Mysterious Temple: हरियाणा के इस मंदिर में आप भी जरूर करें दर्शन, सालों से हवा में लटक रहा चमत्कारिक पेड़

Mysterious Temple
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हमारा देश न सिर्फ ऋषि-मुनियों के अवतारों बल्कि कई रहस्यमई चीजों और अनोखी कहानियों के लिए जाना जाता है। हमारे देश में कई ऐसी जगह हैं, जो काफी रहस्यमई मानी जाती हैं। हांसी में समधा नामक मंदिर भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

हमारा देश न सिर्फ ऋषि-मुनियों के अवतारों बल्कि कई रहस्यमई चीजों और अनोखी कहानियों के लिए जाना जाता है। हमारे देश में कई ऐसी जगह हैं, जो काफी रहस्यमई मानी जाती हैं। कभी किसी किले की दबी कहानी, तो कभी किसी मंदिर का चमत्कार सामने आ जाता है। आज इस आर्टिकल के जरिये हम आपको एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपने चमत्कारी पेड़ से घिरा हुआ है। आपको जानकर हैरत होगी कि एक ऐसा पेड़ जो कि हवा में लटका हुआ है। आइए जानते हैं इस पेड़ की पूरी कहानी।

हरियाणा के हांसी में है ये पेड़

बता दें कि हरियाणा के छोटे से शहर हांसी में समधा नामक मंदिर मौजूद है। यह मंदिर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस मंदिर में ऐसा बरगद का पेड़ है, जो कि हवा में झूल रहा है, जिसकी जड़े धरती पर नहीं हैं। अपराधियों को मौत की सजा सुनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता था। इस बरगद के पेड़ को फांसी के फंदे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। 

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बाबा जगन्नाथपुरी से जुड़ा है कनेक्शन

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, इसी बरगद के पेड़ के नीचे बाबा जगन्नाथपुरी बैठकर तपस्या किया करते थे। बाबा जगन्नाथपुरी जी ने 1586 ई. में हांसी में डेरा डाला था, उस दौरान वहां पर कोई हिंदू नहीं रह गया था। स्थानीय लोगों का मानना है कि बाबा जगन्नाथपुरी जी ने तपस्या करते हुए समाधि ले ली थी। इसी कारण दूर दराज से लोग आशीर्वाद लेने के लिए यहां आते हैं।  

पेड़ की मजबूती

स्थानीय लोगों की मानें तो पेड़ से लोगों की गहरी आस्था है। लोग अपनी मनोकामना पूरी होने के लिए इस पेड़ के चारों तरफ नोट या रिबन बांधते हैं। कई चैनलों ने भी कुछ साल पहले इस पेड़ की जांच-पड़ताल की थी, तनें और जड़ें अलग होने के बाद भी यह पेड़ जिंदा है। उस दौरान जांच में पाया गया कि बीच से टूटे हुए पेड़ के बगल में इसका एक मजबूत हिस्सा मौजूद है। वह हिस्सा जमीन से जुड़ा है और टूटे हुए पेड़ को सहारा देता है।

जानिए क्या कहते हैं वैज्ञानिक

वैज्ञानिकों की मानें तो जब कच्ची जमीन से बरगद के पेड़ की शाखा जुड़ती है, तो उसकी जड़ें मिट्टी के अंदर निकल आती हैं। शाखा से बनी इन जड़ों को प्रोप रूट कहा जाता है। पेड़ की सभी शाखाओं को यह जड़ें पानी और पोषण देने का काम करती हैं। यह इतनी अधिक मजबूत होती हैं कि पुरानी शाखाएं टूटने के बाद भी यह उनका भार उठा लेती हैं। जिस कारण यह पेड़ आज तक खड़ा हुआ है।

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