विश्व जल दिवस पर जल संरक्षण का संकल्प लें, इन उपायों को अपनाएँ

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संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया के हर नौवें व्यक्ति के पास पीने के साफ पानी का अभाव है जिसकी वजह से हर साल लाखों लोग बीमारियों का शिकार होते हैं और उनकी मौत हो जाती है।

‘पानी रे पानी तेरा रंग कैसा, सौ साल जीने के उम्मीदों जैसा।’ 1972 में बनी ‘शोर’ फिल्म के गीत की ये लाइनें आज ‘विश्व जल दिवस’ पर प्रासंगिक हैं। वाकई पानी का महत्व हमारे जीवन में इतना अधिक है कि इसके दम पर हम सौ साल तक भी जीने की उम्मीदें लगा सकते हैं वहीं पानी न मिले तो हम अपने कल को भी सुरक्षित नहीं कह सकते। 

पानी हमारे जीवन की बुनियादी जरूरतों में से है इसका मूल्य वह लोग अच्छी तरह से जानते हैं जिन्हें पानी सहज उपलब्ध नहीं होता। धरती पर पीने के पानी की उपलब्धता और उससे जुड़े आंकड़ों को देखें तो समझ आता है कि पानी की बूंद बूंद बचाना हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है। 

संयुक्त राष्ट्र के आकलन के मुताबिक पृथ्वी पर पानी की कुल मात्रा लगभग 1400 मिलियन घन किलोमीटर है, जिसमें से 97.5 फीसदी पानी समुद्र में है जो पीने योग्य नहीं है। मात्र 2.5 फीसदी पानी ही पीने योग्य है जिसमें 1.5 फीसदी बर्फ के रूप में है, 1 फीसदी पानी नदी, सरोवर, कुंओं, झरनों और झीलों में है। 

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संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया के हर नौवें व्यक्ति के पास पीने के साफ पानी का अभाव है जिसकी वजह से हर साल लाखों लोग बीमारियों का शिकार होते हैं और उनकी मौत हो जाती है। दुनिया में 2.1 अरब और भारत में करीब 16 करोड़ से अधिक लोग ऐसे हैं जिन्हें पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं है, वहीं 26 करोड़ से ज्यादा लोगों को पानी के लिए 30 मिनट की यात्रा करनी पड़ती है। 

एक विश्लेषण के मुताबिक दुनियाभर के 200 शहर और 10 मेट्रो सिटी ‘डे जीरो’ की ओर बढ़ रहे हैं। ‘डे जीरो’ यानि बहुत जल्दी इन जगहों पर वह दिन आने वाला है जब यहां नलों में पानी आना बंद हो जाएगा। 

भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 1990 के बाद से भूजल स्तर में काफी तेजी से गिरावट आ रही है। भूजल स्तर यदि इसी रफ्तार से गहरा होता गया तो बहुत अधिक गहराई से जो पानी निकाला जाएगा वह पीने के योग्य नहीं होगा, उसमें आर्सेनिक और फ्लोराइड की अधिकता के चलते बीमारियां बढ़ेंगी। 

रिपोर्टस के मुताबिक 2050 तक दुनिया की आबादी 10 अरब तक पहुंचने का अनुमान है। ऐसे में भविष्य में मौजूदा समय से 30 फीसदी अधिक पानी की जरूरत और होगी, पानी उपलब्ध न होने पर दुनिया के 36 फीसदी शहर पानी की गंभीर समस्या से जूझेंगे। 

तो दोस्तों, इससे पहले कि वह दिन देखना पड़े कि हम पीने के पानी को भी तरस जाएं, अच्छा है उससे पहले संभल जाएं। 

आज 22 मार्च विश्व जल दिवस है। साल 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने 22 मार्च को ‘विश्व जल दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया था, जिसका उद्देश्य लोगों को जल संरक्षण के प्रति सतर्क करने और साफ पीने योग्य जल का महत्व समझाने का है। 

हर साल विश्व जल दिवस पर जल के महत्व को समझने के लिए एक थीम तय की जाती है। साल 2018 में ‘विश्व जल दिवस’ की थीम जहां ‘नेचर फ्रॉम वाटर’ थी वहीं इस साल 2019 को विश्व जल दिवस की थीम है ‘वाटर फॉर ऑल, लीविंग नो वन बिहाइंड’ । 

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विश्व जल दिवस की इस साल की थीम का उद्देश्य हर किसी को पीने के पानी का लाभ मिलना है। आईए ‘विश्व जल दिवस’ पर मिलकर संकल्प करते हैं कि पानी की फिजूल खर्ची को रोका जाए और जल प्रबंधन के प्रति ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक किया जाए ताकि विश्व में किसी को भी पीने के पानी को न तरसना पड़े। 

   

जानते हैं कहां कहां और कैसे पानी बचाया जा सकता है-

- नहाने के लिए यदि आप स्वीमिंग पुल का इस्तेमाल करते हैं तो जान लें कि स्वीमिंग पुल से हर महीने 3,700 लीटर पानी भाप बनकर उड़ जाता है।

- बाथ टब में नहाने में जहां 300 से 500 लीटर पानी खर्च होता है, वहीं सामान्य रूप से नहाने में 100 से 150 लीटर ही पानी खर्च होता है। 

- दो से चार तक कपड़े यदि हाथ से धोए जाएं तो 25 से 30 लीटर पानी खर्च होता है, वहीं वॉशिंग मशीन में 75 लीटर पानी लगता है। वॉशिंग मशीन का उपयोग तभी करें जब बहुत से कपड़े एक साथ धोने हों। 

- टूथ ब्रश करते समय यदि नल लगातार खुला रहता है तो प्रति व्यक्ति एक बार में 4 से 5 लीटर पानी बह जाता है। यानि महीने में 150 लीटर पानी की बर्बादी रोकी जा सकती है सिर्फ उपयोग के समय नल खोलने से। 

- शॉवर से नहाने में एक व्यक्ति 75 लीटर तक पानी खर्च कर देता है। शॉवर की जगह यदि बाल्टी से नहाया जाए तो 80 प्रतिशत तक जल बचाया जा सकता है।  

- बर्तन धोने में यदि नल की जगह बाल्टी या टब का इस्तेमाल किया जाए तो चार लोगों के परिवार में रोजाना करीब 20 से 25 लीटर पानी बच जाता है। 

- शेविंग करते समय नल खुला छोड़ने से पांच से सात लीटर पानी बर्बाद होता है इसके बजाय मग में पानी लेकर शेविंग करने से एक महीने में करीब 200 ली. पानी बचाया जा सकता है।

- कार को यदि बाल्टी में पानी लेकर साफ किया जाए तो महज 20 लीटर पानी लगता है वहीं पाइप से कार धोने में एक बार में डेढ़ सौ लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। बाल्टी से कार धोकर हर बार आप करीब 130 लीटर पानी बचा सकते हैं।  

- महानगरों में पाइप लाइनों के वॉल्व की खराबी से प्रतिदिन 17 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है। खराब वॉल्व को तुरंत सुधराएं।

- टॉयलेट लीक होने की समस्या भी आम है, यदि इसे रोक लिया जाये, तो पांच हजार लीटर पानी हर महीने बचाया जा सकता है। फ्लश के लिए टैंक छोटे बनवाएं जाएं या बॉल्टी का इस्तेमाल किया जाए तो प्रतिदिन करीब सौ से सवा सौ लीटर पानी बचाया जा सकता है। 

- प्रत्येक आरओ मशीन में हर साल 14 हजार लीटर पानी नष्ट हो जाता है इस पानी का इस्तेमाल पेड़-पौधों को सींचने, टॉयलेट और गाड़ी धोने में किया जा सकता है।

- बाथरूम में लीकेज से प्रति घंटे एक लीटर तक पानी बर्बाद हो जाता है। लीकेज हो तो तुरंत सुधरवा लिया जाना चाहिए।

अलावा इसके इंसानी प्रयत्नों से ही यह भी संभव है कि जंगलों का विकास किया जाए, नदियां और अन्य जल स्त्रोतों का संरक्षण किया जाए उनके आस-पास कटाव को रोका जाए, बारिश के जल का अधिक से अधिक संग्रहण किया जाए।

दोस्तों, हमारे ऐसे छोटे-छोटे, थोड़े से प्रयत्नों से पानी जैसी बड़ी समस्या पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। 

-अमृता गोस्वामी

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