आखिर 26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है भारत का गणतंत्र दिवस?

Republic Day
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गौतम मोरारका । Jan 25 2023 4:20PM

भारत का संविधान वैसे तो 26 जनवरी 1949 को ही अंगीकृत कर लिया गया था और कुछ उपबंधों को तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया गया था लेकिन संविधान का मुख्य भाग या कहें कि पूर्ण संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था।

74वें गणतंत्र दिवस पर आप सभी को शुभकामनाएं प्रदान करने के साथ ही आइये जानते हैं कि क्यों 26 जनवरी को ही भारत का गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। दरअसल, जब देश की आजादी का आंदोलन चल रहा था तभी यह तय किया गया था कि 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जायेगा। लेकिन भारत को आजादी मिली थी 15 अगस्त 1947 को, इसलिए स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाया जाने लगा। बाद में 26 जनवरी के साथ भारतीय संविधान जुड़ गया और इस तरह यह दिवस भारत के लिए एक और राष्ट्रीय पर्व बन गया।

भारत का संविधान वैसे तो 26 जनवरी 1949 को ही अंगीकृत कर लिया गया था और कुछ उपबंधों को तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया गया था लेकिन संविधान का मुख्य भाग या कहें कि पूर्ण संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। इसके अलावा स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में यह भी उल्लेख मिलता है कि 26 जनवरी 1929 को पं. जवाहरलाल नेहरू ने रावी नदी के तट पर देश के लिए पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा की थी। इतिहास में यह भी उल्लेख मिलता है कि दो जनवरी 1930 को पं. जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में हुई कांग्रेस की बैठक में 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था। तभी से 26 जनवरी का दिन भारत के लिए शुभ तिथि के रूप में अंकित हो गया था और आजादी के बाद जब इस दिन भारतीय संविधान को लागू किया गया तबसे यह हमारे गणतंत्र दिवस के रूप में परिवर्तित हो गया।

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इस बार के गणतंत्र दिवस की बात करें तो आजादी का अमृत काल मना रहा भारत गुलामी की हर निशानी को मिटाने के अभियान में और आगे बढ़ता नजर आ रहा है। राजपथ जोकि अब कर्तव्य पथ में तब्दील हो चुका है, उस पर जब इस 26 जनवरी को झांकियां निकलेंगी तो कई इतिहास रचे जाएंगे। दुनिया को इस बार भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की वो झलक देखने को मिलेगी जिसकी पहले की सरकारों ने कल्पना भी नहीं की थी। 74वें गणतंत्र दिवस परेड में सेना की ओर से प्रदर्शित किये जाने वाले सभी उपकरण भारत में बने हैं। यानि जब आप सेना की झांकियां देखेंगे तो एक से बढ़कर एक हथियार और शस्त्र प्रणालियां जो प्रदर्शित होंगी वो भारत में ही बनी होंगी। साथ ही इस बार गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज को ब्रिटिश तोपों से नहीं बल्कि पहली बार भारतीय तोपों से सलामी दी जायेगी। इसके अलावा आकाश में वायुसेना जो इतिहास रचेगी वो अलग है। इसके साथ ही राष्ट्रपति के रूप में श्रीमती द्रौपदी मुर्मू पहली बार गणतंत्र दिवस परेड की सलामी लेंगी। भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति के रूप में यकीनन उनका नेतृत्व भारत के लिए गौरव का क्षण है।

- गौतम मोरारका

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