सुशांत सिंह राजपूत के मामले की CBI करेगी जांच? केस के सभी पक्षों ने SC में लिखित दलीलें पेश की

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बिहार सरकार ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि महाराष्ट्र पुलिस ने ‘राजनीतिक दबाव के कारण’ ही सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के मामले में न तो प्राथमिकी दर्ज की और न ही बिहार पुलिस की जांच में सहयोग दिया।

नयी दिल्ली। बिहार सरकार ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि महाराष्ट्र पुलिस ने ‘राजनीतिक दबाव के कारण’ ही सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के मामले में न तो प्राथमिकी दर्ज की और न ही बिहार पुलिस की जांच में सहयोग दिया। न्यायालय के निर्देशानुसार बिहार सरकार और रिया चक्रवर्ती ने इस मामले में अपने लिखित अभिवेदन दाखिल किये। न्यायालय ने पटना में दर्ज मामला मुंबई स्थानांतरित करने के लिये अभिनेत्री रिया चक्रवती की याचिका पर सुनवाई पूरी करते हुये बिहार और महाराष्ट्र सरकार के साथ ही राजपूत के पिता और रिया को तीन दिन के भीतर अपने लिखित अभिवेदन दाखिल करने का निर्देश दिया था।

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रिया चक्रवर्ती ने अपने लिखित कथन में कहा है कि बिहार पुलिस के कहने पर पटना में दर्ज मामला सीबीआई को सौंपने की सिफारिश करना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर था। पटना में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में राजपूत के पिता ने रिया और उसके परिवार के सदस्यों सहित छह अन्य लोगों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाये हैं। गौरतलब है कि राजपूत 14 जून को मुंबई के अपने अपार्टमेंट में फंदे से लटके पाए गए थे। मुंबई पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। बिहार सरकार ने अपने अधिवक्ता केशव मोहन के माध्यम से दाखिल अभिवेदन में कहा,‘‘यह साफ है कि महाराष्ट्र में राजनीतिक दबाव की वजह से ही मुंबई पुलिस ने न तो प्राथमिकी दर्ज की और न ही उन्होंने इस मामले की तेजी से जांच करने में बिहार पुलिस को किसी प्रकार का सहयोग दिया।’’ इसमें कहा गया है कि ऐसी स्थिति में रिया की स्थानांतरण याचिका खारिज करने या उसका निस्तारण करने के अलावा कुछ और करने की आवश्यकता नहीं है। इसमें कहा गया है, ‘‘पेश मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुये सीबीआई की जांच में किसी भी प्रकार के व्यवधान की अनुमति नहीं दी जाये और उसे अपनी जांच तेजी से पूरी करने दिया जाये।’’ दूसरी ओर, अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती ने कहा है कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने या इसे स्थानांतरित करने का बिहार को कोई अधिकार नहीं था।

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रिया के अनुसार, ‘‘बिहार में की जा रही जांच पूरी तरह से गैरकानूनी है और ऐसी गैरकानूनी कार्यवाही गैरकानूनी शासकीय आदेशों से सीबीआई को स्थानांतरित नहीं की जा सकती। अगर शीर्ष अदालत संविधान के अनुच्छेद 142 में प्रदत्त अधिकार का इस्तेमाल करके इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपती हैं तो याचिकाकर्ता को कोई आपत्ति नहीं है।’’ इस अभिनेत्री का कहना है कि अन्यथा मौजूदा मामले को बिहार पुलिस से सीबीआई को सौंपना, जैसा कि किया गया है, पूरी तरह अधिकार क्षेत्र से बाहर और कानून के खिलाफ है। रिया ने अपने अभिवेदन में कानूनी प्रावधानों पर जोर देते हुये कहा है कि उसकी स्थानांतरण याचिका विचार योग्य है। उसने कहा है कि प्राथमिकी को पढ़ने से पता चलता है कि अपराध का कोई भी हिस्सा बिहार में नहीं हुआ। प्राथमिकी में भी आरोप लगाया गया है कि सब कुछ मुंबई में हुआ और पटना का जिक्र सिर्फ इसलिए है क्योंकि शिकायतकर्ता का घर पटना में है।

रिया का तर्क है कि ज्यादा से ज्यादा इस मामले में जीरो प्राथमिकी दर्ज करनी होगी और उसे मुंबई के उस थाने को भेजना होगा, जिसके अधिकार क्षेत्र की घटना है चक्रवर्ती ने अपने लिखित अभिवेदन में कहा कि बिहार पुलिस के आदेश पर जांच का जिम्मा सीबीआई को स्थानांतरित किया जाना अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। हालांकि, बिहार सरकार ने कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुये कहा है कि उसे ऐसा करने का अधिकार था क्योंकि अपराध की कुछ परिणति उसके अधिकार क्षेत्र में हुयी है। राज्य सरकार का कहना है, ‘‘मुंबई पुलिस दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 174-175 के तहत तहकीकात की कार्यवाही ही कर रही है। इस कार्यवाही का मकसद सिर्फ मौत के कारण का पता लगाना है। ’’ बिहार सरकार ने कहा है कि मौत के कारण का पता चलने के बाद कार्यवाही खत्म हो जाती है और वैसे भी जब 25 जून को इस मामले में पोस्मार्टम रिपोर्ट मिल गयी तो इसके साथ ही यह कार्यवाही खत्म हो गयी। राज्य सरकार के अनुसार यह तथ्य स्वीकार किया गया है कि मुंबई पुलिस ने कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की है और इसलिए वह पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद इस मामले में कानूनी रूप से कोई जांच नहीं कर रही है।

इस अभिवेदन में बिहार सरकार ने अपने आईपीएस अधिकारी को मुंबई में पृथकवास में भेजेजाने के बारे में न्यायालय की टिप्पणी को भी उद्धृत किया और कहा कि बिहार सरकार को उम्मीद थी कि उसके आईपीएस अधिकारी को तत्काल पृथकवास से छोड़ दिया जायेगा। यह चिंता की बात है कि महाराष्ट्र सरकार को इस अधिकारी को रिहा करने के बारे में फैसला लेने में तीन दिन लग गये और उसे सात अगस्त की शाम छोड़ा गया। न्यायालय ने पांच अगस्त को सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत एक प्रतिभाशाली होनहार कलाकार थे और उनकी मृत्यु के कारणों की सच्चाई सामने आनी ही चाहिए।

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था, ‘‘एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुयी जिसमें एक प्रतिभाशाली कलाकार का निधन ऐसी परिस्थितियों में हो गया, जो अस्वाभाविक हैं। अब उन परिस्थितियों की जांच की आवश्यकता है, जिनमें यह मौत हुयी।’’ बिहार सरकार ने 11 जुलाई को न्यायालय में कहा था कि राजनीतिक दबाव के कारण की मुंबई पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की, तो दूसरी ओर महाराष्ट्र सरकार ने बिहार सरकार के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया था। इस मामले में सुनवाई के दोरान दिवंगत अभिनेता के पिता कृष्ण किशोर सिंह ने कहा था कि मुंबई पुलिस सही दिशा में मामले की जांच नहीं कर रही है।

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