आशा भोंसले की वजह से ‘DDLJ’ से जुड़े जतिन-ललित, गाने हुए थे सुपरहिट
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क । Oct 19 2020 8:26PM
पंडित ने बताया कि जब उन्होंने नहीं में जवाब दिया तो भोंसले ने तुरंत चोपड़ा से बात करने के लिये फोन उठाया। बॉलीवुड की सबसे सफल फिल्मों में से एक डीडीएलजे 20 अक्टूबर 1995 को रिलीज हुई थी।
मुंबई। बॉलीवुड के सबसे चहेते संगीतकारों में से एक आर डी बर्मन के निधन के बाद जब संगीतकार जतिन-ललित उनकी पत्नी आशा भोंसले के घर संवेदना व्यक्त करने गए तो उन्होंने सोचा भी नहीं था कि ऐसे वक्त में उन्हें अपने फिल्मी जीवन की सबसे कामयाब फिल्म - दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे - करने का मौका मिलेगा। संगीतकार जोड़ी जतिन-ललित के ललित पंडित याद करते हैं, वह साल 1994 था। दिन लगभग ढल रहा था और लोग भोंसले के सांताक्रूज स्थित घर से विदा ले रहे थे तभी आशा जी पूछा कि क्या उन दोनों ने यश चोपड़ा के साथ काम किया है। पंडित ने बताया कि जब उन्होंने नहीं में जवाब दिया तो भोंसले ने तुरंत चोपड़ा से बात करने के लिये फोन उठाया। बॉलीवुड की सबसे सफल फिल्मों में से एक डीडीएलजे 20 अक्टूबर 1995 को रिलीज हुई थी।
इस फिल्म से अपने जुड़ने के किस्से को 25 साल बाद याद करते हुए पंडित ने बताया, “उन्होंने वहीं हमारी सिफारिश की। यश जी ने भी हमसे मिलने में रुचि दिखाई क्योंकि उन्होंने ‘जो जीता वही सिकंदर’ और अन्य में हमारे काम के बारे में सुन रखा था।” आदित्य चोपड़ा की निर्देशक के तौर पर यह पहली फिल्म थी। वह भी यश चोपड़ा के साथ मुलाकात के दौरान मौजूद थे। यह फिल्म उन्हें मिल गई और वह याद करते हुए कहते हैं कि शुक्र है हमारे पास पहले से तैयार किया हुआ एक गाना था। पंडित ने कहा, “मैंने उन्हें एक गाना ‘मेहंदी लगा के चलना, पायल बजा के चलना…पर आशिकों से अपना दामन बचा के चलना’ सुनाया। यह सुनकर वो बहुत खुश हुए।” फिल्म में यह गाना “मेहंदी लगा के रखना…” शाहरुख खान और काजोल पर फिल्माया गया है, जो इसके बाद फिल्म स्क्रीन की सबसे पसंदीदा जोड़ी बन गए। उन्होंने कहा कि यह फिल्म के सात गानों में से एक था और भारतीय फिल्म के इतिहास में सबसे सफल गानों में से भी एक। फिल्म के सभी गाने चार्टबस्टर रहे और आज भी लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। फिल्म जब रिलीज हुई तो इसके संगीत ने सभी के दिलों को छू लिया।.@iamsrk and @itsKajolD's #DDLJ Statue to be unveiled in Leicester Square Statue to mark the film’s 25th Anniversary. #DDLJ25
— Yash Raj Films (@yrf) October 19, 2020
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पंडित कहते हैं कि 25 साल बाद भी उन्हें इस फिल्म के संगीत निर्माण की हर बात ऐसी लगती है जैसे कल की ही बात हो। फिल्म ने इतिहास रच दिया, राज और सिमरन की जोड़ी दर्शकों को भा रही थी तो फिल्म के संगीत का जादू भी लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा था। संगीतकार जतिन-ललित और गीतकार आनंद बख्शी ने “मेरे ख्वाबों में…”, “तुझे देखा तो ये जाना सनम..” और “हो गया है तुझको तो प्यार सजना..” जैसे गाने देकर इस फिल्म के संगीत को शानदार बना दिया। पंडित इस फिल्म को “ऐतिहासिक” बताते हैं और मार्च तक जब देश में महामारी की वजह से लॉकडाउन की घोषणा हुई तब तक मुंबई के ‘मराठा मंदिर’ में यह फिल्म चल रही थी। उन्होंने कहा, “यह एक रिकॉर्ड है जो आने वाले दिनों में आसानी से नहीं टूटेगा। यह हमारी कल्पना से परे है, जब हमनें फिल्म के संगीत पर काम शुरू किया था तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह ऐतिहासिक होगा।डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।
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