॉकडाउन पाबंदियों के चलते अधिकतर दुकानें बंद हैं। इसके अलावा शाम के समय दुकानें खोलने को लेकर भी असमंजस है।' कई रोजेदारों (रोजा या व्रत रखने वाले) ने इस दौरान सहरी के लिये खजला-फेनी (सूर्योदय से पहले यानी सहरी में खाया जाने वाला पकवान) नहीं मिलने की भी शिकायत की। एक अन्य निवासी ने कहा, 'दूध और चीनी के साथ मिलाकर खाया जाने वाला खलजा (तला हुआ व्यंजन) संपूर्ण खुराक है। लेकिन, हमें जामा मस्जिद के निकट श्री भवन और चेनाराम जैसी मशहूर दुकानों पर भी यह नहीं मिल पा रहा है।' धार्मिक स्थल बंद होने के चलते लोग नमाज पढ़ने के लिये मस्जिदों में भी नहीं जा सके। फतेहपुरी की शाही मस्जिद के इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कहा, 'इस्लाम में विशेष परिस्थितियों में घर पर ही नमाज अदा करने की इजाजत है। लिहाजा लोगों को कोरोना वायरस के चलते रमजान में मेलजोल से दूरी बनाकर घरों में नमाज और तराबीह (रात में पढ़ी जानी वाली विशेष नमाज) अदा करने चाहिये।' वहीं रमजान के दौरान दुकानदारों की कमाई भी अच्छी होती है, लेकिन इस बार ऐसा होता नहीं दिख रहा। लक्ष्मी नगर के रमेश पार्क इलाके में रहने वाले कपड़ा कारोबारी आसिफ कहते हैं, 'इस महीने कुछ कामकाज नहीं हुआ। कई लोग अपनी नौकरियां खो चुके हैं। लिहाजा इस बार त्योहारों का जोर-शोर कम होना स्वाभाविक है।' पूरे रमजान के महीने में इस्लाम को मानने वाले लोग रोजे रखते हैं और महीने क अंत में ईद मनायी जाती है।

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करीब 328 कंपनियों ने लिया छूट का लाभ

विभिन्न क्षेत्रों की करीब 328 इकाइयों ने रिजर्व बैंक द्वारा कर्ज भुगतान में दी गई तीन महीने की छूट का लाभ लिया है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने यह जानकारी दी। कोरोना वायरस महामारी की वजह से पैदा हुए संकट के मद्देनजर केंद्रीय बैंक ने कर्ज भुगतान पर तीन माह की रोक लगाई है। इक्रा द्वारा रेटिंग वाली कई इकाइयां मसलन एयर इंडिया एक्सप्रेस, ओएनजीसी पेट्रो एडिशंस, टाटा समूह की इकाइयां, जेएसडब्ल्यू समूह और जीएमआर समूह इसमें शामिल है। रिजर्व बैंक ने कोविड-19 की वजह से 27 मार्च को कर्ज लेने वाली इकाइयों को मार्च-मई के दौरान तीन माह तक ऋण का भुगतान नहीं करने की छूट दी। यह एक स्वैच्छिक उपाय है। इसमें रोक की अवधि के दौरान ऋण पर ब्याज बढ़ता रहेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से सामान्य तौर पर ऋण भुगतान की अवधि लंबी हो जाएगी। इक्रा ने कहा कि वह इकाइयों के नामों का खुलासा भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से मिले अधिकार के तहत कर रही है। रेटिंग एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि ऋण देने वाले संस्थान से औपचारिक मंजूरी मिलने तक इन इकाइयों द्वारा कर्ज का भुगतान नहीं करने को चूक नहीं माना जाएगा। एजेंसी ने कहा कि एयर इंडिया एक्सप्रेस पर 1,301 करोड़ रुपये और ओएनजीसी पेट्रो एडिशंस पर 33,180 करोड़ रुपये का कर्ज है। दोनों कंपनियों ने ऋण भुगतान में रोक का लाभ लिया है। ओएनीसी पेट्रो एडिशंस पर 15.5 करोड़ डॉलर का विदेशी कर्ज भी है। इंटरग्लोब होटल्स पर 811 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसने भी भुगतान पर छूट का लाभ लिया है। इसके अलावा होटल क्षेत्र की कुछ अन्य कंपनियों मसलन लेमन ट्री होटल्स और बार्बिक्यू नेशन हॉस्पिटैलिटी ने भी इस राहत का लाभ लिया है। वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों में सेंट्रम फाइनेंशियल सर्विसेज, क्रेडिटएक्सेस ग्रामीण, इंडोस्टार कैपिटल फाइनेंस, मधुर माइक्रो फाइनेंस, स्पंदना स्फूर्ति फाइनेंशियल ने भी ऋण का भुगतान टालने का फैसला किया है। जीएमआर समूह की इकाइयों- जीएमआर अंबाला चंडीगढ़ एक्सप्रेसवेज (240 करोड़ रुपये कर्ज) और जीएमआर हैदराबाद एविएशन एसईजेड (58 करोड़ रुपये) ने भी रिजर्व बैंक द्वारा दी गई छूट का लाभ लिया है। इसी तरह सज्जन जिंदल की अगुवाई वाले जेएसडब्ल्यू समूह की इकाइयों जेएसडब्ल्यू स्टील (71,952 करोड़ रुपये का कर्ज) और गैर-सूचीबद्ध कंपनी जेएसडब्ल्यू पेंट्स (160 करोड़ रुपये) ने भी ऋण भुगतान में छूट का लाभ लिया है। टाटा समूह की इकाइयों- टाटा पावर (7,231 करोड़ रुपये कर्ज), टाटा जीवीके होटल्स एंड रिजॉर्ट्स (195 करोड़ रुपये) और टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी ने भी रिजर्व बैंक की ओर से दी गई राहत का लाभ लिया है। अजय पीरामल समूह की प्रमुख कंपनी पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस पर करीब 30,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। इस कंपनी ने भी ऋण भुगतान में मिली छूट का लाभ लिया है। इसी तरह कल्याण ज्वेलर्स जिसपर सितंबर, 2019 तक 3,555 करोड़ रुपये का ऋण बकाया था, ने भी तीन माह तक कर्ज का भुगतान नहीं करने का फैसला किया है। निजी क्षेत्र की कंपनी पराग मिल्क फूड्स ने भी इस छूट का लाभ लिया है। कंपनी पर 390 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है।

ई-कॉमर्स क्षेत्र को भी अनुमति की माँग

वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली कंपनी फ्लिपकार्ट ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों को भी धीरे-धीरे गैर-आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की अनुमति दिए जाने का सुझाव दिया है। फ्लिपकार्ट का कहना है कि इससे उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने के साथ-साथ सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के पास जमा हो चुके सामान के भंडार को निकालने में भी मदद मिलेगी। कोरोना वायरस की वजह से लागू राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान ई-कॉमर्स कंपनियों को सिर्फ खाद्य सामान और दवाओं जैसी आवश्यक वस्तुओं की बिक्री की अनुमति है। फ्लिपकार्ट का यह बयान ऐसे समय आया है कि जबकि सरकार ने लॉकडाउन के दौरान शहरी इलाकों के रिहायशी परिसरों की दुकानों को कुछ शर्तों के साथ के साथ खोलने की अनुमति दे दी है। साथ ही गली-मोहल्ले की दुकानों को भी खोलने की अनुमति दी गई है। लेकिन बड़े बाजारों में स्थित दुकानों को अभी खोलने की अनुमति नहीं दी गई है। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में शॉपिंग मॉल को छोड़कर सभी दुकानों को खोलने की अनुमति दे दी गई है। गृह मंत्रालय ने शुक्रवार देर रात जारी आदेश में कहा कि मॉल अभी बंद रहेंगे, लेकिन ग्रामीण इलाकों की दुकानों को खोला जा सकता है। इसके साथ ही मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि कोविड-19 हॉटस्पॉट और ‘नियंत्रण’ वाले क्षेत्रों की दुकानें अभी नहीं खुलेंगी। फ्लिपकार्ट समूह के एक प्रवक्ता ने खुदरा दुकानदारों को कुछ छूट देने के फैसले का स्वागत किया। प्रवक्ता ने कहा, ‘‘बंद के दौरान उपभोक्ताओं ने काफी धैर्य दिखाया है। ऐसे में ई-कॉमर्स कंपनियों को धीरे-धीरे गैर-आवश्यक वस्तुओं की बिक्री की अनुमति दी जानी चाहिए। इससे उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी। इनमें वे उत्पाद शामिल हैं जिनसे उन्हें घर से काम करने में मदद मिलेगी।’’ प्रवक्ता ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियां सरकार के कोरोना वायरस पर अंकुश के प्रयासों में सहयोग कर रही हैं। उन्होंने कहा कि हम सामाजिक दूरी के दिशानिर्देशों का अनुपालन करते हुए ग्राहकों की जरूरतों को सुरक्षित तरीके से पूरा करने में मदद करेंगे।

यूरोप में मृतकों की संख्या 1,20,140 हुई

यूरोप में कोरोना वायरस से मृतकों की संख्या एक लाख 20 हजार के पार पहुंच गई है। इनमें से इस महामारी से ज्यादातर लोगों की मौत इटली, फ्रांस, स्पेन और ब्रिटेन में हुई है। आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर एएफपी द्वारा की गई गणना के अनुसार इस महामारी से सबसे बुरी तरह से प्रभावित यूरोप महाद्वीप में 1,20,140 लोगों की मौत हुई है और इसके 13,44,172 मामले सामने आये है। इटली में कोरोना वायरस से सबसे अधिक 25,969 लोगों की मौत हुई है। इसके बाद स्पेन में 22,902, फ्रांस में 22,245 और ब्रिटेन में 19,506 लोगों को इस वायरस के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है।

-नीरज कुमार दुबे

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