Omkareshwar Temple: भगवान शिव के इस स्थान को कहा जाता है दूसरा केदारनाथ, पंचकेदार के होते हैं दर्शन

Omkareshwar Temple
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जब सर्दियों में केदारनाथ मंदिर बंद कर दिया जाता है, तो आप बाबा केदार के दर्शन इस स्थान पर कर सकते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इस स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं।

भारत में भगवान शिव को समर्पित कई मंदिर हैं। वहीं भगवान शिव को समर्पित केदारनाथ मंदिर चारधाम में आता है। केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। धार्मिक मान्यता है कि यह भगवान शिव का विश्रामस्थल है। भगवान भोलेनाथ के इस रूप के दर्शन के लिए लोग यहां पर दूर-दूर से आते हैं। जब सर्दियों में केदारनाथ मंदिर बंद कर दिया जाता है, तो आप बाबा केदार के दर्शन इस स्थान पर कर सकते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इस स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं। ऐसे में आप भी भगवान शिव की कृपा व आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यहां दर्शन के लिए जा सकते हैं।

जानिए क्यों कहते हैं दूसरा केदारनाथ

गर्मियों के मौसम में केदारनाथ मंदिर में बाबा केदार के दर्शन के लिए जाया जाता है। लेकिन सर्दियों में 6 महीने के लिए केदारनाथ मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। केदारनाथ मंदिर बंद होने के बाद बाबा केदार का पंचमुखी विग्रह ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में स्थापित किया जाता है। इस स्थल को पंचगद्दी स्थल के लिए भी जाना जाता है। यह बाबा केदार की शीतकालीन गद्दीस्थल है। जिसकी वजह से इस स्थान को दूसरा केदारनाथ भी कहा जाता है।

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पंचकेदार के होते हैं दर्शन

ऊखीमठ में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर भगवान भोलेनाथ का एक ऐसा धाम है, जहां पर आप भगवान पंचकेदार के दर्शन कर सकते हैं। यहां पर केदारनाथ, द्वितीय केदार मध्यमेश्वर, तृतीय केदार तुंगनाथ, चतुर्थ केदार रुद्रनाथ व पंचम केदार कल्पेश्वर हैं। धार्मिक मान्यता है कि सर्दियों में जो भी भक्त ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में बाबा केदार के पंच गद्दीस्थल के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इन श्रद्धालुओं को केदारानाथ धाम में दर्शन करने जितना पुण्यफल प्राप्त होता है।

ऐसे पड़ा यह नाम

बता दें कि द्वापर युग से इस मंदिर के निर्माण की कथा जुड़ी है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक बाणासुर भगवान भोलेनाथ का परम भक्त था। बाणासुर की बेटी का नाम उषा था, जिसका विवाह इसी स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण के पोते अनिरुद्ध से हुआ था। देवी उषा के नाम पर ही इस तीर्थ स्थल को उषामठ के नाम से जाना जाता था। लेकिन समय के साथ इसका नाम बदल गया। इसका नाम ऊखीमठ और उखामठ पड़ गया।

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