Gyan Ganga: गीता में लिखा है- जिंदगी मुसकुराते हुए कर्म करने के लिए मिली है

Bhagavad Gita
आरएन तिवारी । Dec 18 2020 5:16PM

गीता में उल्लेख मिलता है कि जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर दूसरे नए वस्त्रों को धारण कर प्रसन्न होता है, उसी प्रकार आत्मा भी पुराने तथा व्यर्थ के शरीरों को त्याग कर नया भौतिक शरीर धारण करती है और प्रसन्न होती है।

पिछले अंक में हमने पढ़ा कि युद्ध भूमि में लड़ने के लिए तैयार अपने सगे-सम्बन्धियों और शुभचिंतकों को देखकर अर्जुन काँप गया और दुखी होकर युद्ध करने से मना कर दिया। यहीं से अर्जुन को विषाद उत्पन्न हुआ। भगवान ने अर्जुन के विषाद को प्रसाद में बदलने के लिए ही भगवद्गीता का उपदेश दिया। प्रसाद क्या है?

प्रसाद्स्तु प्रसन्नता। प्रसाद का अर्थ है प्रसन्नता।

इसे भी पढ़ें: Gyan Ganga: क्यों स्वजनों को मार कर राज्य भोगने की इच्छा नहीं रखते थे अर्जुन ?

प्र = प्रभु 

सा = साक्षात 

द = दर्शन  

प्रभु का साक्षात् दर्शन ही प्रसाद कहलाता है। 

सौभाग्यशाली अर्जुन को प्रभु का साक्षात् दर्शन हो जाने के कारण अब उसके जीवन में शोक और विषाद कहाँ रह जाएगा?

आइए! गीता प्रसंग में चलें- अर्जुन को युद्ध से मुँह मोड़ते हुए देखकर भगवान ने कहा-

श्री भगवानुवाच

अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे।

गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः॥ 

हे अर्जुन! तुम उनके लिये दुखी हो रहे हो जो दुख करने के योग्य हैं ही नहीं। विद्वान और पंडित (तत्व ज्ञानी) लोग न जीवन के लिए शोक करते हैं और न ही मरण (मृत प्राणी) के लिये शोक करते हैं। वे तो जीवन–मरण, सत्य-असत्य, सफलता-असफलता, प्यार-नफरत आदि को एक सिक्के के दो पहलू की तरह समझते हैं। (Life-Dead, Fail-pass, Rich-Poor, Hate-Love अँग्रेजी भाषा के इन शब्दों को देखकर मैं सोचता हूँ कि ये अर्थ की दृष्टि से उल्टे जरूर हैं किन्तु वर्ण की दृष्टि से ये समान हैं। सब में चार-चार वर्ण (Letters) हैं।) भगवान ने अर्जुन को पंडित कहकर संबोधित किया। पंडित वह है जो उचित और अनुचित का विवेक रखता हो।

इसे भी पढ़ें: Gyan Ganga: धृतराष्ट्र जन्म से नेत्रहीन थे और दुर्योधन समेत सभी पुत्र धर्म के विषय में अंधे थे

देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा ।

तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति ॥ 

जिस प्रकार जीवात्मा इस शरीर में बाल अवस्था से धीरे-धीरे युवा अवस्था और वृद्ध अवस्था को निरन्तर अग्रसर होता रहता है, उसी प्रकार जीवात्मा इस शरीर की मृत्यु होने पर दूसरे शरीर में चला जाता है। मृत्यु तो एक परिवर्तन है, ऐसे परिवर्तन से धैर्यशाली मनुष्य को दुखी नहीं होना चाहिए।

न जायते म्रियते वा कदाचि-न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।

अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो-न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥

यह आत्मा किसी काल में भी न तो जन्म लेती है और न मरती है और भविष्य में भी न यह जन्म लेगी और न मरेगी। आत्मा का न भूत है, न वर्तमान है और न ही भविष्य है। यह अजन्मा, नित्य, शाश्वत और पुरातन है। इसके जन्म लेने का कोई इतिहास नहीं है। आत्मा कभी बूढ़ी नहीं होती इसीलिए तो कभी-कभी वृद्ध व्यक्ति भी अपने अंदर बचपना और जवानी का अनुभव करता है और कहता है— मैं बूढ़ा जरूर हो गया हूँ लेकिन मेरा दिल अभी भी जवान है। 

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।

तथा शरीराणि विहाय जीर्णा न्यन्यानि संयाति नवानि देही॥

जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर दूसरे नए वस्त्रों को धारण कर प्रसन्न होता है, उसी प्रकार आत्मा भी पुराने तथा व्यर्थ के शरीरों को त्याग कर नया भौतिक शरीर धारण करती है और प्रसन्न होती है। 

जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च।

तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि॥ 

जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है और मृत्यु के पश्चात् पुनर्जन्म निश्चित है। ये धृतराष्ट्र के पुत्र जन्मे हैं, तो जरूर मरेंगे भी। तुम्हारे पास ऐसा कोई उपाय नहीं, जिससे तुम इन्हें बचा सको। अत: इस बिना उपाय वाले विषय में तू शोक करने योग्य नहीं है।

इसे भी पढ़ें: गीता-तत्व को समझ कर उसे अपने जीवन में उतारने का प्रयत्न करें

गीता का पुण्य संदेश:- सदा मुसकुराते रहो। जिंदगी मुसकुराते हुए कर्म करने के लिए मिली है, मुंह लटका कर बैठे रहने के लिए नहीं। परमात्मा को प्रसन्न चेहरा पसंद है। एक महफिल में चार्ली चैपलिन ने एक जोक सुनाया। वहाँ उपस्थित सभी लोग ठहाका मारकर हंसने लगे। फिर दूसरी बार भी वही जोक सुनाया, इस बार थोड़े लोग हँसे। जब तीसरी बार भी वही जोक सुनाया तब किसी को भी हंसी नहीं आई। कारण पूछने पर लोगों ने कहा कि एक ही जोक पर बार-बार क्या हँसना है। उसने लोगों को बड़ी अच्छी सीख दी, जब एक ही जोक पर बार-बार हँस नहीं सकते तब एक ही समस्या पर बार-बार रोते क्यों हो ?    

श्री वर्चस्व आयुस्व आरोग्य कल्याणमस्तु-

जय श्रीकृष्ण-

-आरएन तिवारी

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़