सादगी भरे अभिनय के लिए जाने जाते हैं फारूक शेख

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फारूख शेख बॉलीवुड व टीवी के ऐसे उत्कर्षट कलाकार थे जिन्हें उनके सादगी भरे अभिनय के लिए आज भी याद किया जाता है। वे उन कलाकारों में से थे जिन्हें समानांतर सिनेमा के साथ-साथ कमर्शियल सिनेमा में भी कामयाबी मिली।

फारूख शेख बॉलीवुड व टीवी के ऐसे उत्कर्षट कलाकार थे जिन्हें उनके सादगी भरे अभिनय के लिए आज भी याद किया जाता है। वे उन कलाकारों में से थे जिन्हें समानांतर सिनेमा के साथ-साथ कमर्शियल सिनेमा में भी कामयाबी मिली। फारुख शेख का जन्म 1948 में गुजरात के अमरोली में हुआ था। बचपन में उन्हें क्रिकेट खेलना बेहद पसंद था। उनके पिता मुस्तफा शेख एक जाने माने वकील थे। सेंट मैरी स्कूल में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद फारूख मुंबई गये और सिद्धार्थ कॉलेज ऑफ लॉ से कानून की पढ़ाई की, उनके पिता चाहते थे कि फारुख भी वकील बने किन्तु फारुख को फिल्मों में अभिनय करना पसंद था। कॉलेज के दिनों में भी वे थिएटर पर ज्यादा ध्यान देते थे।

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थिएटर में फारूख के दमदार अभिनय के चलते 1973 में उन्हें एम.एस.सथ्यू द्वारा निर्देशित फिल्म ‘गर्म हवा’ में ब्रेक मिला जो भारत पाकिस्तान के विभाजन की पृष्ठभूमि पर बनी थी और उसके बाद फिल्मों में उनके अभिनय का सिलसिला इस तरह चला कि वर्ष 1977 से लेकर 1989 तक वे बड़े पर्दे और साल 1999 से लेकर 2002 तक छोटे पर्दे पर छाए रहे। फिल्मों में अपने चार दशक के लंबे करियर में फारूख शेख ने लगभग 40 फिल्मों में काम किया। उन्होंने शतरंज के खिलाड़ी, उमराव जान, कथा, बाजार, चश्म-ए-बद्दूर, गरम हवा, नूरी, साथ-साथ, किसी से ना कहना, रंग बिरंगी, घरवाली बाहरवाली, बीवी हो तो ऐसी, तूफान, माया मेमसाब इत्यादि बेहतरीन फिल्मों में अहम भूमिका निभाई।

फिल्मों में दीप्ति नवल और शबाना आजमी के साथ फारूख की जोड़ी ने काफी नाम कमाया। दीप्ति नवल के साथ चश्म-ए-बद्दूर , कथा, साथ-साथ, किसी से ना कहना, रंग बिरंगी उनकी काफी हिट फिल्में रहीं। शबाना आजमी के साथ फारूख शेख की फिल्में ‘लोरी’, ‘अंजुमन’, ‘एक पल’ बेहतरीन फिल्मों में गिनी जाती हैं। फिरोज़ा अब्बास खान निर्देशित शबाना आजमी के साथ उनका नाटक ‘तुम्हारी अमृता’ देश के सबसे मशहूर नाटकों में है। इसकेे 300 से अधिक शो हुए। फारूख शेख कहते थे कि ये नाटक एक एक्सपेरिमेंट के तौर पर शुरू हुआ था। उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि ये इतना लंबा चल जाएगा। 

90 के दशक में फारुख शेख ने ‘सास बहू और सेंसेक्स’, ‘लाहौर’ और ‘क्लब 60’ आदि फिल्मों में काम किया। फिल्म ‘लाहौर’ में उनके अभिनय के लिए उन्हें साल 2010 में बेस्ट सर्पोटिंग एक्टर रोल के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला। फारुख शेख ने सत्यजीत रे, ऋषिकेश मुखर्जी, केतन मेहता और मुज्जफर अली जैसे नामी डायरेक्टर्स के साथ काम किया। आर्ट फिल्मों में उन्होंने बेहतरीन अभिनेता के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई।

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मशहूर टीवी शो ‘जीना इसी का नाम’ फारूख शेख ने होस्ट किया था, जिसमें उन्होंने कई जानी मानी हस्तियों के इंटरव्यू किए। इस टीवी शो को लोग आज भी भूले नहीं हैं। 

28 दिसंबर 2013 को 65 साल की उम्र में फारुख शेख का निधन दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुआ, इन दिनों वे परिवार के साथ दुबई में थे। फिल्म ‘यंगिस्तान’ फारुख शेख की अंतिम फिल्म थी जो 2014 में रिलीज हुई। हिन्दी सिनेमा में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

फारूख के बारे में उनके बाॅलीवुड साथी कलाकारों का कहना है कि वे बेहद नरम अंदाज में बोलने वाले एक बेहतरीन इंसान थे। अपने हंसी मजाक से वे गंभीर माहौल को भी खुशनुमा बना देते थे। फारूख शेख खाने के बहुत शौकीन थे, जब भी सेट पर शूटिंग के लिए आते अपने साथ घर से कुछ न कुछ खाने के लिए जरूर लाते थे। फिल्मों में उन्होंने पैसों को महत्व न देकर हमेशा अपनी स्ट्रांग भूमिका को महत्व दिया। 

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