Adi Vinayak Temple: इस अनोखे मंदिर में की जाती है बप्पा के इंसानी स्वरूप की पूजा, जानिए मंदिर के रहस्य

आदि विनायक मंदिर की खासियत यह है कि यहां पर बप्पा के ऐसे स्वरूप की पूजा की जाती है, जोकि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में कहीं नहीं होती है। यह भारत का ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर हैं।
आदि विनायक मंदिर की खासियत यह है कि यहां पर बप्पा के ऐसे स्वरूप की पूजा की जाती है, जोकि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में कहीं नहीं होती है। यह भारत का ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया का एक ऐसा मंदिर हैं, जहां पर गणपति बप्पा के इंसानी स्वरूप की मूर्ति विराजमान है। यहां पर गणपति के शरीर पर गजमुख नहीं बल्कि इंसानी मुख देखा जा सकता है।
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आदि विनायक मंदिर
आदि विनायक मंदिर तमिलनाडु राज्य के तिरुवरूर जिले में कुटनूर से करीब 3 किमी दूर तिलतर्पण पुरी में स्थित है। यहां पर आप फ्लाइट के जरिए भी आ सकते हैं। इस मंदिर के सबसे नजदीक तिरुचिरापल्ली एयरपोर्ट है। एयरपोर्ट से इस मंदिर की दूरी करीब 110 किमी है।
वहीं अगर आप इस मंदिर में दर्शन के लिए ट्रेन से आने का प्लान बना रहे हैं, तो मंदिर के पास तिरुवरुर रेलवे स्टेशन के पास पड़ेगा। इस रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी सिर्फ 23 किमी है। इसके अलावा अगर आप चेन्नई से आ रहे हैं, तो यह मंदिर 318 किमी की दूर पर है।
बप्पा के इस स्वरूप की होती है पूजा
मान्यता है कि जब भगवान शिव ने क्रोध में आकर भगवान गणेश का सिर काटा था, तो उन्होंने स्वयं से गणेश के धड़ पर हाथी का सिर लगाकर जीवनदान दिया था। लेकिन इस मंदिर में उनके उस मुख की पूजा की जाती है, जिसको मां पार्वती द्वारा उनके हाथों से बनाया गया था।
इस मंदिर का नाम आदि विनायक इसलिए पड़ा, क्योंकि मंदिर में उनके पहले स्वरूप की पूजा होती है। लोगों का मानना है कि पहले भगवान गणेश ऐसे दिखते थे, जोकि उनका असली इंसानी स्वरूप था।
श्रीराम से जुड़ा है नाता
आदि विनायक मंदिर को भगवान श्रीराम से इसलिए भी जोड़कर देखा जाता है, क्योंकि यहां पर भगवान राम आए थे। माना जाता है कि जब श्रीराम अपने पिता दशरथ की मृत्यु के बाद उनका पिंडदान कर रहे थे, तो उनके चावल से बने पिंड कीड़े में बदल जा रहे थे। ऐसी स्थिति में श्रीराम ने महादेव से इसका उपाय पूछा, तब महादेव ने श्रीराम को आदि विनायक में जाकर पूजा और पिंडदान करने के लिए कहा। जब श्रीराम ने आदि विनायक मंदिर में पिंडदान किया, तो सभी पिंड शिवलिंग में बदल गए। इसी कारण पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए देश के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं।
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