वैज्ञानिकों ने Ebola Virus के प्रजनन के तरीके का पता लगाया, दवा की खोज में मदद की उम्मीद
इस अध्ययन के सह लेखक कनाडा स्थित मांट्रियल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राफेल नाजमानोविच ने कहा, ‘‘ हमने इबोला वायरस के वीपी 35 प्रोटीन और यूबीक्यूटिन के बीच संबंध का परीक्षण करने के लिए प्रयोगात्मक एवं कंप्यूटरीकृत प्रविधियों का साथ साथ इस्तेमाल किया।’’
नयी दिल्ली। वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में इबोला वायरस के प्रजनन के तौर-तरीके का पता लगाया है जिससे इस बीमारी की रोकथाम के वास्ते संभावित दवा का मार्ग प्रशस्त हुआ है। यह अध्ययन इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि कैसे यह घातक वायरस यूबीक्यूटिन नामक मानव प्रोटीन के साथ क्रिया करता है। इस वायरस का सबसे अधिक प्रकोप अफ्रीका के उपसहारा क्षेत्र में देखा गया है।
इस अध्ययन के सह लेखक कनाडा स्थित मांट्रियल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राफेल नाजमानोविच ने कहा, ‘‘ हमने इबोला वायरस के वीपी 35 प्रोटीन और यूबीक्यूटिन के बीच संबंध का परीक्षण करने के लिए प्रयोगात्मक एवं कंप्यूटरीकृत प्रविधियों का साथ साथ इस्तेमाल किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी टीम द्वारा अपनायी गयी उन्नत कंप्यूटरीकृत मॉडलिंग से मानव कोशिकाओं में प्रोटीन वीपी 35 और यूबीक्यूटिन श्रृंखला के बीच संयोजन के बारे में अनुमान प्राप्त हुआ और ऐसे संभावित रासायनिक यौगिकों की पहचान हो पायी जो उनके बीच क्रिया में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।’’
इबोला एक प्रकार का रक्तस्रावी बुखार है जो इबोला वायरस की विभिन्न प्रजातियों की वजह से होता है। इसमें पहले फ्लू जैसे लक्षण सामने आते हैं और बाद में उल्टी, रक्तस्राव और स्नायु संबंधी दिक्कतें होती हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि यह अध्ययन ‘पीएलओएस बॉयोलोजी’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। उनके अनुसार, इससे न केवल इस वायरस के कामकाज के तरीके को लेकर हमारी समझ गहरी होती है बल्कि यह अधिक प्रभावी उपचार का मार्ग भी प्रशस्त करता है। नाजमानोविच ने कहा, ‘‘खासकर, यह ऐसी दवा की रूपरेखा तैयार करने में मददगार हो सकता है जो मानव प्रोटीन यूबीक्यूटिन के साथ क्रिया को बाधित कर सकती है तथा वायरस के प्रजनन की गति धीमी कर सकती है।
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