द्वितीय विश्वयुद्ध में हरियाणा के 2 जवानों ने न्यौछावर किए थे प्राण, 75 साल बाद अवशेष पहुंचे घर
अधिकारियों ने बताया कि उनके अवशेष सोमवार को इटली से उनके पैतृक गांव लाए गए। हिसार के नंगथाला गांव के पालू राम के अवशेष बड़ी संख्या में मौजूद ग्रामीणों के सामने उनके भतीजे को सोमवार को सौंपे गए।
हिसार (हरियाणा)। ब्रिटिश भारतीय सेना में सेवाएं देने वाले हरियाणा के दो सिपाहियों के अवशेष उनकी मौत के करीब 75 साल बाद हिसार एवं झज्जर जिलों में उनके पैतृक गांव पहुंचे। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। इन दोनों सिपाहियों ने द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मन बलों से लड़ते वक्त अपनी जान गंवाई थी। सिपाही पालू राम और हरि सिंह ब्रिटिश भारतीय सेना की 13वीं फ्रंटियर फोर्स राइफल्स की चौथी बटालियन का हिस्सा थे।
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अधिकारियों ने बताया कि उनके अवशेष सोमवार को इटली से उनके पैतृक गांव लाए गए। हिसार के नंगथाला गांव के पालू राम के अवशेष बड़ी संख्या में मौजूद ग्रामीणों के सामने उनके भतीजे को सोमवार को सौंपे गए। जिला सैनिक बोर्ड के कैप्टन प्रदीप बाली (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पालू राम ने 19 साल की उम्र में इटली के पोगियो अलटो में 1944 में जर्मन बलों से युद्ध लड़ने के दौरान अपनी जान गंवाई थी।
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युद्ध में मारे गए लोगों की पहचान करने की प्रक्रिया 1960 के दशक में इटली में उनके अवशेष पाए जाने के बाद 2010 तक जारी रही। करीब छह साल पहले, डीएनए परीक्षणों से सामने आया कि दो गैर यूरोपीय सैनिक थे और बाद में पता चला कि यह शहीद 13वीं फ्रंटियर फोर्सेज राइफल्स की चौथी बटालियन से थे। बाद में भारतीय सेना एवं अन्य संबंधित अधिकारियों की मदद से पालू राम एवं सिंह के परिवारों का पता लगाया गया और इनके अवशेष उनके रिश्तेदारों को सौंपे गए।
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