भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना बेअसर सिद्व हो रही है: गहलोत

[email protected] । Sep 19 2016 4:31PM

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना गरीबों को चिकित्सा सुरक्षा कवच के दायरे में लाने में बेअसर सिद्व हो रही है।

जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना गरीबों को चिकित्सा सुरक्षा कवच के दायरे में लाने में बेअसर सिद्व हो रही है। उन्होंने कहा कि इस योजना को लागू करने की निर्धारित प्रक्रियाओं की जटिलताओं के कारण गरीबों को समय पर चिकित्सा उपचार नहीं मिल रहा है और उन्हें मजबूरन भटकना पड़ रहा है। गहलोत ने कहा कि भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत केवल राज्य के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के पात्र व्यक्तियों को ही लाभान्वित करने का प्रावधान है। 13 जुलाई 2016 से लाभार्थी परिवार की पहचान केवल भामाशाह कार्ड से ही हो रही है। राशन कार्ड, आधार कार्ड एवं अन्य पहचान पत्र मान्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि लाभार्थी परिवार के किसी सदस्य का नाम यदि भामाशाह कार्ड में अंकित नहीं है तथा उसके आधार कार्ड का लिंक भी परिवार के मुखिया के भामाशाह कार्ड में नहीं है तो उसे इस योजना से लाभान्वित नहीं किया जा रहा है। ऐसे में भामाशाह कार्ड होते हुए भी बीमार को चिकित्सा उपचार सुविधा प्राप्त करने में असुविधा का सामना करना पड़ता है। पूर्व मुख्यमंत्री की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में उन्होंने कहा कि यह विडम्बना ही है कि योजना के तहत लाभ लेने के लिये चिकित्सालय में भर्ती मरीज को भी पुन: भर्ती होना पड़ रहा है। भर्ती होने के बाद भी इलाज की सुविधा मिलने में सात दिन तक का समय लग जाता है, जो किसी भी रोगी के उपचार के लिये उचित नहीं कहा जा सकता है। जबकि गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को तो तत्काल चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है।

पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना जैसी योजनाएं देश के अन्य कई राज्यों में भी प्रारम्भ की गयी थीं, जहां वे असफल रही है। आंध्रपदेश और महाराष्ट्र में भी ऐसी योजना असफल रही है, लेकिन राजस्थान में उनके आधार पर ही इस योजना को लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में बीमा प्रीमियम भी अन्य राज्यों की तुलना में अधिक दिया जा रहा है। महाराष्ट्र में 333 रुपये, आंध्रप्रदेश में 267 रुपये हिमाचल प्रदेश में 364 रूपये तथा कर्नाटक में 150 रुपये प्रीमियम निर्धारित किया गया है जबकि राजस्थान में प्रीमियम की दर 370 रुपये है। गहलोत ने कहा कि भाजपा सरकार ने कांग्रेस के समय लागू की गई मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना, मुख्यमंत्री जीवन रक्षा कोष जैसी योजनाओं को कमजोर करने के लिये स्वास्थ्य क्षेत्र में एक और नयी बीमा योजना को लागू किया है। कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के सभी वर्गों को नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से इन योजनाओं को लागू किया था, जिन्हें राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भरपूर सराहना मिली थी।उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2015 में नि:शुल्क दवायें एवं जांच सुविधा उपलब्ध करवाने पर बल दिया गया है। इस परिपेक्ष्य में राज्य सरकार को प्रदेश में सभी वर्गों को चिकित्सा सुरक्षा कवच के दायरे में लाने के लिये नीतिगत कदम उठाने चाहिए।

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