सिनेमाई प्रतिभा का उत्सव बना 71वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह, Mohanlal को Dadasaheb Phalke Award, Shah Rukh Khan और Rani Mukerji को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार

71st National Film Awards
ANI

मंच पर जब मलयालम के सुपरस्टार मोहनलाल दिखाई दिए, तो पूरे हॉल में तालियों और जयकारों की गड़गड़ाहट गूँज उठी। दादासाहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित उनका क्षण केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि दक्षिण भारतीय सिनेमा के गौरव का प्रतीक भी था।

आज नई दिल्ली का विज्ञान भवन भारतीय सिनेमा के उन अद्भुत कलाकारों और फिल्म निर्माताओं की उपस्थिति का गवाह बना जिन्होंने अपनी कला से देश-दुनिया में भारतीय कहानियों को जीवंत किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का वितरण न केवल एक औपचारिक समारोह था, बल्कि यह भारतीय फिल्म जगत की विविधता, प्रतिभा और उत्साह का जीवंत प्रदर्शन भी था।

मंच पर जब मलयालम के सुपरस्टार मोहनलाल दिखाई दिए, तो पूरे हॉल में तालियों और जयकारों की गड़गड़ाहट गूँज उठी। दादासाहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित उनका क्षण केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि दक्षिण भारतीय सिनेमा के गौरव का प्रतीक भी था। इसके ठीक बाद जब शाहरुख खान मंच पर Jawan के लिए बेस्ट अभिनेता का पुरस्कार लेने आए, तो दर्शक झूम उठे। “Shah Rukh! Shah Rukh!सैकड़ों आवाज़ों का यह संगम समारोह के उत्साह को और बढ़ा रहा था।

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रानी मुखर्जी, विक्रांत मैसी, सुदीप्त सेन, करण जौहर जैसे अन्य विजेताओं के स्वागत में भी दर्शकों का उत्साह कम नहीं था। केवल बॉलीवुड ही नहीं, बल्कि क्षेत्रीय फिल्में—भव्य तेलुगू, संवेदनशील तमिल, नवोन्मेषी कन्नड़ और गुजराती सिनेमा—भी आज मंच पर सम्मानित हुए। यह स्पष्ट संकेत है कि भारतीय सिनेमा अब भाषा और क्षेत्र की सीमाओं से परे जाकर अपनी ताकत दिखा रहा है।

तकनीकी श्रेणियों में भी इस वर्ष का उत्साह उल्लेखनीय रहा। फिल्म “Animal” ने ध्वनि डिज़ाइन में श्रेष्ठता और री-रिकॉर्डिंग में विशेष उल्लेख प्राप्त किया। संगीत में शिल्पा राव और तेलुगू फिल्म Baby के गायक को सर्वोच्च पुरस्कार मिले। यह दिखाता है कि भारतीय फिल्म उद्योग में केवल अभिनेता ही नहीं, बल्कि तकनीकी और संगीत की टीम भी बराबर की प्रतिभा प्रस्तुत कर रही है।

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71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का यह उत्सव केवल पुरस्कार वितरण तक सीमित नहीं रहा। यह भारतीय सिनेमा के प्रति आम जनता, कलाकार और सरकार की प्रतिबद्धता का भी जश्न था। मंच पर विजेताओं की मुस्कान, दर्शकों की तालियाँ और पूरे हॉल में उत्साह का वातावरण इस बात का प्रतीक है कि भारतीय फिल्म उद्योग अब न केवल ग्लैमर का केन्द्र है, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और तकनीकी दृष्टि से भी नई ऊँचाइयों को छू रहा है।

अंततः, यह समारोह याद दिलाता है कि भारतीय सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि संस्कृति, कला और सामाजिक संदेश का महत्वपूर्ण माध्यम है। और आज, विज्ञान भवन में हमने इसे पूरे उत्साह और गर्व के साथ महसूस किया।

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