धारावाहिकों में ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ गलत- रजा मुराद

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[email protected] । Mar 25 2019 5:57PM

आधारित धारावाहिकों के निर्माण में तथ्यों को लेकर जरूरी गहरे शोध की घोर कमी महसूस होती है। यहां तक कि पौराणिक धारावाहिकों में भी तथ्यों से छेड़छाड़ नजर आती है

लखनऊ। बॉलीवुड के जाने—माने अभिनेता रजा मुराद ने ऐतिहासिक किरदारों पर आधारित टेलीविजन धारावाहिकों में तथ्यों को तोड मरोड़कर मसालेदार अंदाज में पेश किये जाने को गलत करार देते हुए कहा कि जो होना चाहिये और जो हो रहा है, उसमें बड़ा फर्क है। अपनी फिल्म  दुलारी  की शूटिंग के लिये लखनऊ आये रजा मुराद ने  भाषा  से बातचीत में आजकल ऐतिहासिक घटनाओं और किरदारों पर आधारित टीवी धारावाहिकों में तथ्यों, घटनाक्रमों और पात्रों के पहनावों तथा भाव—भंगिमाओं को मनमाने तरीके से पेश किये जाने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इससे ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में नयी पीढ़ी में गलतफहमियां फैल रही हैं।

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प्रेम रोग ,  बाजीराव मस्तानी ,  पद्मावत  और  राम तेरी गंगा मैली  जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में यादगार किरदार निभा चुके मुराद ने अक्सर धारावाहिकों में ऐतिहासिक तथ्यों को गलत तरीके से पेश किये जाने पर  उपकार  फिल्म में प्राण द्वारा कहा गया एक संवाद याद करते हुए कहा  दिन में मैं वह कहता हूं, जो होना चाहिये, और रात में मैं वह कह रहा हूं जो हो रहा है। तो जो होना चाहिये और जो हो रहा है, उसमें बड़ा फर्क है। उन्होंने कहा कि टीवी मीडिया उद्योग और फिल्म इंडस्ट्री की हमेशा से जिम्मेदारी रही है कि वह समाज को उसके आज और गुजरे हुए कल के बारे में सही और तथ्यात्मक जानकारी दे, मगर बाजारीकरण के इस दौर ने प्राथमिकताओं को पूरी तरह बदल डाला है। 

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अब तक 250 से ज्यादा फिल्मों में विभिन्न भूमिकाएं निभा चुके मुराद ने एक सवाल पर कहा कि खासकर ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित धारावाहिकों के निर्माण में तथ्यों को लेकर जरूरी गहरे शोध की घोर कमी महसूस होती है। यहां तक कि पौराणिक धारावाहिकों में भी तथ्यों से छेड़छाड़ नजर आती है। साथ ही धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी चीजों के चित्रण में भी अधकचरापन नजर आता है। उन्होंने कहा कि इससे पहले कि चीजें और ज्यादा खराब हों, इस चलन को जल्द से जल्द रोका जाना चाहिये। मुराद ने पद्मावत फिल्म को लेकर पिछले साल देश के विभिन्न हिस्सों में हुए बवाल के बारे में कहा  यह तो प्रजातंत्र है ही नहीं कि बिना किसी गवाही और सुबूत के आधार पर आप किसी नतीजे पर पहुंच जाएं। प्रदर्शन करने का हक तो सभी को है, लेकिन कानून को अपने हाथ में लेना, तोड़फोड़ करना तो कानूनन जुर्म है। 

पद्मावत समेत हाल में आयी फिल्मों में एक समुदाय विशेष को नकारात्मक पात्रों के तौर पर दिखाये जाने के बारे में इस 72 वर्षीय अभिनेता ने कहा कि यह बात सिर्फ पद्मावत की ही नहीं है, यह बड़ी आम बात हो गयी है। चूंकि प्रभावित तबका इन बातों को नजरअंदाज कर रहा है, लिहाजा ये बदस्तूर जारी हैं।

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