अभिनय और निर्देशन के ‘गुरू’ दत्त आखिर क्यों यूं अचानक दुनिया छोड़ कर चले गये...

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रेनू तिवारी । Jul 8 2019 4:59PM

गुरूदत्त के निजी जिंदगी की अगर बात करें तो गुरूदत्त का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। गुरूदत्त एक विद्यालय के हेडमास्टर के रूप में काम करते थे। उसके बाद वह एक बैंक में काम करने लगे।

नयी दिल्ली। साल के सातवें महीने का नौवां दिन इतिहास के पन्नों में बहुत सी अच्छी बुरी घटनाओं के साथ दर्ज है। इनमें कुछ भारतीय सिनेमा से जुड़ी हैं। दरअसल 1925 में इसी दिन वसंतकुमार शिवशंकर पादुकोण उर्फ गुरु दत्त का जन्म हुआ था, जिन्होंने हिंदी सिनेमा में अभिनय और निर्देशन दोनों क्षेत्रों में अपनी एक अलग पहचान बनाई। गुरूदत्त की प्रतिभा का अंदाजा लगाने के लिए यह तथ्य अपने आप में पर्याप्त है कि टाइम पत्रिका ने गुरूदत्त की फिल्मों प्यासा और कागज़ के फूल को दुनिया की सौ बेहतरीन फ़िल्मों में जगह दी थी। उनकी बेहतरीन फिल्मों में प्यासा और क़ागज़ के फूल के अलावा चौदहवीं का चाँद तथा साहब बीबी और ग़ुलाम को भी रखा जाता है।

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गुरूदत्त  के निजी जिंदगी की अगर बात करें तो गुरूदत्त  का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। गुरूदत्त  एक विद्यालय के हेडमास्टर के रूप में काम करते थे। उसके बाद वह एक बैंक में काम करने लगे। गुरूदत्त की मां पहले गृहिणीं थीं जो बाद में एक स्कूल में अध्यापिका बन गयीं। गुरूदत्त  का जब जन्म हुआ तो उनकी मां की आयु 16 साल थी। गुरूदत्त  अपने शुरूआती दिनों में कोलकता रहे जिसकी वजह से उनकी जीवन पर बंगाली संस्कृति का प्रभाव पड़ा। बौधिक विचारों में भी दत्त की दिलचस्पी थी।

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अपने फिल्मी करियर की शुरूआत गुरू दत्त ने पूना में 1944 ने आई फिल्म चाँद नामक में श्रीकृष्ण की एक छोटी सी भूमिका से की थी। गुरूदत्त ने फिल्मों में काम करने के अलावा फ़िल्म निर्देशक विश्राम बेडेकर के साथ बतौर सहायक निर्देशक की तरह काम करते थे। निर्देशन में गुरु दत्त की रूचि वहीं से हुई। गुरूदत्त  ने अपने पिक करियर के दौरान सुहागन, भरोसा, चौदहवीं का चाँद, साहिब बीबी और ग़ुलाम, काला बाज़ार, कागज़ के फूल और मिस्टर एंड मिसेज़ 55 जैसी फिल्मों में काम किया। 

गुरूदत्त ने दो शादियां की थी। पहली शादी उन्होंने अपनी पसंद की लड़की से की थी लेकिन वो लड़की उन्हों छोड़ कर पूना चली गई जिसके बाद दूसरी शादी उन्होंने अपने घर वालों की मर्जी से की थी। 

लेकिन न जानें क्यों गुरूदत्त  अपनी जिंदगी को खत्म करना चाहते थे। 10 अक्टूबर 1964 की सुबह बेहद ही डरावरी थी क्योंकि इस दिन गुरू दत्त ने फिल्मी दुनिया सहित पूरी दुनिया को अलविदा कह दिया था। गुरूदत्त पेढर रोड बॉम्बे में अपने बेड रूम में मृत पाये गये। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने पहले खूब शराब पी उसके बाद ढेर सारी नींद की गोलियाँ खा लीं। यही दुर्घटना उनकी मौत का कारण बनी। इससे पूर्व भी उन्होंने दो बार आत्महत्या का प्रयास किया था। आखिरकार तीसरे प्रयास ने उनकी जान ले ली।

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